
बिलकिस बानो ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के मई में दिए उस आदेश के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल की है, जिसमें रिहाई का फैसला गुजरात सरकार पर छोड़ दिया था. इसके अलावा बिलकिस बानो ने सभी दोषियों की रिहाई के खिलाफ भी याचिका दाखिल की है.
इतना ही नहीं बिलकिस की ओर से कहा गया है कि इस मामले में रिहाई की नीति महाराष्ट्र की लागू होनी चाहिए, न कि गुजरात की. बिलकिस का कहना है कि क्योंकि कानून के मुताबिक, समुचित सरकार का मतलब इस मामले में महाराष्ट्र सरकार है ना कि गुजरात सरकार. क्योंकि महाराष्ट्र में ही यह मामला सुना गया और सजा भी यहीं सुनाई गई.
क्या है मामला?
27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था. इस ट्रेन से कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे. इससे कोच में बैठे 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी. इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे. दंगों की आग से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गई थीं.
बिलकिस बानो और उनका परिवार जहां छिपा था, वहां 3 मार्च 2002 को 20-30 लोगों की भीड़ ने तलवार और लाठियों से हमला कर दिया. भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया. उस समय बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थीं. इतना ही नहीं, उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी. बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को दिया था अधिकार
इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने 11 को दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इनमें से एक दोषी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर रिमिशन पॉलिसी के तहत रिहा करने की मांग की थी. गुजरात हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. इसके बाद दोषी गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में गुजरात सरकार फैसला करे. कोर्ट के निर्देश पर ही गुजरात सरकार ने रिहाई पर फैसला लेने के लिए एक कमेटी बनाई. कमेटी की सिफारिश पर गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा करने का फैसला किया.
सुप्रीम कोर्ट में दी गई फैसले को चुनौती
बिलकिस बानो केस में आरोपियों को बरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पहले से सुनवाई चल रही है. इससे पहले रिहाई के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं. सभी याचिकाओं में दोषियों की रिहाई के गुजरात सरकार के आदेश को तत्काल रद्द कर दोषियों को जेल भेजने की मांग की गई है. इनपर सुनवाई जारी है.