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कूनो में चीते क्यों मर रहे? स्टडी करने के लिए नामीबिया और साउथ अफ्रीका जाएगी टीम, Gandhi Sagar Sanctuary भी हो रहा तैयार

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छह चीतों की मौत के बाद सरकार ने फैसला किया है कि चीता प्रोजेक्ट में शामिल अधिकारियों को नामीबिया और साउथ अफ्रीका की स्टडी के लिए भेजा जाएगा. इसकी घोषणा केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने की है.

चीता प्रोजेक्ट में शामिल अधिकारी जाएंगे नामीबिया (फाइल फोटो) चीता प्रोजेक्ट में शामिल अधिकारी जाएंगे नामीबिया (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2023,
  • अपडेटेड 9:45 AM IST

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अबतक छह चीतों की मौत हो चुकी है. इन चीतों की मौत किस वजह से हुई, इसका अध्ययन करने के लिए वन विभाग के अधिकारियों की टीम नामीबिया और और दक्षिण अफ्रीका जाएगी. इसकी जानकारी केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार को दी है. 

अफ्रीकी देश से लाए गए चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में रखा गया है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भोपाल में मुलाकात के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह छह जून को श्योपुर जिले में कूनो नेशनल पार्क का दौरा करेंगे. 

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केएनपी में मार्च से अब तक छह चीतों की मौत हो चुकी है. बीते 23 मई को ज्वाला चीता से पैदा हुए चार शावकों में से तीन की मौत हो गई. इसके अलावा नामीबियाई चीतों में से एक साशा की 27 मार्च को गुर्दे से संबंधित बीमारी की वजह से मौत हो गई. वहीं साउथ अफ्रीका से लाए गए चीता उदय की 13 अप्रैल को मौत हुई थी, जबकि चीता दक्ष की इसी साल 9 मई को नर चीते के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद दम तोड़ दिया था. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चीता प्रोजेक्ट के लिए सुरक्षा, संरक्षण और सभी तरह की सहायता प्रदान की जाएंगी.  

गांधी सागर सैंचुरी भी हो रहा तैयार

यादव ने यह भी कहा कि गांधी सागर सैंचुरी राज्य में चीतों के लिए एक वैकल्पिक घर के रूप में तैयार किया जा रहा है. हालांकि उन्होंने कहा कि केएनपी में चीतों की संख्या इसकी क्षमता से कम थी. मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हाल ही में तीन चीता शावकों की मौत से वे व्यथित हैं. उन्होंने कहा कि यह सच है कि दुनिया भर में चीते के शावकों के बचने की दर कम थी, लेकिन उनकी सरकार बाघों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करेगी. 

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सरकार ने हाल ही में बनाई थी निगरानी कमेटी

हाल ही में सरकार ने चीतों की देखभाल, प्रगति, निगरानी के लिए चीता परियोजना संचालन समिति गठित का गठन किया है. अब चीतों से जुड़ा कोई भी फैसला इस कमेटी के सदस्यों की सहमति से ही लिया जाएगा. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने मध्य प्रदेश सरकार के अवर मुख्य सचिव (ACS) के साथ हुई बैठक में एक चीता परियोजना संचालन समिति का गठन करने का फैसला लिया. कमेटी/ टास्क फोर्स में विभिन्न वन्यजीव संस्थानों के सदस्य, अधिकारी या पूर्व अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता तथा अन्य संगठनों के सदस्य शामिल होंगे.  

टास्क फोर्स के पास ये जिम्मेदारी होगी:   

- मध्य प्रदेश वन विभाग और एनटीसीए को चीताओं की प्रगति, निगरानी और उनसे जुड़ी सलाह देना.
- ईको-टूरिज्म के लिए चीता के आवास को खोलना और इस संबंध में नियमों का सुझाव देना.
- सामुदायिक इंटरफेस पर सुझाव और परियोजना गतिविधियों में उनकी भागीदारी.
- संचालन समिति का कार्यकाल दो साल का होगा और आवश्यकता पड़ने पर क्षेत्र का दौरा करने के अलावा हर महीने कम से कम एक बैठक करेगी.
- कमेटी आवश्यकता पड़ने पर किसी भी विशेषज्ञ को परामर्श के लिए आमंत्रित कर सकती है.
- विशिष्ट आवश्यकता के अनुसार सलाह के लिए अंतर्राष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों के पैनल से परामर्श किया जाएगा या भारत आमंत्रित किया जाएगा.
- एनटीसीए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय उक्त समिति को कामकाज की सुविधा प्रदान करेगा.
- मौजूदा नियमों के अनुसार गैर-आधिकारिक सदस्यों के लिए यात्रा खर्च और अन्य आकस्मिक खर्च एनटीसीए द्वारा वहन किया जाएगा.
 

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17 सितंबर 2022 को पीएम ने 8 चीतों को छोड़ा था 

बता दें कि बीते साल 17 सितंबर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर नामीबिया से लाए गए 5 मांदा और 3 नर चीतों को कूनो नेशनल पार्क के बाड़ों में छोड़ दिया था. फरवरी 2023 में 12 चीतों का एक और ग्रुप दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था. 

 

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