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बात इधर नॉर्थ इंडिया में थोड़ी कम हो रही हो. लेकिन मणिपुर में पिछले महीने से शुरू हुई हिंसा अब तक थमी नहीं है. राज्य के बहुतायत हिंदू मैतेई और बहुतायत ईसाई कुकी समुदायों के बीच हो रही झड़पों में अब तक 100 से अधिक लोग मारे गए हैं और 53 हज़ार से अधिक को अपना घर छोड़ना पड़ा है. मैतेई समूहों का कहना है कि कुकी विद्रोही हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं. वहीं, कुकी समुदाय इसके उलट दूसरी कहानी कह रहे हैं. कूकी संगठनों का आरोप है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मणिपुर दौरे के दौरान जो मांगे उनके सामने रखी गईं थीं, उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया है. असम के मुख्यमंत्री और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) के कन्वीनर हिमंत बिस्वा सरमा; वे समाधान और सहमति बनाने में जुटे हुए है. आज मणिपुर के चुराचांदपुर और कांगपोकपी जिलों का दौरा वो कर सकते हैं. कुकी मिलिटेंट ग्रुप ने भी उन पर भरोसा जताया है कि वो इस संघर्ष का एक सॉल्यूशन दे सकते हैं. लेकिन बात यही तक नहीं.
शांति बहाली की कोशिशों में बीच कल मीडिया में छपी एक चिट्ठी ने हड़कम्प मचा दी. इंडिया टुडे नॉर्थ ईस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुकी विद्रोही संगठन के नेता ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को 2019 में एक खत लिखा था. इसमें दावा किया गया कि BJP के दो नेताओं हिमंता बिस्वा सरमा और राम माधव ने 2017 में मणिपुर विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कुकी संगठनों की मदद ली थी. असम के मौजूदा मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और राम माधव तब पूर्वोत्तर राज्यों में एक्टिव थे. अब ये एक ज्यूडिशियल मामले की वजह से पब्लिक डिस्कोर्स में आ गया है. NIA कोर्ट में यूनाइटेड कुकी लिबरेशन फ्रंट (UKLF) के अध्यक्ष एसएस हाओकिप की ओर से दायर एक एफिडेविट के हवाले से ये जानकारी आई है. जिस कुकी मिलिटेंट ग्रुप ने ये कहा है की BJP ने उनको मदद ली, वे कौन हैं, ऐसा कहने के पीछे उनकी वजह क्या है और इससे क्या मणिपुर में जो शांति बहाली की बातचीत चल रही है, उस पर फ़र्क़ पड़ेगा? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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रक्तदान है महादान, ये पढ़ते-सुनते हुए हम बड़े हुए. ब्लड डोनेट करने को सबसे बड़ा दान कहा गया क्योंकि इससे किसी की जान बच सकती है. वैश्विक स्तर पर ब्लड डोनेशन; रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए हर साल 14 जून को वर्ल्ड ब्लड डोनर डे मनाया जाता है. मक़सद इसका होता है सुरक्षित रक्तदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना और डोनर्स के प्रति आभार जताना. रक्तदान में बढ़ोतरी के लिए जागरुकता भी किरण वर्मा फैला रहे हैं. 21 हज़ार किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकले हैं. 12 राज्य 169 ज़िले पूरे हो चुके. दो देशों से होकर गुजरे हैं. अब तक उनकी प्रेरणा पर 22 हज़ार लोगों ने रक्त दान किया. वो ऐसे गांवों तक गए हैं जहां किसी ने रक्तदान को लेकर कोई बात कभी नहीं सुनी. उन्हें क्यों एक लंबी यात्रा पर निकलना पड़ा, भारत में ब्लड डोनेशन और उसकी ज़रूरत को लेकर क्या स्थिति है? "आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.