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भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने ब्राजील की प्रीसीसा मेडिकामेंटोस के साथ वैक्सीन बेचने के लिए बनाए गए अपने मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (समझौता ज्ञापन) को खत्म कर दिया है. कंपनी ने इसके पीछे की वजह नहीं बताई है. भारत बायोटेक ने शुक्रवार को जारी किए एक बयान में कहा कि वह कोवैक्सीन के इस्तेमाल के लिए सभी जरूरी अप्रूवल्स को पाने के लिए ब्राजील के स्वास्थ्य नियामक अविंसा के साथ काम करना जारी रखेगी.
ब्राजील में प्रीसीसा के जरिए से कोवैक्सीन की दो करोड़ डोज खरीदने के ब्राजील की सरकार की कोशिशों को लेकर अनियमितताओं के आरोप लगे थे. शुक्रवार को यह मामला लोकसभा में भी उठा था. वहीं, पहले ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने भारतीय कंपनी भारत बायोटेक से कोरोना वैक्सीन की खरीद में गड़बड़ी के आरोपों पर सफाई दी थी.
ब्राजील के राष्ट्रपति ने कहा था कि उनकी सरकार ने कभी भी भारत बायोटेक को वैक्सीन के लिए भुगतान नहीं किया. ब्राजील को कोवैक्सीन की कोई भी डोज अब तक नहीं मिली तो ऐसे में भ्रष्टाचार होने का सवाल ही नहीं उठता है. ब्राजील में कोवैक्सीन को लेकर आरोप लगाया जा रहा था कि जब बाजार में फाइजर की सस्ती कीमत पर वैक्सीन उपलब्ध हो तो फिर सरकार ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को खरीदने का समझौता क्यों किया? राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने वादा किया था कि यदि मामले में कोई भी गड़बड़ी पाई जाती है तो वे एक्शन लेंगे.
कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए दुनियाभर की विभिन्न कंपनियों ने वैक्सीन बनाई है. भारत में इस साल जनवरी से वैक्सीनेशन अभियान भी शुरू हो चुका है, जिसके बाद अब तक 40 करोड़ से अधिक डोज लगाई जा चुकी हैं. देश में सबसे पहले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के ही इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी गई थी. हालांकि, दूसरी लहर में तबाही मचने के बाद कई अन्य वैक्सीन्स को भी मंजूरी मिल चुकी है या फिर मिलने वाली है.