
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को बदलते हुए शेल कंपनियों में निवेश और अपने करीबियों को गलत तरीके से खनन पट्टे देने में कथित अनियमितताओं के चलते सोरेन के खिलाफ दाखिल जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य नहीं माना है.
इस मामले सीजेआई यूयू ललित, न्यायमूर्ति रवींद्र भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की थी. फैसला जस्टिस सुधांशु धूलिया ने सुनाया. दरअसल, सीएम सोरेन और झारखंड सरकार ने हाई कोर्ट में इस मामले से संबंधित जनहित याचिका को झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई योग्य मान लिया था.
शिवशंकर शर्मा ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी जिसे हाईकोर्ट ने सुनवाई योग्य माना था. झारखंड हाईकोर्ट की ओर से दायर जनहित याचिका को सुनवाई योग्य माने जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन की याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया.
इसके बाद हेमंत सोरेन ने सुनवाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटिशन) दायर की थी.
SC ने HC में सुनवाई पर लगा दी थी अंतरिम रोक
सुप्रीम कोर्ट में 17 अगस्त को शेल कंपनियों में निवेश और अवैध खनन पट्टा आवंटन मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए हेमंत सोरेन को अंतरिम राहत दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और फैसला आने तक हाई कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी थी.
ED की दलील को SC ने कर दिया था खारिज
अगस्त में हुई सुनवाई में झारखंड वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने हाई कोर्ट में दाखिल पीआईएल की मेंटेनेबिल्टी पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि पीआईएल डराने के लिए दाखिल की गई है. याचिकाकर्ता के पिता की सोरेन परिवार के साथ पुरानी रंजिश रही है. वहीं ईडी के वकील ने कहा था कि खनन मामले में उसके पास पर्याप्त सबूत हैं, जिसके आधार पर याचिका सुनवाई पर जारी रखी जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की दलील को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि अगर ईडी के पास मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत हैं, तो वो खुद इसकी जांच कर सकती है. वह पीआईएल की आड़ में जांच के लिए कोर्ट का आदेश क्यों चाहती है? इसके बाद कोर्ट ने एसएलपी पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.