
बिहार में सरकार बदलते ही नियम भी बदलने शुरू हो गए हैं. अब बिहार में भी केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की एंट्री बंद हो गई है. यानी, अब वहां पर सीबीआई की एंट्री तभी होगी, जब राज्य सरकार चाहेगी.
कानूनन सीबीआई को किसी मामले की जांच करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति जरूरी होती है. हालांकि, जब तक वहां जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन की सरकार थी, तब तक सीबीआई की एंट्री हो जाती थी, लेकिन अभी वहां सीबीआई को जांच करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी जरूरी होगी.
बिहार में सीबीआई की एंट्री बंद होने पर बीजेपी ने सवाल उठाए हैं. बीजेपी का कहना है कि ऐसा करके नीतीश सरकार आरजेडी के 'भ्रष्ट' नेताओं को बचा रही है. वहीं, सरकार का कहना है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है और राजनीतिक बदले की भावना से इस्तेमाल कर रही है.
बिहार में इसी महीने सरकार बदल गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना ली. इससे पहले जुलाई 2017 में नीतीश ने महागठबंधन का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. बिहार में अब महागठबंधन की सरकार है, जिसमें जेडीयू और आरजेडी के अलावा कांग्रेस, सीपीआईएमएल (एल), सीपीआई, सीपीआई (एम) और हम पार्टी शामिल है. इनके पास बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 160 से ज्यादा सीटें हैं.
तो क्या अब सीबीआई एंट्री नहीं कर सकेगी?
नहीं. सीबीआई भले ही केंद्र सरकार के अधीन है, लेकिन ये तभी किसी मामले की जांच करती है, जब हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट या केंद्र से आदेश मिलता है. अगर मामला किसी राज्य का है, तो जांच के लिए वहां की राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है.
ऐसा इसलिए क्योंकि, सीबीआई का गठन दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट एक्ट 1946 के तहत हुआ है. इस कानून की धारा 6 के मुताबिक, सीबीआई को किसी मामले की जांच करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी जरूरी है.
इसका मतलब ये हुआ कि अगर सीबीआई को बिहार में अब किसी मामले की जांच करनी है, तो राज्य सरकार की अनुमति लेनी जरूरी है. पहले भी ऐसा था, लेकिन सरकार में बीजेपी भी शामिल थी, इसलिए अनुमति आसानी से मिल जाती थी.
लेकिन यहां एक पेंच है. अगर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट सीबीआई को जांच करने का आदेश देती है, तो फिर एजेंसी को राज्य सरकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी.
क्या बाकी एजेंसियों को भी मंजूरी लेनी होती है?
सीबीआई को तो राज्य सरकार की अनुमति लेनी होती है. लेकिन केंद्र की बाकी एजेंसियों को ऐसी जरूरत नहीं पड़ती. चाहे नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) हो या प्रवर्तन निदेशालय (ED) हो. ये एजेंसियों पूरे देश में कहीं भी जाकर जांच कर सकतीं हैं. इन्हें राज्यों में जांच करने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी की जरूरत नहीं होती.
सीबीआई की एंट्री कहां-कहां बैन है?
अब तक 9 राज्यों में सीबीआई की एंट्री बैन हो चुकी है. इनमें बिहार के अलावा पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, केरल, झारखंड और मेघालय जैसे राज्य शामिल हैं.
इन राज्यों ने सीबीआई को जांच के लिए दी जाने वाली 'सामान्य सहमति' को हटा दिया है. इन राज्यों में अगर किसी मामले की जांच सीबीआई को करनी है, तो राज्य सरकार से पूछना होगा.
जिन राज्यों में 'सामान्य सहमति' नहीं दी गई है या फिर जहां विशेष मामलों में सामान्य सहमति नहीं है, वहां DSPE एक्ट की धारा 6 के तहत राज्य सरकार की विशेष सहमति जरूरी है.
लालू परिवार के खिलाफ जांच कर रही थी सीबीआई
सीबीआई ने पिछले हफ्ते 24 अगस्त को बिहार समेत दिल्ली-एनसीआर के 27 ठिकानों पर छापा मारा था. ये छापेमारी लैंड फॉर जॉब स्कैम यानी जमीन के बदले नौकरी के सिलसिले में हुई थी.
ये घोटाला 14 साल पुराना है. सीबीआई के मुताबिक, लोगों को पहले रेलवे में ग्रुप डी के पदों पर पहले सब्स्टिट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया और फिर जब उनके परिवार वालों ने जमीन दी, तब उन्हें रेगुलर कर दिया गया. ये सारा खेल तब हुआ था, जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे. लालू यादव यूपीए सरकार में 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे.
सीबीआई का कहना है कि पटना में लालू यादव के परिवार का 1.05 लाख वर्ग फीट जमीन पर कथित तौर पर कब्जा है. इन जमीनों का सौदा नकद में हुआ था. सीबीआई के मुताबिक, ये जमीनें मार्केट रेट से बेहद कम दाम में खरीदी गई थीं.
इस मामले में सीबीआई ने इसी साल 18 मई को केस दर्ज किया था. इस मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा और हेमा यादव को आरोपी बनाया गया है.