
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को अब तक नहीं मिले मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजे की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे के भुगतान पर पुनर्विचार करने के लिए सरकार द्वारा लिए गए समय को लेकर कड़ी टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने कहा, 'आपको यह समझने में 25 साल लग गए कि जो मुआवजा लिया गया वो गलत था?'
आंकड़ों के बारे में सोचने में आपको 26-27 साल नहीं लगते
कोर्ट ने कहा, मुआवजे के आंकड़ों के बारे में सोचने में आपको 26-27 साल नहीं लगते. केंद्र 1989 में समझौते के बाद यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (UCC) द्वारा भुगतान किए गए 470 मिलियन डॉलर से अधिक मुआवजे की मांग कर रहा है.
अदालत ने सरकार से यह जवाब देने के लिए भी कहा कि अगर वह इस बात से संतुष्ट है कि सरकार UCC के साथ समझौते के बाद मिले ज्यादा मुआवजे की हकदार थी तो उसने पीड़ितों को बढ़े हुए मुआवजे का भुगतान क्यों नहीं किया.
क्यूरेटिव पिटीशन पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर सरकार इतनी संतुष्ट थी कि उन्हें 600 करोड़ रुपये चाहिए और भुगतान करने की आवश्यकता है, तो उस समय भुगतान क्यों नहीं किया? संतुष्ट होने के बाद आपने उन्हें भुगतान नहीं किया, अब आप क्यूरेटिव पिटीशन के जरिए यहां आ रहे हैं. सरकार अगर संतुष्ट थी कि ये लोग अधिक मुआवजे के हकदार थे तो भुगतान करना चाहिए था और फिर किसी और से वसूली के बारे में क्यों सोचा गया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या कोई ऐसा पॉइंट ऑफ़ व्यू है जो इन कार्यवाही में किया जा सकता है? या क्या आपके पास कुछ स्वतंत्रता है तो यह आपके लिए है कि आप किसी अन्य कार्यवाही का चुनाव करें.
शीर्ष कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा कि वह कैसे अदालत के समक्ष एक क्यूरेटिव पिटिशन के माध्यम से खुद तय किए गए समझौते को फिर से खोलना चाहती है. जस्टिस कौल ने कहा, अगर स्थिति उलटी होती तो क्या दूसरा पक्ष आकर कह सकता था कि हमने अधिक भुगतान किया है? क्या हम इसकी अनुमति दे सकते थे?
कोर्ट ने कहा- क्यूरेटिव याचिका कैसे दाखिल कर सकते हैं?
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने लगातार दूसरे दिन केंद्र सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि किसी को भी त्रासदी की भयावहता पर संदेह नहीं है. फिर भी जहां मुआवजे का भुगतान किया गया है, वहां कुछ सवालिया निशान हैं. जब इस बात का आकलन किया गया कि आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार था? चाहे मानव क्षति के संबंध में इसके विशाल की परिकल्पना की गई थी या कम होने की, क्योंकि अधिक गंभीर मामलों में यह कम रही है. कोर्ट ने कहा कि बेशक, लोगों ने कष्ट झेला है. कल भी जब हमने पूछा था कि केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है तो क्यूरेटिव याचिका कैसे दाखिल कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शायद इसे तकनीकी रूप से न देखें, लेकिन हर विवाद का किसी ना किसी बिंदु पर समापन होना चाहिए. 19 साल पहले समझौता हुआ था. पुनर्विचार का फैसला आया. सरकार द्वारा कोई पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं हुई. 19 साल बाद क्यूरेटिव दाखिल की गई. 34, 38 साल बाद हम क्यूरेटिव क्षेत्राधिकार का प्रयोग करें?