
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में रंगमंच के पर्व 'भारंगम- भारत रंग महोत्सव-2025' की शुरुआत हो चुकी है. शुक्रवार को दूसरा दिन पूरी तरह कला, संस्कृति और रंगमंच की जीवंतता से भरा रहा. इस दौरान देशभर की लोक कलाओं की झलक देखने को मिली. इस दौरान जहां मंच पर लोक कला की रंगत बिखरी, तो वहीं रंगमंच की बारीकियां सिखाने वाले व्याख्यान-प्रदर्शन भी हुए, जो कि अपने आप में एक क्लास की तरह रहीं. इस मौके पर महान रूसी लेखक एंटोन चेखव की 165वीं जयंती भी मनाई गई.
एनएसडी और हुडको के बीच समझौता
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) और हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (हुड्को) ने लोक एवं शास्त्रीय नाट्य कला को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता किया. इस पर एनएसडी के निदेशक चित्तरंजन त्रिपाठी और हुड्को के क्षेत्रीय प्रमुख राजीव गर्ग ने हस्ताक्षर किए. इसका मकसद पारंपरिक रंगमंच को संरक्षित करना और इसे आधुनिक दर्शकों तक पहुंचाना है. 'लोकरंगम' मंच का उद्घाटन प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने किया. उन्होंने लोक नाटकों की खासियत बताते हुए कहा कि इनमें एक ही कहानी के माध्यम से अलग-अलग भावनाओं को जगाने की ताकत होती है.
भिखारी ठाकुर का ‘बिदेसिया’ – प्रवासियों की पीड़ा का मंचन
इस दिन की खास प्रस्तुति रही भिखारी ठाकुर का प्रसिद्ध नाटक 'बिदेसिया', जिसका निर्देशन संजय उपाध्याय ने किया. यह नाटक प्रवासी मजदूरों की पीड़ा को जीवंत रूप में दिखाता है, जिसे देखकर दर्शक भावुक हो उठे. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और रूसी विज्ञान एवं संस्कृति केंद्र ने मिलकर रूसी लेखक एंटोन चेखव की 165वीं जयंती पर संगोष्ठी आयोजित की. इस चर्चा में मीता वशिष्ठ, निहारिका सिंह और विक्रम शर्मा जैसे रंगकर्मी शामिल हुए. उन्होंने चेखव की रचनाओं और उनकी आज की प्रासंगिकता पर विचार साझा किए.
थिएटर एप्रिशिएशन कोर्स (TAC) की शुरुआत
एनएसडी ने थिएटर एप्रिशिएशन कोर्स (TAC) के 14वें संस्करण की शुरुआत की. इसमें नाटक लेखन, अनुवाद और रूपांतरण पर सत्र आयोजित किए गए. अजय कुमार ने ‘परफॉर्मर एज़ स्टोरीटेलर’ वर्कशॉप संचालित की, जिसने प्रतिभागियों को थिएटर की बारीकियां सिखाईं.
'अद्वितीय' में दो प्रभावशाली स्ट्रीट प्ले प्रस्तुत किए गए:
'अनदेखी अनसुनी' (देशबंधु कॉलेज, दिल्ली) – यह नाटक विकलांग व्यक्तियों की चुनौतियों पर केंद्रित था.
'ख्वाहिश-ए-नूर' (दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी) – एक मार्मिक कहानी पर आधारित प्रस्तुति.
इसके साथ ही, स्टैंड-अप कॉमेडी, शास्त्रीय नृत्य और एकल प्रस्तुतियां भी हुईं. कार्यक्रम का समापन प्रमाणपत्र वितरण के साथ हुआ.
अंकल वान्या की प्रस्तुति सराहनीय
इस मौके पर चेखव के प्रसिद्ध नाटक 'अंकल वान्या' की प्रस्तुति भी सराहनीय रही, जिसका निर्देशन नॉशद मोहम्मद कुंजू ने किया. इसे हैदराबाद विश्वविद्यालय के थिएटर आर्ट्स विभाग के छात्रों ने प्रस्तुत किया. इस दौरान थिएटर कलाकार अखिलेंद्र मिश्रा की पुस्तक 'अभिनय, अभिनेता और आध्यात्म' का विमोचन किया गया. इस सत्र में अनिल गोयल ने लेखक से बातचीत की.
'ख्वाब-ए-हस्ती' और 'सूर्य की अंतिम किरण से...' का मंचन
अगा हश्र कश्मीरी की प्रसिद्ध कृति ‘ख्वाब-ए-हस्ती’ का मंचन हेमा सिंह ने पारसी अभिनय शैली में किया. वहीं, उपासना स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स, गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा ‘सूर्य की अंतिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक’ प्रस्तुत किया गया. हर नाटक के बाद 'मीट द डायरेक्टर' सत्र आयोजित हुआ, जहां दर्शकों को कलाकारों और निर्देशक से संवाद करने का मौका मिला. यह मौका रंगमंच प्रेमियों के लिए सीखने और समझने का बेहतरीन अवसर साबित हुआ.