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'झारखंड के कुछ स्कूलों में शुक्रवार को हो रही छुट्टी', BJP सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में उठाया मुद्दा

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने शुक्रवार को झारखंड के कुछ क्षेत्रों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जहां मुस्लिम बहुल इलाकों के कुछ स्कूल रविवार के बजाय शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश रखते हैं. लोकसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए निशिकांत दुबे ने कहा कि केंद्र या राज्य सरकार की ओर से ऐसा कोई आदेश नहीं है.

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में उठाया झारखंड के स्कूलों का मुद्दा बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में उठाया झारखंड के स्कूलों का मुद्दा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 11:03 PM IST

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने शुक्रवार को झारखंड के कुछ क्षेत्रों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जहां मुस्लिम बहुल इलाकों के कुछ स्कूल रविवार के बजाय शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश रखते हैं. 

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए निशिकांत दुबे ने कहा कि केंद्र या राज्य सरकार की ओर से ऐसा कोई आदेश नहीं है. उन्होंने कहा, 'मैं केंद्र सरकार से संबंधित जिलाधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और उचित कार्रवाई करने का अनुरोध करता हूं.' 

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उठाया था आदिवासियों की घटती आबादी का मुद्दा

इससे पहले झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में आदिवासियों की घटती आबादी का मुद्दा उठाया था. उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत 'संविधान खतरे में है' से की थी और कहा था कि हम यहां दलितों की बात करते हैं, आदिवासी की बात करते हैं. कहीं किसी की भी सरकार हो, उसका एकमात्र लक्ष्य यही है कि अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना है. 

बीजेपी सांसद ने कहा था कि जिस संथाल परगना से आता हूं, वह जब बिहार से झारखंड अलग हुआ तब आदिवासियों की आबादी 36 परसेंट थी. आज आदिवासियों की आबादी 26 परसेंट है. 10 परसेंट आदिवासी कहां गायब हो गए, कहां खो गए?

बीजेपी सांसद ने उठाया आशा किरण होम का मुद्दा

वहीं बीजेपी सांसद योगेन्द्र चंदोलिया ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रोहिणी इलाके का मुद्दा उठाया और कहा कि आशा किरण होम के बच्चे दयनीय स्थिति में रह रहे हैं और AAP सरकार उनके लिए कुछ नहीं कर रही है.

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चंदोलिया ने कहा, 'बच्चे उमस भरे और गर्म मौसम में भीड़भाड़ वाले छात्रावासों में रह रहे हैं.' उन्होंने कहा कि केंद्र को आशा किरण होम में मौतों की भी जांच करनी चाहिए. रोहिणी में दिल्ली सरकार के 'मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए' बनाए गए आशा किरण गृह में एक महीने में 14 मौतें हुई हैं. मृतकों में 13 वयस्क और एक नाबालिग शामिल है.

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