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नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने ड्रग्स तस्करी की अब तक की सबसे बड़ी खेप पकड़ी है. ड्रग्स का ये सिंडीकेट डॉर्कनेट पर संचालित किया जा रहा था. एनसीबी को इस खेप में लिसर्जिक एसिड डायथाइलैमाइन (LSD) के 15 हजार ब्लॉट्स मिले हैं. ब्लॉट्स को एलएसडी ब्लोटर भी कहा जाता है. यह एक शोषित करने वाला कागज होता है. जिस पर नशा करने के लिए तरल एलएसडी को भिगोया जाता है.
यह एलएसडी की पिछले दो दशकों में अब तक की सबसे बड़ी जब्ती है. एनसीबी ने ड्रग्स की खेप के साथ 6 लोगों को भी गिरफ्तार किया है. एनसीबी के उप महानिदेशक ज्ञानेश्वर सिंह ने बताया एलएसडी को व्यावसायिक तौर पर महज 0.1 ग्राम ही इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि पकड़ी गई खेप की मात्रा इससे ढाई हजार गुना ज्यादा है. यह एक सिंथेटिक दवा है, जो बेहद खतरनाक है. इस कार्रवाई के दौरान दो अलग-अलग मामलों में 6 लोगों को गिरफ्त में लिया गया है.
देश से लेकर विदेश तक फैला है नेटवर्क
एनसीबी के एक अधिकारी न्यूज एजेंसी को बताया कि यह ड्रग नेटवर्क पोलैंड, नीदरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा राजस्थान, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर सहित भारत के कई राज्यों में फैला हुआ था.
ढाई किलो गांजा भी बरामद किया
उन्होंने आगे बताया कि इस जब्ती के साथ ही 2.5 किलोग्राम गांजा और 4.65 लाख रुपये बरामद किए गए हैं. इसके अलावा बैंक खातों में जमा 20 लाख रुपए के बारे में भी जानकारी मिली है. उन्होंने आगे बताया कि यह दवा पोलैंड, नीदरलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका से भारत में आयात की जाती थी. मादक पदार्थों की तस्करी का नेटवर्क डार्कनेट पर सक्रिय था और भुगतान क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से किया जाता था.
रंगहीन और गंधहीन होता है एलएसडी
उन्होंने आगे कहा कि एलएसडी गंधहीन और स्वादहीन होता है और इसका पता लगाना मुश्किल होता है, क्योंकि इसे किताबों की मदद से ले जाया जा सकता है. उन्होंने चिंता जताई कि यह दवा देश में युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रही है.
गृहमंत्री का भी आया बयान
एनसीबी के एक्शन के बाद इस मामले पर गृहमंत्री अमित शाह का भी बयान आया है. उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी के नशा मुक्त भारत बनाने के विजन के साथ एनसीबी की टीम ने एक अंतरराष्ट्रीय नारकोटिक्स सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है. एलएसडी ड्रग के 15,000 ब्लोट्स जब्त किए हैं. एनसीबी की टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई. साइबर सतर्कता और मानव बुद्धि के बीच महान समन्वय ने इसे संभव बना दिया है, क्योंकि इन दवाओं का व्यापार करने के लिए डार्क नेट और क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग किया जाता था.