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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से दो दिनों के पश्चिम बंगाल दौरे पर हैं, उम्मीद के मुताबिक प्रधानमंत्री शाहजहां शेख और संदेशखाली पर विपक्ष को घेरा और इस मामले में इंडिया गठबंधन की चुप्पी पर सवाल उठाया.प्रधानमंत्री ने हुगली के आरामबाग में सभा को संबोधित किया, 7200 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी भी दिखाई और ये दावा किया कि बंगाल में सभी सीटों पर कमल खिलेगा.
चुनाव के मद्देनज़र ही कल भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय चुनाव कमेटी की बैठक हुई थी. इसमें 17 राज्यों की लोकसभा सीटों पर देर रात 11 बजे से 3:15 तक, करीब 4 घंटे तक मंथन हुआ. इस बैठक में PM मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह के अलावा BJP शासित राज्यों के CM भी मौजूद थे. इसमें NDA की सहियोगी पार्टियों के साथ सीट बंटवारे पर भी बात हुई. तकरिबन चार घंटे की मीटिंग से बाहर क्या निकलकर आया.
वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया राज्य दर राज्य सीटों को बंटवारा किए जा रही है, दिल्ली, उत्तरप्रदेश के बाद महाराष्ट्र में भई सहमती बन गई है. राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से उद्धव ठाकरे की शिवसेना 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, कांग्रेस को 18 और शरद पवार की NCP को 10 सीटें मिली हैं, अभी इन नंबर्स को ऑफ़िशयली अनाउंस नहीं किया गया है और अभी साथी पार्टियों के साथ इसका सब डिविज़न भी होना है, ये सबकुछ कैसे तय हुआ, सुनिए 'दिन भर' में,
असम में CAA का विरोध
पॉलिटिकल पार्टियां सीटों के बंटवारे में लगी हैं, वहीं एक काम है जिसे सरकार मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट शुरू होने से पहले कर देना चाहती है और वो है देशभर में नागरिकता संशोधन क़ानून यानी CAA लागू करना. इसको लेकर कुछ दिनों पहले मीडिया सोर्सेज़ के हवाले से ख़बर चली कि गृहमंत्रालय जल्द ही इसे लेकर नोटिफ़िकेशन जारी किया जाएगा. गृह मंत्री भी अपनी सभाओं में इसका एलान करते रहते हैं.
इन्हीं सब चीज़ों के चलते असम में CAA के खिलाफ ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन समेत 30 से अधिक संगठनों ने प्रदर्शन करना तय किया है. चार मार्च को मशाल जुलूस निकाला जाएगा, 8 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य का दौरा भी करने वाले हैं, उस दिन भी CAA के विरोध में प्रदर्शन करने के दौरान मारे गए लोगों की तस्वीरों के साथ संगठन के लोग सड़कों पर उतरेंगे, प्रदर्शनकारियों की मांगें क्या है और क्या इनके पास राजनीतिक पार्टियों का भी समर्थन है, सुनिए 'दिन भर' में,
दुनिया में आज़ादी घट रह है?
पिछले साल इसी महीने एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत डेमोक्रेसी की लिस्ट में फ्री से पार्शियली फ्री कैटिगरी में चला गया है, मतलब देश में लोगों की आज़ादी कम हुई है. ये रिपोर्ट थी अमेरिकी NGO फ्रीडम हाउस की, इस साल भी उसकी एक रिपोर्ट आई है, इस बार इसने कहा है कि पिछले 18 साल से लगातार दुनियाभर में फ्री नेशन की संख्या कम हुई है, नॉट फ्री और पार्शियली फ्री की संख्या बढ़ी है. इसे तय करने के कुछ पैमाने होते हैं, जैसे- फ़ेयर इलेक्शन, वायलेंस, Pluralism… पिछली बार 2005 में ऐसा देखा गया था कि 83 देश ऊपर की ओर चढ़े थे और 53 देश नीचे खिसके थे, उसके बाद से इस लिस्ट में नीचे खिसकने वालों कीं संख्या ज़्यादा ही रही है. इस साल दुनिया के 64 देशों में चुनाव होने हैं, कुछ में हो भी चुके हैं, हमारे देश में होने वाले हैं, तो माना जा रहा है कि इस लिहाज़ दुनिया के लिए ये साल बेहद अहम है, इस लिस्ट में भी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं, 2024 के अंत तक दुनिया में आज़ादी कम होगी या बढ़ेगी, सुनिए 'दिन भर' में,