
हर चुनाव में पर्दे के पीछे से भारतीय जनता पार्टी के लिए काम करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस बार भी मोर्चा संभाल लिया है. संघ ने अपने स्वयंसेवकों के ज़रिए ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर प्रचार शुरू कर दिया है, जिसमें वे केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार के काम बताकर, सांस्कृतिक और वैचारिक मुद्दों पर लोगों से वोट देने की अपील कर रहे हैं. इस तरह से संघ यूपी की सियासत में 80:20 के मुद्दे को भी धार दे रहा है.
यूपी की चुनावी सरगर्मी के बीच, इस बार कोविड के चलते वर्चुअल प्रचार की नई परिस्थितियां भी हैं. चुनाव आयोग के निर्देश में सीमित प्रचार और कई पाबंदियों को देखते हुए, सियासी दलों ने इसके लिए वर्चूअल प्रचार की रूपरेखा तैयार की है. लेकिन बीजेपी के लिए हर चुनाव में पर्दे के पीछे से काम करने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, हमेशा की तरह सक्रिय है. संघ ने घर-घर जाकर प्रचार के लिए अपने स्वयंसेवकों को लगा दिया है. खास बात यह है कि ये स्वयंसेवक एक पत्रक (पैम्फ़्लेट) बांट रहे हैं और काशी मथुरा और अयोध्या के साथ ही, सांस्कृतिक और वैचारिक मुद्दों पर लोगों से चर्चा कर रहे हैं.
क्या है संघ के पैम्फ़्लेट में?
संघ ने लोगों को सरकार के काम को बताने के लिए ख़ास तौर पर पैम्फ़्लेट तैयार किया है. इसमें बिंदुवार ब्यौरा दिया गया है. साथ ही, सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यों को रेखांकित किया गया है. संघ के कार्यकर्ता लोगों से संपर्क कर ये बातें समझाने की कोशिश करेंगे. इसका शीर्षक है 'शासन द्वारा किए गए सांस्कृतिक-वैचारिक-राष्ट्रवादी कार्य.'
संघ के इस पैम्फ़्लेट में सबसे पहले 'आस्था विषयक कार्य' से लिखा हुआ है. यानी वे बातें जो (बहुसंख्यक हिंदू) समाज की आस्था से जुड़ी हुई हैं. इसकी शुरुआत में लिखा गया है 'पांच शताब्दियों के सतत संघर्ष के उपरांत 5 अगस्त 2020 को भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री ने मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन किया. इसके साथ ही मंदिर निर्माण कार्य शुरू हुआ.' दरअसल संघ परिवार के सबसे बड़े आंदोलन, मंदिर आंदोलन को संघ याद दिलाकर लोगों को ये बताना चाहता है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण इसलिए संभव हुआ क्योंकि केंद्र में बीजेपी की सरकार है.
इसके बाद अयोध्या के विकास के बारे में विस्तार से बताया गया है. फ़ैज़ाबाद ज़िला कमिशनरी, नगर निगम और रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अयोध्या करना, 221 मीटर ऊंची राम की प्रतिमा और रामायण संग्रहालय के लिए बजट आवंटित करने से लेकर, अयोध्या में योगी सरकार द्वारा भव्य दीपोत्सव कराने तक का ब्योरा दिया गया है.
इसके बाद कुंभ का ज़िक्र है. जिसका बजट बढ़ाकर 1300 से 4200 करोड़ किया गया है. पैम्फ़्लेट में प्रमुखता से काशी विश्वनाथ धाम के पुनर्निर्माण का भी उल्लेख है. खास बात ये है कि कनाडा से अन्नपूर्णा की प्रतिमा का भी इस पैम्फ़्लेट में ज़िक्र किया गया है. इसके अलावा मथुरा का विकास, रामायण सर्किट, शक्तिपीठ सर्किट जैसे सरकार के कार्यों को भी विस्तार से बताया गया है.
संघ विचारक अशोक सिन्हा कहते हैं, 'सांस्कृतिक और धार्मिक विकास के माध्यम से आर्थिक विकास किया जा रहा है. इसमें सभी बातों को लोगों को समझाया जा सके, इसके लिए बिंदुवार बातें बताई गयी हैं. हम वास्तविकता बता रहे हैं कि क्या-क्या विकास हुआ है.'
रोज़ा इफ़्तार बंद करने और मानसरोवर यात्रा का अनुदान बढ़ाने का ज़िक्र
मानसरोवर यात्रा और हज हाउस को लेकर दिया गया मुख्यमंत्री का बयान का भी ज़िक्र है. इस पैम्फ़्लेट में मानसरोवर यात्रा पर दिया जाने वाला अनुदान 50 हज़ार से बढ़ाकर 1 लाख करने की बात लिखी है. इसके साथ ही पीएम और सीएम की ओर से होने वाले रोज़ा इफ़्तार को बंद करने को भी बीजेपी सरकारों का वैचारिक कार्य बताया गया है.
हालांकि इस तरह का 'संपर्क' संघ के लिए कोई नई बात नहीं है. हर चुनाव में संघ के स्वयंसेवक इस तरह का कैंपेन चलाते रहे हैं. लेकिन इस बार जहां बीजेपी विकास की बात कर रही है, वहीं संघ अपने पुराने मुद्दे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर लोगों से संपर्क कर रहा है. इससे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस 80 बनाम 20 की बात को भी बल मिल रहा है जो लगातार चर्चा में है.
कितने स्वयंसेवक लगे हैं इस सम्पर्क अभियान में? संघ विचारक अशोक सिन्हा कहते हैं, 'जो बीमार हैं उनके अलावा सभी स्वयंसेवक इस काम में लगे हुए हैं. इसमें कोई बात नहीं है कि धार्मिक और सांस्कृतिक विकास के माध्यम से आर्थिक विकास होता है. इसलिए ये विकास की बात है.आप देखिए अयोध्या हो या काशी, जहां-जहां सांस्कृतिक विकास हुआ वहां पर्यटन भी तो बढ़ा है. वहां आर्थिक विकास भी तो हुआ है.' संघ विकास कार्यों को भी गिना रहा है. स्वयंसेवक छोटी-छोटी बैठकों में लोगों को इन बातों को बता रहे हैं, जिससे लोगों से सीधा संपर्क हो सके.
वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद गोस्वामी कहते हैं, 'संघ वोट नहीं मांगता. संघ सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है, पर नेपथ्य में रहकर अपनी पॉलिटिकल विंग बीजेपी के लिए काम करता है. इसलिए राष्ट्रवाद या उनकी विचारधारा से संबंधित अन्य मुद्दों पर बीजेपी ने जो काम किया है उसको लोगों के बीच ले जाकर लोगों को बताता है, जिससे चुनाव में बीजेपी कमजोर न पड़े.'
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