
बेंगलुरु की एक अदालत ने 2020 में एक नवजात लड़के का अपहरण करने और उसे 14.5 लाख रुपये में बेचने के लिए 36 साल की मनोचिकित्सक को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. नगरभवी की रहने वालीरश्मि शशिकुमार पर न्यायाधीश सीबी संतोष ने एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
2020 में पैदा होते ही चोरी हुआ था नवजात
जमानत पर बाहर रश्मि, 19 फरवरी को फैसला सुनाए जाने के समय अदालत में मौजूद थी. उसे तुरंत हिरासत में ले लिया गया और बेंगलुरु केंद्रीय जेल भेज दिया गया. मामला 29 मई, 2020 का है, जब चामराजपेट के बीबीएमपी (सिविक बॉडी) अस्पताल से एक नवजात शिशु चोरी हो गया था. तब डिलीवरी के चलते डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा लेने के बाद बच्चे की मां गहरी नींद में सो गई थी.
पहले जन्मदिन पर मिला बच्चा
45 मिनट बाद जब वह उठी तो उसका बच्चा गायब था. पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई, लेकिन बच्चे का पता लगाने औररश्मि को गिरफ्तार करने में लगभग एक साल लग गया. 29 मई, 2021 को, पुलिस ने उत्तरी कर्नाटक के एक जोड़े से इस बच्चे को बरामद किया. उस कपल को ये विश्वास दिलाकर बच्चा दिया गया था ये सरोगेसी के माध्यम से उनका ही है. हैरानी की बात यह है कि जब अधिकारी उनके घर पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि दंपति खुशी- खुशी बच्चे का पहला जन्मदिन मना रहे थे.
700 से अधिक की गवाही, 300 CCTV रिकॉर्डिंग, 5000 फोन कॉल
जांच के लिए काफी प्रयास किए गए थे जिसमें 700 से अधिक गवाहों के साक्षात्कार, 300 सीसीटीवी रिकॉर्डिंग का एनालिसिस और 5,000 फोन कॉल रिकॉर्ड की जांच शामिल थी. सीसीटीवी फुटेज की मदद से, पुलिस ने एक संदिग्ध का स्केच बनाया, जो अंततः उन्हें रश्मि तक ले गया.
'सरोगेसी से हुआ है, ये आपका बच्चा है'
आरोपपत्र के अनुसार, रश्मि की इस जोड़े से मुलाकात 2015 में हुबली के एक निजी अस्पताल में काम करने के दौरान हुई थी. दंपत्ति के पास एक स्पेशल चाइल्ड था, और रश्मि ने उन्हें आश्वासन दिया कि सरोगेसी उन्हें एक स्वस्थ बच्चा पैदा करने में मदद कर सकती है. 2019 में, उसने पिता से जैविक नमूने एकत्र किए,और झूठा दावा किया कि उसे बेंगलुरु में एक सरोगेट मां मिल गई है. उसने मई 2020 तक एक बच्चा पैदा करने का वादा करते हुए उनसे 14.5 लाख रुपये भी ले लिए.
मां को नींद की गोलियां दीं और उठा लिया बच्चा
जैसे-जैसे तारीख नजदीक आई, रश्मि ने कमजोर सुरक्षा के कारण बीबीएमपी अस्पताल को अपना टार्गेट बनाया. अपहरण को अंजाम देने से पहले वह कई बार डिलीवरी वार्ड में गई थी. 29 मई को, उसने एक अस्पताल अटेंडेंट को मां को नींद की गोलियां देने का निर्देश दिया. जब मां बेहोश हो गई तो रश्मि बच्चे को लेकर चली गई. उसने बच्चे को विजयनगर में एक दोस्त के घर पर दंपति को सौंप दिया.
टूट गई एक साल तक पालने वाली मां
ये मुकदमा भावनात्मक क्षणों से भरा हुआ था क्योंकि जैविक माता-पिता और उत्तरी कर्नाटक के जोड़े दोनों बच्चे को लेकर अपने- अपने अनुभव सुनाए. बच्चे के जैविक माता-पिता ने अपने बेटे को फिर से देखने की सारी उम्मीद खो दी थी, जबकि जिस महिला ने उसे एक साल तक पाला था, वह सच्चाई जानने के बाद टूट गई थी.
14.5 लाख रुपये में बेचा था बच्चा
सरकारी वकील बी एच भास्कर ने कहा कि डीएनए परीक्षण से बच्चे के जैविक माता-पिता की पुष्टि हुई. इसके अलावा, बैंक रिकॉर्ड से पता चला कि रश्मि को जोड़े से 14.5 लाख रुपये मिले थे, और फोन रिकॉर्ड से उनके बीच लंबे समय से संबंध का पता चला. मोबाइल टावर डेटा ने अपहरण के दिन रश्मि को अस्पताल में भर्ती कराया. सबूत के ये टुकड़े उसे दोषी ठहराने में महत्वपूर्ण थे.