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भगत सिंह का असली गांव कहां है? पंजाब के खट्कड़ कलां और पाकिस्तान के लायलपुर की क्या है कहानी

पंजाब के नए मुख्यमंत्री भगवंत मान आज शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खट्कड़ कलां में शपथ लेंगे. खट्कड़ कलां में शहीद भगत सिंह का पैतृक गांव है. हालांकि, उनका जन्म पाकिस्तान के फैसलाबाद जिले में स्थित बंगा गांव में हुआ था.

भगत सिंह को 23 साल की उम्र में फांसी दे दी गई थी. (फाइल फोटो) भगत सिंह को 23 साल की उम्र में फांसी दे दी गई थी. (फाइल फोटो)
Priyank Dwivedi
  • नई दिल्ली,
  • 16 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 11:28 AM IST
  • 27 सितंबर 1907 को हुआ था जन्म
  • पाक के बंगा गांव में जन्मे थे भगत सिंह
  • खट्कड़ कलां में है उनका पैतृक घर

पंजाब में आज से आम आदमी पार्टी की सरकार बनने जा रही है. भगवंत मान (Bhagwant Mann) आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. मान ये शपथ शहीद भगत सिंह (Bhagat Singh Village) के पैतृक गांव में लेंगे. भगत सिंह का पैतृक गांव पंजाब के नवांशहर के खट्कड़ कलां (Khatkar Kalan) में हैं.

लेकिन जन्म पाकिस्तान के लायलपुर में

शहीद भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 में पाकिस्तान के लायलपुर के बंगा गांव में हुआ था. आज लायलपुर को फैसलाबाद जिले के नाम से जाना जाता है. उनके पिता का नाम किशन सिंह और मां का नाम विद्यावती था. सात भाई-बहनों में भगत सिंह दूसरे नंबर पर थे. खट्कड़ कलां में भगत सिंह का पैतृक गांव है, लेकिन उनके जन्म से पहले उनका परिवार बंगा गांव में जाकर बस गया था. यहीं उनका जन्म हुआ और यहीं से उन्होंने पढ़ाई भी की. 

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खट्कड़ कलां और लायलपुर की कहानी क्या है?

- भगत सिंह के पूर्वज महाराजा रंजीत सिंह की सेना में थे. महाराजा रंजीत सिंह सिखों के आखिरी राजा थे. माना जाता है कि भगत सिंह के परदादा फतेह सिंह के पूर्वज अमृतसर के एक गांव में रहा करते थे. एक बार फतेह सिंह अपने परिवार के किसी सदस्य के अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार जा रहे थे, तब रास्ते में वो जालंधर में एक जमींदार के यहां रुके.

- जमींदार ने अपनी बेटी की शादी फतेह सिंह के परिवार में तय कर दी. जमींदार ने बहुत सारी जमीन भी फतेह सिंह के परिवार को दहेज के रूप में दी. दहेज को पंजाब में खट कहा जाता था. जिस जगह ये जमीन दी गई थी, उसे अब खट्कड़ कलां कहा जाता है. 

- खट्कड़ कलां में जो भगत सिंह का घर है, उसे फतेह सिंह ने ही बनवाया था. इस घर को बनवाने का मकसद ये था कि जो भी लोग यहां आएं, उनके पास ठहरने की जगह हो. बताया जाता है कि अक्सर छुट्टियों में भगत सिंह अपने दादा अर्जुन सिंह के साथ खट्कड़ कलां में छुट्टियां मनाने आते थे. 

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- ऐसा कहा जाता है कि एक बार खट्कड़ कलां में प्लेग की बीमारी फैल गई. ऐसे में अंग्रेजों ने यहां रहने वालों को लयालपुर के बंगा गांव में जमीन दी. इसी कारण भगत सिंह का परिवार बंगा गांव में आकर बस गया. 

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बंगा गांव के इस घर में हुआ था भगत सिंह का जन्म. (फाइल फोटो)

आजादी के बाद खट्कड़ कलां में ही आ गया परिवार

भगत सिंह का परिवार बंगा में ही रहने लगा था. खट्कड़ कलां में परिवार छुट्टियों के लिए आया करता था. लेकिन आजादी के बाद जब बंटवारा हुआ तो भगत सिंह का परिवार भारत आ गया और खट्कड़ कलां में आकर रहने लगा. खट्कड़ कलां में मौजूद उनके घर में उनकी मां 1975 तक रहीं. बाद में ये घर खाली हो गया. फिलहाल खट्कड़ कलां के इस घर की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग और नवांशहर प्रशासन के पास है. उनके घर को स्मारक बना दिया गया है. 

वहीं, बंगा गांव के उस घर पर एक वकील ने कब्जा कर लिया. पाकिस्तान की सरकार इस घर को स्मारक बनाना चाहती थी. पिछले साल ही इस घर को वकील का परिवार बेचने के लिए राजी हुआ है. इस घर को भी स्मारक बना दिया गया है. 

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23 साल की उम्र में हो गई थी फांसी

भगत सिंह जब 23 साल के थे, तभी उन्हें फांसी हो गई थी. भगत सिंह के पूर्वज क्रांतिकारी थे और इसी कारण बचपन से ही वो भी अंग्रेजों के खिलाफ हो गए थे. भगत सिंह के साथ ही सुखदेव और राजगुरू को भी फांसी हुई थी. तीनों पर एक अंग्रेज पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या करने का आरोप था. तीनों को 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी. 

 

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