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पिछड़ों की एकजुटता वाली राजनीति का धार्मिक चेहरा 'भोले बाबा', वेस्ट यूपी में है दबदबा

हर महीने के पहले मंगल को नारायण साकार हरि का विशाल सत्संग होता है जिसमें लगभग 5 लाख लोग जुटते हैं. बिना किसी पब्लिसिटी के बिना सोशल मीडिया के बिना लाइव प्रवचन के नारायण साकार हरि दलित बिरादरी के सबसे बड़े धार्मिक चेहरे बन चुके हैं.

हाथरस भगदड़ भोले बाबा हाथरस भगदड़ भोले बाबा
कुमार अभिषेक
  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 8:32 PM IST

यूं तो नारायण साकार हरि के भक्त सभी बिरादरियों में हैं, लेकिन जाटव बिरादरी के भक्त इसकी सबसे बड़ी ताकत हैं. कहा जाता है कि इनकी धार्मिक ताकत की डोर थामकर कई चेहरे विधायक और सांसद बन गए. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जितना बड़ा विशाल सत्संग नारायण साकार हरि करते हैं उतना बड़ा कार्यक्रम किसी दूसरे धार्मिक गुरु या संत का नहीं होता था. बाबा को करीब से जानने वाले बताते हैं कि नारायण साकार हरि का सत्संग 5-5 लाख भक्तों का होने लगा जिससे अब शहरों से दूर अब खेतों में सत्संग के टेंट बनाए जाने लगे हैं.

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हर महीने के पहले मंगल को नारायण साकार हरि का विशाल सत्संग होता है जिसमें लगभग 5 लाख लोग जुटते हैं. बिना किसी पब्लिसिटी के बिना सोशल मीडिया के बिना लाइव प्रवचन के नारायण साकार हरि दलित बिरादरी के सबसे बड़े धार्मिक चेहरे बन चुके हैं. चूंकि नारायण साकार हरि खुद भी जाटव बिरादरी से आते हैं, ऐसे में उनके भक्त सबसे ज्यादा इसी समाज से हैं और इस समाज में उनकी चर्चा एक आध्यात्मिक गुरु के तौर पर होती है जो उनके दुखों को हरता है. बीमारियों से निजात दिलाता है, भूत और प्रेत आत्माओं को दूर भगाता है. अपने हर विशाल सत्संग में सिर्फ डेढ़ घंटे के लिए नारायण साकार हरि का कार्यक्रम होता है जिसमें एक छोटा प्रवचन और आरती होती है और बाकी वक्त में वह लोगों की बीमारियों को ठीक करने का दावा करते हैं.

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लगभग 20 सालों से नारायण साकार हरि हर महीने विशाल सत्संग का आयोजन करते रहे हैं, हाथरस में जो मौतें हुई उसमें 17 मौतें आगरा जिले की हैं, मृतकों में सबसे ज्यादा 14 महिलाएं जाटव बिरादरी से हैं जबकि तीन मल्लाह बिरादरी से. 

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लेकर भाजपा के कई सियासी चेहरे तक सूरजपाल के मंच की शोभा बढ़ा चुके हैं. कहा जाता है कि सियासी दलों में सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि का रसूख इतना रहा है कि टिकट दिलाने में भी उनकी भूमिका रहती है, हालांकि सीधे तौर पर यह सामने कभी नहीं आते, न ही कभी किसी राजनीतिक नेता के घर या मंच पर जाते हैं, लेकिन सूरजपाल को मानने वाले उनकी बात नहीं टालते.

बाबूराम पासवान बीजेपी से पूरनपुर के विधायक हैं जो कि दलित बिरादरी से आते हैं. पीलीभीत के एक स्थानीय फोटो जर्नलिस्ट संजीव सिंह पिछले दो दशक से नारायण साकार हरि को जानते रहे हैं और वह यह भी जानते हैं कि दो बार के विधायक बाबूराम पासवान जब विधायक नहीं बने थे तब से बाबूराम पासवान के सिर पर सूरजपाल का हाथ रहा है, बाबूराम पासवान अब बीजेपी से दो बार के विधायक हो चुके हैं.

संजीव सिंह ने आजतक को बताया की दो दशक पहले से बाबूराम पासवान नारायण साकार हरि का कार्यक्रम पूरनपुर में कराया करते थे. कई दिनों का यह कार्यक्रम होता था जिसमें ज्यादातर दलित बिरादरियां भागीदारी करती थी. फोटोग्राफर होने के नाते संजीव सिंह की पहुंच भोले बाबा उर्फ सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि के कमरे तक रहती थी और बीजेपी के विधायक उनके अनन्य भक्तों में से एक थे. संजीव सिंह के मुताबिक 2022 चुनाव के पहले भी पूरनपुर में नारायण साकार हरि का समागम हुआ था और बीजेपी के विधायक ने ही उसे भी कराया था.

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दरअसल बाबा नारायण साकार हरि का तिलिस्म लगभग 16 जिलों में फैला हुआ है, फिरोजाबाद, इटावा, मैनपुरी, कानपुर, कानपुर देहात, आगरा, हाथरस, मथुरा, पीलीभीत, बरेली, मुरादाबाद, कासगंज, एटा, फर्रुखाबाद जैसे जिलों में बाबा की जबरदस्त पकड़ है, लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि सोशल मीडिया के इस दौर में भी नारायण साकार हरि ने खुद को सभी तरह के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से दूर रखा है.

ऐसा नहीं है कि बाबा नारायण हरि पब्लिसिटी नहीं चाहते लेकिन सोशल मीडिया से दूर रहने की वजह लोगों के समझ से परे है. सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि का न तो सोशल मीडिया पर कोई ऐसा अकाउंट है जिस पर उनके फॉलोअर की संख्या दिखाई देती है न ही उनका वीडियो दिखाई देता है, लेकिन उनके भक्तों और उनके समर्थकों की तादाद इस दौर में इतनी ज्यादा है कि सरकार चाह कर भी बाबा नारायण साकार हरि पर हाथ डालने से हिचक रही है.

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