
लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने दलित वोट का मास्टर प्लान तैयार कर लिया है. यूपी में बीएसपी और मायावती के वोट बैंक माने जाने वाले दलित वोटों में पिछले दो चुनावों में सेंधमारी कर चुकी बीजेपी अब दलित वोटों को अपने पाले के बनाए रखना चाहती है. इसके लिए पार्टी के अनुसूचित वर्ग सम्मेलनों की शृंखला मंगलवार 17 अक्टूबर से शुरू होगी.
पहला सम्मेलन पश्चिम क्षेत्र के हापुड़ में है, जिसे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी संबोधित करेंगे. सभी छह क्षेत्रों में अनुसूचित जाति सम्मेलन होंगे, जिसमें बीजेपी के अनुसूचित वर्ग के नेता, सांसद, मंत्री, विधायक शामिल होंगे. माना जा रहा है कि केंद्र से शीर्ष नेता भी इन सम्मेलनों में कुछ के शामिल हो सकते हैं.
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी रणनीतिकारों ने दलित वोट को साधने के लिए सम्मेलनों की योजना तैयार की है. 17 अक्टूबर को अनुसूचित वर्ग सम्मेलनों की शुरुआत हुई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 17 अक्टूबर को हापुड़ में अनुसूचित जाति सम्मेलनों की शुरुआत की. पश्चिमी यूपी से अपने प्रचार अभियानों की शुरुआत करने वाली बीजेपी के पश्चिम क्षेत्र के सम्मेलन में मुख्यमंत्री के अलावा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी शामिल रहेंगे. इसके बाद 19 अक्टूबर को ब्रज क्षेत्र का सम्मेलन अलीगढ़ में होगा जबकि 28 अक्टूबर को कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र का सम्मेलन होगा.
वहीं, 30 अक्टूबर को काशी क्षेत्र का सम्मेलन प्रयागराज, दो नवंबर को अवध क्षेत्र का सम्मेलन लखनऊ और तीन नवंबर को गोरक्ष क्षेत्र का अनुसूचित वर्ग सम्मेलन गोरखपुर में होगा. इन सम्मेलनों में बीजेपी के दलित सांसद, मंत्री, विधायक खासतौर पर शामिल होंगे. बीजेपी ने अपने सभी दलित मंत्रियों, विधायकों और सांसदों को इन सम्मेलनों में मौजूद रहने के लिए कहा है.
पार्टी अपने दलित चेहरों को करेगी आगे
पार्टी के शीर्ष नेता और मुख्यमंत्री इन सम्मेलनों को संबोधित करने वाले हैं लेकिन पार्टी में खासतौर पर अपने दलित चेहरों को आगे करने की रणनीति बनायी है. इसके लिए अनुसूचित वर्ग के नेताओं की टीम बनायी गयी है. सांसद बृजलाल, एमएलसी लालजी निर्मल को भी जिम्मेदारी दी गयी है. कभी मायावती के टीम के सदस्य रहे और अब बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता जुगल किशोर को भी सम्मेलनों के आयोजन की ज़िम्मेदारी दी गयी है जबकि समन्वय की जिम्मेदारी अवध प्रदेश उपाध्यक्ष ब्रज बहादुर को दी गयी है.
योगी सरकार में दलित मंत्रियों को भी इन सम्मेलनों को सफल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है. मंत्री बेबी रानी मौर्य, असीम अरुण, गुलाब देवी जैसे मंत्री इन सम्मेलनों के लिए सक्रिय होंगे. अनुसूचित जाति मोर्चे को इन सम्मेलनों की जिम्मेदारी दी गयी है.
दरअसल बीजेपी की ये रणनीति है कि अनुसूचित वर्ग में इस बात का संदेश दिया जाए कि बीजेपी में ही इस वर्ग के नेताओं को आगे बढ़ाया है. इन सम्मेलनों में खासतौर पर इस बात पर जोर रहेगा कि मोदी और योगी सरकार की योजनाओं से अनुसूचित वर्ग को मिले लाभ को बताया जाए. सम्मेलनों में खासतौर पर अनुसूचित जाति के प्रोफेशनल्स को आमंत्रित किया जाए. इसके बाद नवंबर महीने में पार्टी 'भीम सम्मेलन' भी आयोजित करेगी.
बीएसपी के वोट बैंक पर नजर
लोकसभा चुनाव से पहले मायावती के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ने खास रणनीति पर काम करना शुरू किया है. दलित बहुजन समाज पार्टी का कोर वोट रहा है जबकि बीएसपी का ये वोट लगातार घट रहा है. पिछले दो लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीजेपी ने खासतौर पर इसमें सेंधमारी में सफलता हासिल की है. अब बीजेपी की कोशिश इसे बरकरार रखने की है. बीजेपी इस बात का दावा भी करती रही है कि योजनाओं का लाभ सबसे ज़्यादा इसी वर्ग को मिला है. ऐसे में ये संदेश देना भी पार्टी की एक रणनीति है.