
कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने प्लान 5 B तैयार किया है. बीजेपी के प्लान 5B में कर्नाटक के पांच जिले जिनमे बंगलुरू, बेलगाम, बागलकोट, बीदर व बेल्लारी पर एक खास रणनीति के तहत फोकस रहेगा. सूत्रों के हवाले से खबर है कि इन पांच जिलों में पिछली बार की तुलना में बीस सीटें बढ़ाने की पार्टी की कोशिश रहेगी.
बीजेपी कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत का लक्ष्य लेकर चल रही हैं. इस रणनीति में इस बार 5B की अहम भूमिका होगी. प्लान 5B में जो पांच जिले हैं, इन जिलों में कुल 72 सीटें हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 30 सीटें ही जीत पाई थी. यहां पर कांग्रेस को 37 व जेडीएस को 5 सीटें मिली थीं. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 104 सीटें जीती जरूर थीं लेकिन लेकिन 224 विधानसभा सीटों के कर्नाटक में 113 के बहुमत आंकड़े से 9 सीटें कम रह गई थी, जबकि कांग्रेस को 80 व जद एस को 37 सीटें मिली थीं.
बीजेपी को 2018 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा झटका बंगलुरू में लगा था. बंगलुरू शहर की 28 सीटों में भाजपा केवल 11 सीटें ही जीत पाई थी. बंगलुरू ग्रामीण की चार सीटों में उसे एक भी सीट नहीं मिली थी यानी 32 सीटों में यहां केवल 11 सीटें ही मिली थीं. तब पार्टी को बेगलाम की 18 सीटों में दस, बागलकोट की सात सीटों में पांच, बीदर की छह सीटों में एक, बेल्लारी की नौ सीटों में से तीन सीटें मिली थीं. बीजेपी इस बार विधानसभा चुनाव में इन इन पांच जिलों की 72 सीटों में से 50 से अधिक सीटों को जीतने का के तहत प्लान 5 B पर खास रणनीति के तहत काम कर रही है.
बीजेपी इन पांच जिलों में प्लान 5 B के तहत ख़ास रणनीति से काम करने पीछे असली वजह हैं पुराना मैसूर में पार्टी की कमजोर स्थिति होना भी है. 2018 के विधानसभा चुनाव में पुराना मैसूर क्षेत्र की 64 सीटों में से बीजेपी को केवल 11 सीटें ही मिली थी, कांग्रेस को 17 सीटें और जेडीएस को 27 सीटें मिलीं थीं.
पिछलें कुछ सालों में पुराने मैसूर में बीजेपी ने कोंग्रेस और जेडीएस से आए नेताओं से उसने अपनी ताकत बढ़ाई जरूर है. लेकिन पुराने मैसूर में वोक्कालिगा जाति का प्रभाव ज्यादा होने के कारण आज भी जमीन पर जेडीएस की मजबूत पकड़ है. और ये ही कारण है कि पुराने मैसूर से ही जेडीएस को अधिकांश सीटों पर जीत मिलती है. बीजेपी ने भी इस बार इस पुराने मैसूर क्षेत्र के लिए अपनी चुनावी रणनीति जातिगत समीकरण के हिसाब से बदली है और दूसरे दलों से आए वोक्कालिगा समुदाय के नेताओं को ज्यादा महत्व दे रही हैं.