
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं. अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. न शिद्दत की ठंड देख रहे हैं, ना दिन देख रहे हैं, ना रात देख रहे हैं. अब महिलाएं और बच्चे भी इस आंदोलन से जुड़ते जा रहे हैं. अन्नदाता कह रहे हैं जबतक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता, आंदोलन जारी रहेगा.
लेकिन किसान आंदोलन को लेकर तरह-तरह की बातें भी चल रही हैं. कोई कह रहा है इस आंदोलन में देश-विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं. कुल मिलाकर कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को लेकर तमाम तरह की बयानबाजी हो रही हैं. ऐसे में किसान आंदोलन से जोड़कर सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है. वीडियो में सड़क पर कुछ लोग एक आदमी को खदेड़ते हुए दिख रहे हैं. आदमी के साथ मारपीट भी हो रही है और एक पुलिसकर्मी आदमी को पकड़कर कहीं ले जाता हुआ नजर आ रहा हैं.
वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि ये एक बीजेपी नेता है जो किसान आंदोलन में शामिल हो कर देश-विरोधी नारे लगा रहा था और इसी वजह से किसानों ने इसकी पिटाई की. दावे में आदमी का नाम उमेश सिंह बताया गया है और कहा जा रहा है कि बीजेपी सरकार किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रच रही है. कुछ पोस्ट में ये भी दावा है कि ये आदमी पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहा था.
वीडियो को देखकर हैरानी हुई. लेकिन, वायरल पोस्ट हो या वायरल वीडियो, किसी पर भी सीधे यकीन नहीं करना चाहिए. बड़ी जिम्मेदारी के साथ, इसका सच का पता लगाना चाहिए, ताकि देश को वायरल हो रही, तस्वीरों या वीडियो का सच पता चल सके. लिहाज़ा हमने बीजेपी नेता की पिटाई के नाम से वायरल हो रहे, वीडियो का भी वायरल टेस्ट किया. वीडियो को पोस्ट करते हुए लोग कैप्शन में लिख रहे हैं कि किसान आंदोलन में शामिल होकर देश विरोधी नारे लगाते भाजपा नेता उमेश सिंह को किसानों ने पकड़कर जूतों से मारा. किसान आंदोलन को बदनाम करने की साज़िश कर रही है भाजपा सरकार. अगर वाकई ये सच्चाई है, तो ये बहुत गलत हो रहा है. हमने इस वीडियो की पड़ताल शुरू कर दी.
वीडियो को इन-विड टूल की मदद से रिवर्स सर्च करने पर हमें एक न्यूज वेबसाइट की एक खबर मिली. इस खबर में वायरल वीडियो की एक तस्वीर मौजूद थी. खबर में बताया गया है कि दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में एक आदमी मीडियाकर्मियों के साथ बदतमीजी कर रहा था. इसी के चलते किसान नेता राकेश टिकैत सहित कुछ किसानों ने इस शख्स की पिटाई की और पुलिस के हवाले कर दिया.
कुछ कीवर्ड की मदद से हमें इस वीडियो को लेकर एक और खबर मिली. इस खबर में भी यही जानकरी थी कि युवक को मीडियाकर्मियों से बदतमीजी करने पर पीटा गया. इस संबंध में जब खबर लिखने वाले संवाददाता से बात हुई तो उन्होंने कहा कि वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है. हिमांशु के मुताबिक, वे 14 दिसंबर को घटनास्थल पर मौजूद थे और इस शख्स ने एक निजी चैनल के रिपोर्टर के साथ बदसुलूकी की थी, रिपोर्टर के आपत्ति जताने के बाद किसानों ने आदमी को खदेड़ कर गाजियाबाद पुलिस के हवाले कर दिया. संवाददाता का कहना था कि इस युवक का नाम अरुण कुमार है और ये बात अफवाह है कि इसने देशविरोधी नारे लगाए थे.
इस घटना को लेकर हमें एक अखबार की क्लिपिंग भी मिली. इस खबर में भी यही सूचना दी गई है और शख्स का नाम अरुण कुमार बताया गया है. हमें ऐसी कोई खबर या कोई सूचना भी नहीं मिली जिससे पता चले कि ये शख्स बीजेपी का नेता है. वायरल टेस्ट की टीम ने घटना की पुष्टि करने के लिए गाजियाबाद पुलिस से भी संपर्क किया. हमें एसएचओ मोहम्मद असलम ने ये बात पुख्ता की है कि इस आदमी को मीडिया के साथ बदतमीजी करने पर पीटा गया था, न कि देशविरोधी नारे लगाने पर. साथ ही असलम के अनुसार, अभी तक ऐसी कोई जानकारी सामने नहीं आई है कि यह शख्स बीजेपी का नेता है.
वीडियो में जिस युवक को लोग पीट रहे हैं उसका नाम अरुण कुमार है जिसे मीडियाकर्मियों के साथ बदतमीजी करने पर किसानों ने खदेड़ा था और किसान आंदोलन में बीजेपी नेता के देशविरोधी नारे लगाने की खबर गलत है.
वायरल टेस्ट टीम, आजतक