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बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई पर कांग्रेस हमलावर, राहुल बोले- 'PM की कथनी और करनी में अंतर'

गुजरात के बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों को जेल से रिहा करने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर हमला बोला है. राहुल ने इसे प्रधानमंत्री की कथनी और करनी में अंतर बताया है. इसके साथ ही प्रियंका गांधी ने भी प्रधानमंत्री से पूछा है कि स्त्री का सम्मान केवल भाषणों के लिए है?

राहुल गांधी (फाइल फोटो) राहुल गांधी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 2:24 PM IST

बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने जेल से रिहा कर दिया. इसको लेकर विपक्ष लगातार बीजेपी सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को गुजरात के बिलकिस बानो मामले के दोषियों की रिहाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि पूरा देश उनकी बातों और कामों में अंतर देख रहा है. उन्होंने पूछा कि ऐसे फैसलों से देश की महिलाओं को क्या संदेश जा रहा है? 

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राहुल गांधी ने ट्वीट किया, "5 महीने की गर्भवती महिला से बलात्कार और उनकी 3 साल की बच्ची की हत्या करने वालों को 'आज़ादी के अमृत महोत्सव' के दौरान रिहा किया गया. नारी शक्ति की झूठी बातें करने वाले देश की महिलाओं को क्या संदेश दे रहे हैं? प्रधानमंत्री जी, पूरा देश आपकी कथनी और करनी में अंतर देख रहा है."  

प्रियंका गांधी ने पूछा पीएम से सवाल 

राहुल गांधी के साथ प्रियंका ने भी प्रधानमंत्री मोदी से सवाल पूछा है. उन्होंने पूछा कि अपराधियों की बीजेपी सरकार द्वारा रिहाई और कैमरे के सामने स्वागत क्या पीड़ित के साथ अन्याय नहीं है. प्रियंका ने ट्वीट किया, "एक गर्भवती महिला के साथ गैंगरेप और उसकी बच्ची की हत्या के अपराध में सभी अदालतों से सजा पा चुके अपराधियों की भाजपा सरकार द्वारा रिहाई, कैमरे के सामने स्वागत- क्या अन्याय व संवेदनहीनता की पराकाष्ठा नहीं है? @narendramodi जी स्त्री का सम्मान केवल भाषणों के लिए? महिलाएं पूछ रही हैं.  

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पवन खेड़ा ने जारी किया बयान 

वहीं इसके अलावा कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी बयान जारी कर कहा कि दोषियों की रिहाई से जुड़े हुए कुछ और तथ्य सामने आए हैं. खेड़ा ने कहा कि गुजरात सरकार का दावा है कि उसने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अभियुक्तों को रिहा किया, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को 3 महीने के भीतर रिहाई पर विचार करने को कहा था. इसलिए बलात्कार एवं हत्या के अभियुक्तों को रिहा करने का फैसला पूर्ण रूप से कार्यपालिका का है. 

पवन खेड़ा ने पूछा- किस नीति के तहत फैसला 

इसके अलावा किस नीति के तहत ये फैसला लिया गया है, इसको लेकर भी पवन खेड़ा ने सवाल पूछा. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि गुजरात सरकार ने 1992 की नीति के तहत रिहाई का फैसला लिया, लेकिन सच्चाई ये है कि 2013 में ही इस नीति को गुजरात में समाप्त कर दिया गया था. गुजरात सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट पर भी 1992 की नीति का कोई जिक्र नहीं है. इसके साथ ही 2014 के केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा निर्देशों के अनुसार भी हत्या, सामूहिक बलात्कार जैसे मामलों में अभियुक्तों की क्षमा या रिहाई पर रोक लगाई है. 

राज्य सरकार लेती है केंद्र से अनुमति 

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इसके साथ ही सबसे महत्वपूर्ण कानूनी तथ्य यह है कि ऐसे किसी भी अपराध जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी द्वारा की गई हो, जैसे इस प्रकरण में सीबीआई द्वारा जांच की गई तो राज्य सरकार दोषियों की रिहाई या क्षमा का निर्णय नहीं ले सकती. पवन खेड़ा ने उदाहरण देते हुए बताया कि CRPC की धारा 435 के तहत किसी की भी रिहाई के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होती है. जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने का फैसला लिया था तब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था.  

ऐसे में हम केंद्रीय गृह मंत्री एवं प्रधानमंत्री से जानना चाहते हैं कि क्या गुजरात सरकार ने रिहाई देते समय आपकी अनुमति ली थी? अगर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली थी तो क्या गुजरात सरकार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी? साथ ही हमारे कुछ सवाल गुजरात सरकार से भी हैं. 

गुजरात सरकार से भी पूछे सवाल 

पवन खेड़ा ने इस मामले में जुड़े कुछ सवाल गुजरात सरकार से भी पूछे हैं. खेड़ा ने पूछा कि 1992 की नीति को 2013 में समाप्त कर दिया गया था. क्या इस बात को सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया गया था. इसके अलावा जेल सलाहकार समिति में कौन-कौन लोग हैं, जिन्होंने इन आरोपियों को क्षमा करने की सिफारिश की. 

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क्या थी पूरी घटना 

गुजरात में 2002 में हुए गोधरा कांड के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप केस में दोषी सभी 11 कैदियों को 16 अगस्त को रिहा कर दिया गया. गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत 15 साल की सजा काटने के बाद सभी दोषियों को रिहा कर दिया है. दोषियों पर बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप करने और उसके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या करने का इल्जाम था और 2008 में सभी को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.  

 

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