
बेंगलुरु की रहने वाली 46 वर्षीय महिला से कैंसर ने छह ऑर्गन छीन लिए, लेकिन इससे बीमारी उनके जीने की इच्छा को कम कर सकी. महिला मुंबई में ब्राइडल मेकअप आर्टिस्ट के तौर पर काम करती है.
कैंसर के ऑपरेशन के बाद गर्भाशय, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, कोलन, गॉल ब्लैडर, अपेंडिक्स, लिवर का हिस्सा हटाने को सर्जरी से हटाए जाने के बाद अब वो फिर वही कर रही है, जो उसे पसंद था, महिलाओं को उनके सबसे बड़े दिन पर तैयार करना.
दो बच्चों की मां हंसा को पिछले साल 22 मार्च को एडवांस्ड कोलोरेक्टल कैंसर का पता चला था, उस समय कैंसर चौथे स्टेज पर था. डॉक्टर ने उन्हें बताया कि बीमारी बड़ी आंत से अंडाशय, पेरिटोनियम और यकृत तक तेजी से फैल रही है.
TOI के मुताबिक, छह बार कीमोथेरेपी के बाद मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ संकेत मेहता ने हंसा के शरीर में कैंसर तेजी से फैल रहा था. उन्होंने कहा कि बीमारी तेजी से फैल रही है और मरीज में लक्षण थे. ट्यूमर के आकार के कारण वह खाने और चलने में भी असमर्थ थी.
मेहता और उनकी टीम ने हंसा को सभी रोगग्रस्त अंगों को निकालने के लिए एक जटिल सर्जरी की सलाह दी क्योंकि जोखिमों के बावजूद यही एकमात्र रास्ता दिख रहा था. उन्होंने कहा, "हमने उसका छह घंटे तक ऑपरेशन किया. कैंसर का पता चलने के बाद से अब तक उसका पूरा उदर क्षेत्र पहली बार रोग मुक्त है."
डॉक्टर ने बताया- कैसे हुए मेडिकल चमत्कार
यह पूछे जाने पर कि क्या सामान्य जीवन जीने के लिए इतने सारे अंग निकाले गए मरीज के लिए यह संभव है. मेहता ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा ने इसे संभव बना दिया है. इलाज में प्रगति और मेडिकल ऑन्कोलॉजी, कीमोथेरेपी, लक्षित चिकित्सा और इम्यूनोथेरेपी के साथ-साथ सर्जरी की उन्नत तकनीक ने लंबे समय तक जीवित रहने और पेट के कैंसर को पूरी तरह ठीक करने की संभावना की उम्मीद कर सकते हैं.
चौथे स्टेज पर था हंसा का कैंसर
वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स के कंसल्टेंट ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. बोमन ढाबर ने कहा कि स्टेज 4 कैंसर "अब मौत की सजा नहीं है", जैसा कि हंसा जैसे मरीजों ने दिखाया है. हालांकि बीमारी के दोबारा होने की संभावना बनी रहती है. अब हंसा अपने पति भावेश सावजी राघवानी और अपने 2 बच्चों के साथ रहकर लगातार मेंटेनेंस थेरेपी से गुजर रही है. हंसा का कहना है कि खाना बनाने, परिवार के साथ समय बिताने और एक दुल्हन की मुस्कान से उसकी चिंताएं मिट जाती हैं.