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बिहार: महागठबंधन सरकार में शामिल इस पार्टी ने कृषि मंत्री के इस्तीफे के बाद रखी मांग

बिहार सरकार में शामिल सीपीआई (माले) के विधायक महबूब आलम ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने महागठबंधन सरकार को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक कोर्डिनेशन कमेटी बनाए जाने की मांग रखी. हाल ही में कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद ये मांग और तेज हो गई है.

नीतीश कुमार (फाइल फोटो) नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 1:52 PM IST

बिहार की महागठबंधन में शामिल CPIML(L) ने बुधवार को मांग रखी है कि सरकार को सही और शांत तरीके से चलाने के लिए तुरंत प्रभाव से एक कोर्डिनेशन कमेटी बनानी चाहिए. दरअसल हाल ही में आरजेडी कोटे से मंत्री बने सुधाकर सिंह ने इस्तीफा दिया था, जिसके बाद कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माले) ने अपनी मांग फिर दोहराई है.  

सीपीआई (माले) के विधायक महबूब आलम ने न्यूज एजेंसी को बताया कि आरजेडी कोटे के मंत्री सुधाकर सिंह के इस्तीफा देने के बाद उन्होंने हाल ही में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी और उनसे मांग की थी कि सरकार को सुचारू तरीके से चलाने के लिए जल्द से जल्द कोर्डिनेशन कमेटी बनाई जाए.  

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आलम ने बताया कि डिप्टी सीएम ने कहा कि CPIML(L) की ओर कमेटी में शामिल होने वाले लोगों के नाम दिए जाएं. उन्होंने मुझे आश्वस्त किया है कि इसको लेकर एक कमेटी जल्द ही बनाई जाएगी. विधायक ने बताया कि इस कोर्डिनेशन कमेटी में प्रत्येक पार्टी के कम से कम दो सदस्य होंगे. माले विधायक ने कहा कि अन्य गठबंधन सहयोगियों के नेताओं को भी समिति के लिए अपने प्रतिनिधियों के नाम देने के लिए कहा जाएगा. 

महागठबंधन में शामिल हैं 7 दल

बता दें कि बिहार की महागठबंधन सरकार में सात पार्टियां शामिल हैं. इनमें जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआईएमएल (एल), सीपीआई (एम), सीपीआई, एचएएम शामिल हैं. बिहार विधानसभा के 243 सदस्यों में से इन पार्टियों में 160 विधायक हैं. नीतीश कैबिनेट में शामिल सुधाकर सिंह, जिनके पास कृषि विभाग था, उन्होंने विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाकर सरकार के कृषि रोडमैप पर सवाल उठाए थे. उसके बाद उन्होंने बीते रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

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सुधाकर को नहीं उठाने चाहिए थे सवाल: महबूब आलम

इस पर महबूब आलम ने कहा कि वह नीतीश सरकार का हिस्सा थे, इसलिए उन्हें कामकाज पर सवाल नहीं उठाने चाहिए थे. इस तरह के कृत्यों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इसलिए बिहार में महागठबंधन सरकार के गठन के तुरंत बाद हमने एक कोर्डिनेशन कमेटी के गठन की मांग की थी और सरकार के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के लिए कहा था. 

कोर्डिनेशन कमेटी के पक्ष में सीपीआई

सीपीआई के सीनियर नेता अतुल कुमार अंजान ने कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही समन्वय समिति के गठन के पक्ष में रही है. उन्होंने कहा कि हमारे नेता राम नरेश पांडे, केदार पांडे और एमएलसी संजय सिंह ने सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री से मुलाकात की और इस विचार का प्रस्ताव रखा था. 

उन्होंने कहा कि हाल ही के घटनाक्रम की मांग है कि हमारे पास एक कोर्डिनेशन कमेटी होनी चाहिए. सीएम इस विचार के खिलाफ नहीं थे. अब इसकी जरूरत है क्योंकि दो उपचुनाव (मोकामा और गोपालगंज) हैं. सुधाकर सिंह के इस्तीफे को लेकर उन्होंने कहा कि सिंह जैसे लोगों को मंत्री पद की आकांक्षा नहीं रखनी चाहिए थी. उन्हें सरकार का अपमान नहीं करना चाहिए और विपक्ष को ढोल पीटने का मौका नहीं देना चाहिए.  

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