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'गोरखाओं का बीजेपी पर भरोसा खत्म हो रहा', दार्जिलिंग से भाजपा MLA का गोरखालैंड मुद्दे पर पीएम मोदी को पत्र

गोरखा समुदाय के प्रति भाजपा की प्रतिबद्धता, खासतौर पर 'गोरखा का स्वप्न मेरा स्वप्न' नारे की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए जिम्बा ने यह भी कहा कि ये केवल एक नारा नहीं था, ये एक गंभीर प्रतिज्ञा थी. राज्य में लोगों का भाजपा पर से भरोसा उठ रहा है, इस पर चिंता जताते हुए जिम्बा ने चेतावनी दी कि गोरखा न केवल भाजपा सरकार से उम्मीद खो रहे हैं, बल्कि इससे भी अधिक खतरनाक बात ये है कि वे धैर्य भी खो रहे हैं.

बीजेपी विधायक नीरज जिम्बा बीजेपी विधायक नीरज जिम्बा
सूर्याग्नि रॉय
  • नई दिल्ली,
  • 26 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 8:42 PM IST

दार्जिलिंग से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक नीरज जिम्बा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर लंबे समय से चले आ रहे गोरखालैंड मुद्दे के स्थायी राजनीतिक समाधान के लिए तत्काल बातचीत शुरू करने का आग्रह किया है. अपने पत्र में जिम्बा ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भारतीय गोरखाओं से किए गए वादों को पूरा करने की मांग की है, साथ ही समुदाय के भीतर बढ़ते मोहभंग का भी जिक्र किया है.

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जिम्बा ने अपने पत्र में लिखा कि इतिहास आपको न केवल गोरखा सपने की बात करने वाले प्रधानमंत्री के रूप में याद रखे, बल्कि इसे पूरा करने वाले नेता के रूप में भी याद रखे. यह दर्ज किया जाना चाहिए कि इस निर्णायक क्षण में, जब लाखों लोगों का भाग्य आपके हाथों में था, आपने देरी के बजाय न्याय, उदासीनता के बजाय कार्रवाई और सुविधा के बजाय सत्य को चुना. 

गोरखा समुदाय के प्रति भाजपा की प्रतिबद्धता, खासतौर पर 'गोरखा का स्वप्न मेरा स्वप्न' नारे की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए जिम्बा ने यह भी कहा कि ये केवल एक नारा नहीं था, ये एक गंभीर प्रतिज्ञा थी. राज्य में लोगों का भाजपा पर से भरोसा उठ रहा है, इस पर चिंता जताते हुए जिम्बा ने चेतावनी दी कि गोरखा न केवल भाजपा सरकार से उम्मीद खो रहे हैं, बल्कि इससे भी अधिक खतरनाक बात ये है कि वे धैर्य भी खो रहे हैं. 

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बीजेपी विधायक ने कहा कि वर्षों से बना गोरखाओं का भरोसा अब एक नाजुक धागे से बंधा हुआ है. उन्होंने दार्जिलिंग हिल्स और आसपास के क्षेत्रों की भू-राजनीतिक कमजोरियों पर प्रकाश डालते हुए चेतावनी दी कि दार्जिलिंग हिल्स और इसके आसपास के क्षेत्र अपनी कमजोर भू-राजनीतिक स्थिति के कारण धीरे-धीरे संदिग्ध ताकतों और तत्वों का केंद्र बनते जा रहे हैं. राजनीतिक संकल्प और जुड़ाव की कमी ने एक खतरनाक शून्य पैदा कर दिया है, जिसका अब फायदा उठाया जा रहा है. यह अत्यंत राष्ट्रीय चिंता का विषय है. 

जिम्बा ने गोरखा नेता सुभाष घीसिंग की विरासत का भी जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय गोरखाओं के लिए राजनीतिक सम्मान और राष्ट्रीय पहचान का उनका सपना अभी भी अधूरा है. जिम्बा ने लिखा कि उन्होंने एक ऐसे दिन का सपना देखा था जब भारतीय गोरखाओं को अपनी ही धरती पर विदेशी नहीं समझा जाएगा, लेकिन उनका सपना अभी भी अधूरा है. 

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