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2024 का सपना, 2047 का लक्ष्य और 3023 तक का जिक्र... PM मोदी के संबोधन की बड़ी बातें, 9 साल में आया इतना बदलाव

2024 के चुनाव से पहले और दूसरे कार्यकाल के आखिरी स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से दसवीं बार तिरंगा फहराने नरेंद्र मोदी पहुंचे. पीएम मोदी ने 90 मिनट का भाषण दिया. फिर अगले एक घंटे के भीतर विपक्ष उन्हें ग्यारहवीं बार लालकिले तक जाने से रोकने के के दावे करने लगा.

लालकिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लालकिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 6:43 AM IST

देश को आजाद हुए 76 वर्ष हो गए. मंगलवार को भारत ने अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाया. ऐसे में सुबह प्रधानमंत्री जब लालकिले पर भाषण देने पहुंचे तो उन्होंने एक हजार साल पहले शुरू हुई गुलामी से लेकर अब अगले एक हजार साल बाद तक देश के भविष्य की बात की. लाल किले पर 77वां स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम पूरे देश ने देखा. पूरे देश ने लालकिले से प्रधानमंत्री मोदी की 90 मिनट का भाषण सुना. पीएम ने सुप्रीम कोर्ट का जिक्र किया तो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को हाथ जोड़कर अभिवादन करते सारे देश ने देखा. 

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देश जानता है कि अभी 2023 चल रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में 3023 तक की यानी 1000 साल आगे की बात कर दी. प्रधानमंत्री ने भरोसे के साथ आज लालकिले से कहा कि अगली बार मैं ही आऊंगा. लेकिन विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री तिरंगा अगले साल फहराएंगे तो लेकिन अपने घर में. इसीलिए 90 मिनट के प्रधानमंत्री के भाषण की उस व्यूह रचना को समझते हैं, जिसमें 2024 का सपना है, 2047 का लक्ष्य है और 3023 तक की बात है. 

2024 के चुनाव से पहले और दूसरे कार्यकाल के आखिरी स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से दसवीं बार तिरंगा फहराने नरेंद्र मोदी पहुंचते हैं. 90 मिनट का भाषण देते हैं. फिर अगले एक घंटे के भीतर विपक्ष उन्हें ग्यारहवीं बार लालकिले तक जाने से रोकने के के दावे करने लगता है.

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लालकिले से दिलाया 2024 में दोबारा आने का भरोसा

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने लालकिले से कह दिया, 'आऊंगा तो मैं ही.' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि परिवर्तन का वादा मुझे यहां लाया. इसके बाद 2019 में परफॉर्मेंस के आधार पर आप सबने दोबारा आशीर्वाद दिया. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आने वाले पांच साल अभूतपूर्व विकास के हैं. पीएम बोले, '2047 के सपने को साकार करने का स्वर्णिम पल आने वाले पांच साल हैं और अगली बार 15 अगस्त को इसी लाल किले से मैं आपको देश की उपलब्धियां, आपके सामर्थ्य, आपके संकल्प में हुई प्रगति, उसकी जो सफलता है, उसके गौरवगान उससे भी अधिक आत्मविश्वास के साथ, आपके सामने में प्रस्तुत करूंगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ना तो कोई इफ है, ना कोई बट है, विश्वास बन चुका है. अब गेंद हमारे पाले में हैं. हमें अवसर जाने नहीं देना है. हमें मौका छोड़ने नहीं देना है. 

2047 तक विकसित भारत का वादा

प्रधानमंत्री ने कहा 2014 में परिवर्तन का वादा लेकर आया. 5 साल रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म के वादे पर विश्वास जीता. 2019 में जनता ने फिर मेरे प्रदर्शन के आधार पर जिताया. 2029 यानी अगले पांच साल 2047 के सपने को पूरा करने का स्वर्णिम पल है और 2047 तक देश को विकासशील से विकसित भारत बना देना है. यानी जब 2024 की बात विपक्षी गठबंधन कर रहा है. तब दूर के फायदे के लिए पास का नुकसान ना उठाने की नसीहत नागरिकों को लालकिले से नरेंद्र मोदी ने दे दी.  

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'आप मेरे परिवारजन हो...'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से कहा, 'मैं आपमें से आता हूं, मैं आपके बीच से निकला हूं, मैं आपके लिए जीता हूं, अगर मुझे सपना भी आता है तो आपके लिए आता है. अगर मैं पसीना भी बहाता हूं तो आपके लिए बहाता हूं, क्योंकि इसलिए नहीं कि आपने मुझे दायित्व दिया है. मैं इसलिए कर रहा हूं क्योंकि आप मेरे परिवारजन हो. परिवार के सदस्य के नाते मैं आपके किसी दुख को नहीं देख सकता.

48 बार 'परिवारजन' शब्द का प्रयोग

साल 2014 में मोदी ने खुद को जनता का प्रधानसेवक बताते हुए जो कहानी लालकिले से शुरू की थी 10वीं बार में वो आगे के पांच सालों के लिए परिवार का सदस्य बनकर सेवक के रूप में ही मांगी जा रही है. इस रणनीति को 90 मिनट के भाषण में देखें तो इस्तेमाल हुए शब्दों और उनकी संख्या का हिसाब समझा जा सकता है. अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने 48 बार परिवारजन शब्द का प्रयोग किया. समर्थ शब्द को 43 बार बोला, 35 बार महिला शब्द, संकल्प 19 बार, आजादी 16 बार, सरकार 15 बार, परिवारवाद 12 बार, विकास 12 बार, युवा 12 बार, भ्रष्टाचार 11 बार. 

सुनने में यह आंकड़ा भाषण का सामान्य हिस्सा लग सकता है. लेकिन ऐसा नहीं है. मेरे प्यारे देशवासियों के साथ संबोधन की शुरुआत करने वाले प्रधानमंत्री ने आज का भाषण 'मेरे प्यारे परिवारजनों'' के साथ शुरू किया. दरअसल 140 करोड़ नागरिकों को अपना परिवारजन बताना पीएम मोदी के भाषण की एक व्यूह रचना लगती है, जिसके जरिए 2024 के चुनाव में मतदाता तक संदेश पहुंच रहा है.

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अब इस 90 मिनट के भाषण को तीन हिस्से में समझते हैं.
 
पहला हिस्सा- जिसमें नरेंद्र मोदी इस बात पर जोर देते हैं कि 1000 साल पहले एक छोटी सी चूक से देश वर्षों वर्ष गुलाम रहा. प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमें याद है 1000-1200 साल पहले इस देश पर आक्रमण हुआ. एक छोटे से राज्य के छोटे से राजा का पराजय हुआ. लेकिन तब पता तक नहीं था कि एक घटना भारत को हजार साल की गुलामी में फंसा देगी.' राजनीतिक जानकार इसे कुछ इस नजरिए से देख रहे हैं कि कहीं इसके पीछे क्या मकसद ये बताना तो नहीं था कि- 2024 में एक चूक की तो फिर देश वर्षों पीछे चला जाएगा?  

3023 तक का दूरगामी मिशन...

90 मिनट के भाषण के दूसरे हिस्से में प्रधानमंत्री जोर देते हैं कि ऐसे वक्त के मोड़ पर भारत खड़ा है जहां दुविधा फैसला लेने में नहीं होनी चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि हम 1000 साल की गुलामी और आने वाले 1000 साल के भव्‍य भारत के बीच में अहम पड़ाव पर खड़े हैं. हम एक ऐसी संधि पर खड़े हैं और इसलिए अब हमें न रुकना है, न दुविधा में जीना है. कहीं इसके पीछे मकसद ये संदेश देना तो नहीं था कि अहम मुकाम पर खड़े देश में सही फैसला वोट देते वक्त भी जनता करे? 

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इसके बाद प्रधानमंत्री अपने 90 मिनट के भाषण के तीसरे हिस्से में जनता के सामने 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य रखते हैं और चौथे हिस्से में इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगले पांच साल बहुत जरूरी बताते हैं। 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मैं आज लालकिले से आपकी मदद मांगने आया हूं, मैं लालकिले से आपका आर्शीवाद मांगने आया हूं. आजादी के अमृतकाल में, 2047 में जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, उस समय दुनिया में भारत का तिरंगा-झंडा विकसित भारत का तिरंगा-झंडा होना चाहिए. यानी 2047 के सपने को साकार करने का सबसे बड़ा स्वर्णिम पल आने वाले 5 साल हैं. 

विपक्ष बोला- मोदी अपने घर झंडा फहराएंगे

बात सिर्फ प्रधानमंत्री के भाषण और दावों तक सीमित नहीं रही. पीएम के भाषण के एक घंटे के भीतर ही विपक्षी नेताओं के बयान आने लगे. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वो अगले साल फिर झंडा फहराएंगे, लेकिन अपने घर पर फहराएंगे. राजद प्रमुख लालू यादव कहते हैं कि मोदी अगली बार झंडा नहीं फहरा पाएंगे, आगे हम लोग आएंगे. तेजस्वी यादव ने कहा कि कोई भी यहां परमामेंट नहीं होता है. जिस प्रकार से देश में मैं ही मैं है, कोई है ही नहीं. वे अपने आगे किसी को समझ नहीं रहे हैं, ये गलतफहमी है. यानी विपक्ष स्पष्ट कह रहा है कि 2024 नरेंद्र मोदी का नहीं है. जनता मौका नहीं देगी.

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9 साल के शासन में कितना बदल गए मोदी...

इससे एक बात तो साफ है कि गेंद किस के पाले में है यह फैसला अभी कोई नहीं कर सकता. यह फैसला सिर्फ देश की जनता का ही होगा. लेकिन साथ ही आज प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में बदलाव को भी समझ लेते हैं. साल 2014 में जब प्रधानमंत्री बनकर नरेंद्र मोदी लालकिले से बोलने पहुंचे तो राजनीतिक प्रतिद्वंदियों पर नरम रहे थे. वो बहुमत में आने के बाद भी सहमति से चलने की बात कर रहे थे. लेकिन नौ साल बाद यानी 2023 में नरेंद्र मोदी जब लालकिले पर बोलने आते हैं तो तीन खांचे- परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण के भीतर सिमटी सियासत वाली पार्टियों से मुक्ति की बात करते हैं. 

2014 में नरम तेवर

2014 में विपक्षी दलों के लिए पीएम मोदी ने कहा था, 'आजादी के बाद देश आज जहां पहुंचा है, उसमें इस देश के सभी प्रधानमंत्रियों का योगदान है, इस देश की सभी सरकारों का योगदान है. इस देश के सभी राज्यों की सरकारों का भी योगदान है. पीएम ने कहा था कि यह मंच राजनीति का नहीं है. राष्ट्रनीति का मंच है और इसलिए मेरी बात को राजनीति के तराजू से न तोला जाए. मैंने पहले ही कहा है, मैं सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों, पूर्व सरकारों का अभिवादन करता हूं, जिन्होंने देश को यहां तक पहुंचाया. 

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2023 में विपक्ष पर तीखा वार 

9 साल सरकार चलाने के बाद 15 अगस्त 2023 को जब पीएम मोदी बोलने आए तो उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथों लिया. पीएम मोदी ने कहा, अब लोकतंत्र में ये कैसे हो सकता है कि पॉलिटिकल पार्टी और मैं विशेष बल दे रहा हूं पॉलिटिकल पार्टी, आज मेरे देश के लोकतंत्र में एक ऐसी विकृति आई है जो कभी भारत के लोकतंत्र को मजबूती नहीं दे सकती और वो क्‍या है बीमारी, परिवारवादी पार्टियां. और उनका तो मंत्र क्‍या है, पार्टी ऑफ द फैमिली, बाय द फैमिली एंड फॉर द फैमिली. इनका तो जीवन मंत्र यही है कि उनकी पॉलिटिकल पार्टी, उनका राजनीतिक दल परिवार का, परिवार के द्वारा और परिवार के लिए. परिवारवाद और भाई-भतीजावाद प्रतिभाओं के दुश्‍मन होते हैं, योग्‍यताओं को नकारते हैं, सामर्थ्‍य को स्वीकार नहीं करते हैं. इसलिए परिवारवाद की इस देश के लोकतंत्र की मजबूती के लिए उसकी मुक्ति जरूरी है.

यानी नौ साल के भाषणों को सुनने के बाद ये दिखता है कि दसवीं बार में विपक्ष के ऊपर सीधा वार प्रधानमंत्री ने तब किया है, जब देश चुनावी मोड में आने को है.

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