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'बंगाल में कानून व्यवस्था ध्वस्त...', कोलकाता कांड पर सुकांत मजूमदार ने ममता सरकार को घेरा

मजूमदार ने आगे की रणनीति बताते हुए कहा, "कल कृष्ण जन्माष्टमी के कारण कोई विरोध प्रदर्शन नहीं होगा. हालांकि, 28 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा पश्चिम बंगाल महिला आयोग के कार्यालय पर ताला लगाएगी, क्योंकि आयोग राज्य की महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है.

आरजी कर डॉक्टर बलात्कार और हत्या मामले पर सुकांत मजूमदार ने ममता सरकार को घेरा आरजी कर डॉक्टर बलात्कार और हत्या मामले पर सुकांत मजूमदार ने ममता सरकार को घेरा
अनुपम मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 11:00 PM IST

पश्चिम बंगाल में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. मजूमदार ने ममता सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "बंगाल में अब लोकतंत्र नाम की कोई चीज़ नहीं बची है. राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है. कोलकाता पुलिस कमिश्नर को तुरंत हटाया जाना चाहिए और ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. बंगाल को अब उनकी ज़रूरत नहीं है."

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मजूमदार ने आगे की रणनीति बताते हुए कहा, "कल कृष्ण जन्माष्टमी के कारण कोई विरोध प्रदर्शन नहीं होगा. हालांकि, 28 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा पश्चिम बंगाल महिला आयोग के कार्यालय पर ताला लगाएगी, क्योंकि आयोग राज्य की महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है. इसके बाद, 29 अगस्त को सभी जिलों में डीएम कार्यालय के बाहर ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा."

सुकांत मजूमदार ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ भी जांच की मांग की है. उन्होंने कहा, "पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ तत्काल जांच होनी चाहिए. साथ ही, ममता बनर्जी का फोन जब्त कर उस पर भी विस्तृत जांच होनी चाहिए."

भाजपा की महिला मोर्चा द्वारा प्रस्तावित यह प्रदर्शन ममता बनर्जी सरकार के लिए एक और बड़ी चुनौती हो सकता है. भाजपा की आक्रामकता को देखते हुए यह साफ है कि आगामी दिनों में पश्चिम बंगाल की राजनीति और भी अधिक गरमा सकती है. महिला आयोग के खिलाफ इस विरोध प्रदर्शन का मकसद राज्य में महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के प्रति सरकार की उदासीनता को उजागर करना है.

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