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देश की पहली कोरोना नेजल वैक्सीन 26 जनवरी को होगी लॉन्च, जानें कौन लगवा सकेगा?

पहली भारतीय इंट्रानेजल कोविड वैक्सीन 26 जनवरी को लॉन्च किया जाएगा. कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने शनिवार को कहा कि स्वदेशी वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक 26 जनवरी को भारत में अपनी तरह की पहली इंट्रानेजल कोविड-19 वैक्सीन लॉन्च करेगी.

 26 जनवरी से लगाई जाएगी नेजल वैक्सीन 26 जनवरी से लगाई जाएगी नेजल वैक्सीन
मिलन शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 21 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:54 PM IST

कोरोना वायरस से निपटने के लिए फार्मा कंपनियां लगातार कोशिश कर रही हैं. कई वैक्सीन अबतक बन चुकी हैं और अब भी नए-नए प्रयोग जारी हैं. बता दें कि पहली भारतीय इंट्रानेजल कोविड वैक्सीन 26 जनवरी को लॉन्च किया जाएगा. 

कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने शनिवार को कहा कि स्वदेशी वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक 26 जनवरी को भारत में अपनी तरह की पहली इंट्रानेजल कोविड-19 वैक्सीन लॉन्च करेगी. भोपाल में इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में छात्रों के साथ बातचीत करते हुए, एला ने यह भी जानकारी दी कि मवेशियों में ढेलेदार त्वचा रोग के लिए घरेलू टीका, लंपी-प्रोवाइंड, अगले महीने लॉन्च होने की संभावना है.

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केंद्र सरकार ने दी मंजूरी

दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार ने 23 दिसंबर 2022 को भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन (Nasal vaccine) को मंजूरी दी थी. यह वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर लग सकेगी. नेजल वैक्सीन शुरुआत में प्राइवेट अस्पतालों में लग सकेगी. इस वैक्सीन को सरकार ने भारत के कोविड 19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम में भी शामिल किया है. इससे पहले भारत के औषधि महानियंत्रक DCGI ने भारत बायोटेक की इंट्रा नेजल कोविड वैक्सीन (Intranasal Covid vaccine) को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी. 

कैसे इस्तेमाल होती है नेजल वैक्सीन?

यह वैक्सीन नाक के जरिए स्प्रै करके दी जाती है, मतलब वैक्सीन लेने वाले की बांह पर टीका नहीं लगाया जाता. DCGI ने इंट्रा नेजल कोविड वैक्सीन को 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए मंजूरी दी है. भारत बायोटेक की इस वैक्सीन का नाम BBV154 है.

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कैसे काम करती है नेजल वैक्सीन?

कोरोना समेत ज्यादातर वायरस म्युकोसा के जरिए शरीर में जाते हैं. म्युकोसा नाक, फेफड़ों, पाचन तंत्र में पाया जाने वाला चिपचिपा पदार्थ होता है. नेजल वैक्सीन सीधे म्युकोसा में ही इम्युन रिस्पॉन्स पैदा करती है, जबकि मस्कुलर वैक्सीन ऐसा नहीं कर पाती. इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी बताया था कि नेजल वैक्सीन बेहतर है क्योंकि इन्हें लगाना ज्यादा आसान है और ये म्यूकोसा में ही इम्युनिटी बना देता है, जिससे संक्रमण से शुरुआत में ही बचा जा सकता है.

कौन लगवा सकता है ये वैक्सीन?

ये वैक्सीन अभी 18 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों को ही लगाई जाएगी. 12 से 17 साल के बच्चों का भी वैक्सीनेशन चल रहा है, लेकिन वो इसे नहीं लगवा सकते. दूसरी बात ये कि इसे बूस्टर डोज के तौर पर लगाया जाएगा. यानी, जो लोग दो डोज लगवा चुके हैं, वही ये वैक्सीन लगवा सकते हैं. हालांकि, इसे प्राइमरी वैक्सीन की मंजूरी भी मिली है. यानी, अगर कोई भी वैक्सीन नहीं ली है तो भी इसे लगवा सकते हैं. हालांकि, भारत में लगभग पूरी आबादी का वैक्सीनेशन हो चुका है. लेकिन अभी भी बहुत बड़ी आबादी ने बूस्टर डोज नहीं ली है. कोविन पोर्टल के मुताबिक, देश में 95.11 करोड़ से ज्यादा लोग दो डोज ले चुके हैं. पर 22 करोड़ लोगों ने ही बूस्टर डोज लगवाई है.

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