
दो-दो हजार के नोट, 500-500 के नोट, इन्हें गिनने के लिए मशीन मंगवानी पड़ी. पता चला कि ये पूरे 20 करोड़ रुपये हैं. पिछले तीन दिनों के दौरान ये वीडियो आपके Whatsapp पर कई बार आया होगा. आपने भी इस वीडियो को फॉरवर्ड किया होगा.
इस वीडियो को देखकर आप हैरान को हुए होंगे लेकिन परेशान नहीं हुए होंगे. आज आप ईमानदारी से बताइये क्या इस वीडियो ने आपको परेशान किया क्या इस वीडियो को देखकर आपको गुस्सा आया. क्या इस वीडियो को देखकर आपने खुद को असहाय महसूस किया? शायद नहीं किया होगा क्योंकि आपको ऐसी तस्वीरों की आदत पड़ चुकी है.
जब आपको ये पता लगा होगा कि नोटों के ये बंडल पश्चिम बंगाल के एक मंत्री के भ्रष्टाचार की कमाई है तब भी शायद ही आपके मन में नाराजगी के कोई भाव आया होगा.
जबकि असलियत में ये सिर्फ एक वीडियो नहीं है जो वायरल हो गया है ये वीडियो हमारे देश में रिश्वतखोरी की वायरल परंपरा का एक उदाहरण है जो हमारे लिए अब एक Daily Routine बन चुका है.
प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने बांग्ला फिल्मों की एक हिरोइन अर्पिता मुखर्जी के घर से इतने सारे नोट बरामद किए हैं. अर्पिता मुखर्जी ममता बनर्जी की सरकार के वरिष्ठ मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी हैं जिनके शिक्षा मंत्री रहते हुए वर्ष 2014 से 2021 के दौरान पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला हुआ था.
आरोप है कि ये 20 करोड़ रुपये पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की भर्ती में ली गई रिश्वत का हिस्सा हैं. इन बंडलों का एक एक नोट उस रिश्वत की कमाई का हिस्सा है जो रिश्वत एक मंत्री गरीब परिवारों से उनके बेरोज़गार युवकों की सरकारी नौकरी लगवाने के लिए वसूल रहा था.
पश्चिम बंगाल में जिस शिक्षक भर्ती घोटाले का पर्दाफाश हुआ है उसका ब्लैक एंड व्हाइट सच आप पहले सुन लीजिए और ये सुनकर आज आपको बहुत गुस्सा आएगा.
- वर्ष 2016 में शिक्षकों की भर्ती के लिए स्कूल सेवा आयोग ने परीक्षा आयोजित की थी इस परीक्षा के तहत 20 उम्मीदवारों का चयन होना था. परीक्षा के परिणाम नवंबर 2017 में आए जिसमें सिलीगुड़ी की बबीता सरकार नाम की एक उम्मीदवार 20 वें नंबर पर थी.
लेकिन स्कूल सेवा आयोग ने ये लिस्ट रद्द कर दी नई लिस्ट में बबीता 21वें नंबर पर आ गई और वेटिंग लिस्ट में चली गईं यानी उनकी नौकरी हाथ से फिसल गई.
जबकि पहले नंबर पर अंकिता अधिकारी का नाम आ गया जो उस वक्त TMC के विधायक परेश अधिकारी की बेटी हैं, परेश अधिकारी फिलहाल शिक्षा विभाग के राज्य मंत्री हैं.
- नई लिस्ट आने के बाद बबीता सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट में अर्ज़ी लगाई हाई कोर्ट ने आयोग से दोनों की मार्कशीट मांगी. इससे पता चला कि 16 नंबर कम पाने के बावजूद मंत्री जी की बेटी का नाम टॉप पर आ गया और बबिता सरकार 21वें नंबर पर आ गई.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि अंकिता अधिकारी को नौकरी से हटाया जाए और ये नौकरी बबिता सरकार को दे दी जाए.
लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई हाईकोर्ट ने इस घोटाले की जांच के लिए रिटायर्ड न्यायमूर्ति रंजीत कुमार बाग की अध्यक्षता में एक समिति बना दी और यहीं से पार्थ चटर्जी की किस्मत कमज़ोर होती चली गई. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में शिक्षक घोटाले की पुष्टि की.
राज्य स्कूल सेवा आयोग के चार पूर्व शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की सिफारिश की. जिसके बाद अदालत ने इस मामले की जांच CBI को सौंप दी.
आप सरकारी नौकरी के लिए कई वर्षों तक मेहनत करते हैं मां बाप से पैसा लेकर कोचिंग लेते हैं. दिन रात पढ़ाई करते हैं. मेरिट में जगह बनाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ते. लेकिन फिर आपको पता चलता है कि आपकी खून पसीने की मेहनत का फल तो कोई सिफारिशी नालायक लेकर चला गया तो सोचिये आपको कितना दुख होगा.
ये जो पैसा पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता के घर से मिला है ये वही पैसा है जो एक मंत्री ने रिश्वत के रूप में लिया. अयोग्य उम्मीदवारों को सरकारी शिक्षक की नौकरियां दे दीं और योग्य उम्मीदवारों का हक मार दिया.
पार्थ चटर्जी 2014 से 2021 तक शिक्षा मंत्री रहेउ नके इस सात साल के कार्यकाल के दौरान स्कूल सेवा आयोग ने जितने भी शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति की होगी आशंका है कि वो सभी रिश्वत लेकर ही की गई होंगी और एक भी योग्य उम्मीदवार को सरकारी नौकरी नहीं मिली होगी.
पार्थ चटर्जी जैसे नेता देश भर में हैं इसलिए ऐसा सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही नहीं बल्कि पूरे देश में हो रहा होगा. यानी इस भ्रष्टाचार का दायरा देशव्यापी है और इसमें सरकारी शिक्षक बनने की केवल एक ही शर्त है. और वो ये कि आपके पास रिश्वत देने के लिए पैसा होना चाहिए.
लेकिन रिश्वतखोरी की एक खासियत होती है ये जबतक चलती रहती है तबतक भ्रष्टाचारी खुद को सर्वशक्तिमान समझता है लेकिन जब उसके भ्रष्टाचार का खुलासा होता है तो रिश्वतखोर अचानक से बीमार पड़ जाता है और उसके करीबी भी उसका साथ छोड़ देते हैं. ऐसा ही इन दिनों ममता बनर्जी के करीबी मंत्री पार्थ चटर्जी के साथ हो रहा है.
जबतक रिश्वत का ये पैसा मंत्री जी के खाते में चढ़ा था तबतक मंत्री जी बिलकुल फिट थे लेकिन जैसे ही ये पैसा सरकार के खजाने में चढ़ा मंत्री जी के दिल में दर्द हो गया, बीपी डाउन हो गया और जुबान खामोश हो गई.
लेकिन ED ने भी उनकी तबीयत ठीक करने का पूरा इंतजाम किया था. हाईकोर्ट से ऑर्डर पर मंत्री जी को कोलकाता से एयर एंबुलेंस के जरिये भुवनेश्वर एम्स भर्ती करने ले जाया गया. तो व्हील चेयर पर मंत्री जी का एयरपोर्ट पर ही सच से सामना हो गया. वहां चोर-चोर के नारे लगे.
भुवनेश्वर एम्स में पूरा मेडिकल चेकअप हुआ तो पता चला कि मंत्री जी इतने भी बीमारी नहीं है. जितने दिख रहे हैं, बस कुछ पुरानी बीमारियां हैं जो उभर आई हैं. मंत्री जी की बीमारी के लक्षण बता रहे हैं कि उन्हें जेल जाने का डर सता रहा है.
ED की पूछताछ में अर्पिता चटर्जी ने कबूल कर लिया है कि जो पैसा मिला वो मंत्री जी का ही है. दोनों मिलकर पार्टनरशिप में 12 फर्जी कंपनियां चला रहे थे. इस पैसे को इन्हीं फर्जी कंपनियों में इनवेस्ट करने की योजना थी और एक दो दिन में इस पैसे को अर्पिता के घर से निकाला जाना था.
लेकिन उससे पहले ही ED अर्पिता के घर में घुस गई और मंत्री जी की तबीयत बिगड़ गई. मंत्री पार्थ चटर्जी का साथ अब ना तो उनका शरीर दे रहा है और ना उनकी अपनी ही पार्टी की सरकार. ना तो ममता बनर्जी अपने मंत्री पर कोई ममता दिखा रही हैं, ना ED मंत्री जी पर कोई रहम दिखा रही है और रही सियासत की बात तो बीजेपी इस भ्रष्टाचार में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल होने का शक जता रही है.
आपने नोट किया होगा जब नेताओं को गिरफ्तार किया जाता है तो उसी समय उनके सीने में दर्द शुरू हो जाता है. जबकि असली दर्द तो वो है जो योग्य उम्मीदवारों का नाम मेरिट लिस्ट में न आने पर उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को महसूस होता है. एक ईमानदार आदमी के ठगे जाने का दर्द नेताओं के दर्द से कहीं बड़ा होता है.
भारत के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि किसी देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका, माता-पिता और शिक्षक निभा सकते हैं.
लेकिन सोचिये कितने दुख की बात है कि बंगाल का एक मंत्री शिक्षकों की भर्ती में घोटाला कर रहा था. भारत के लिए इससे खतरनाक बात क्या हो सकती है जिस देश में शिक्षकों की भर्ती में ही घोटाले हो रहे हैं और अयोग्य लोग रिश्वत देकर शिक्षक बन रहे हैं. रिश्वत देकर शिक्षक बनने वाला कैसे अपने छात्रों से कहेगा कि रिश्वत देना और लेना पाप है.
लंबी है ऐसा घोटालों की लिस्ट
शिक्षक भर्ती में रिश्वत लेकर अपनी जेबें भरने वाले पार्थ चटर्जी पहले मंत्री नहीं हैं. वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को Junior Basic Training यानी JBT भर्ती घोटाले में दोषी करार दिया था और दस साल की सजा सुनाई थी. CBI की चार्जशीट के मुताबिक ये घोटाला वर्ष 1999 में हुआ था तब हरियाणा के 18 जिलों में 3206 JBT शिक्षकों की भर्ती में मनचाहे उम्मीदवारों की भर्ती की गई थी.
आरोप था कि बारहवीं पास ओम प्रकाश चौटाला ने तब मुख्यमंत्री रहते हुए प्रत्येक भर्ती के लिए तीन से चार लाख रुपये वसूले थे. यानी जो लोग अपने आपको जनप्रतिनिधि कहते हैं वो देश को लूट रहे हैं. पैसा कमाने में लगे हैं. खासकर क्षेत्रीय दलों के लोग..जो सत्ता में आ तो गए हैं..लेकिन उन्हें डर है कि कल सत्ता हो या ना हों.. इसलिए वो दोनों हाथों से रिश्वत का पैसा बटोरते हैं. ये सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं है. भ्रष्टाचार का उद्योग अब पूरे भारत में फल-फूल रहा है.
फिर चाहे वो पंजाब में AAP सरकार के स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला हों जिन्होंने सरकारी Contracts में अपने लिए एक फीसदी कमीशन फिक्स किया हुआ था. या फिर भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन हों जिन पर फर्जी कंपनियों के जरिये लेन-देन के आरोप हैं.
महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख भी रिश्वतखोरी के आरोप में जेल में हैं. उनको ED ने मुंबई के रेस्टोरेंट्स और Bars से 100 करोड़ रुपये की अवैध वसूली के केस में गिरफ्तार किया था.
ये तो सिर्फ कुछ उदाहरण हैं. सच तो ये है कि हमारे देश के सिस्टम को रिश्वतखोरी का जो वायरस लगा है उसे रोकने वाली कोई कारगर Vaccine आजतक नहीं बन पाई है. भ्रष्टाचार अब हमारे समाज में लाइलाज बीमारी का दर्जा प्राप्त कर चुका है.
ज्यादा दिन पुरानी बात नहीं है जब पिछले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश के कन्नौज में इत्र कारोबारी मोहम्मद याकूब के ठिकानों से नोटों की ऐसी ही गड्डियां मिली थीं जिन्हें गिनने के लिए मशीनों को ठेले पर लाया गया था, नोटों को गिनने में ED की टीम को कई दिन लग गए थे.
इससे पहले कन्नौज के ही एक और इत्र व्यापारी पीयूष जैन के घर से भी 250 करोड़ रुपये कैश और 125 किलो सोना मिला था. छापेमारी के दौरान टीम को 20 ताले तोड़ने पड़े थे, 15 से 20 अलमारियां काटनी पड़ी थीं और नोटों से भरे कई बैग मिले थे.
जनता सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड करके सब भूल गई
लेकिन इससे हुआ क्या? जनता आंखें फाड़कर नोटों के वीडियो देखती रही और सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड करके सब भूल गई. अंदाजा लगाइये कि Corruption पर हमारे देश का Tolerance Level कितना गजब का है.
हमारे देश को जुगाड़ वालों का देश कहा जाता है लेकिन जब सारे जुगाड़ फेल हो जाते हैं तो सिर्फ एक ही जुगाड़ काम आता है. कोई टेंडर लेना हो..कहीं एडमिशन कराना हो..या कहीं नौकरी पानी हो. रिश्वत की परंपरा का पालन करना ही पड़ता है. इसमें मंत्री से लेकर अफसर और उनके चपरासी तक..सबका कटमनी फिक्स होता है.
इन नोटों की गड्डियों में आपको न जाने कितने योग्य और ईमानदार लोगों के सपनों की लाशें मिलेंगी. न जाने कितने लोगों की बद्दुआएं इन नोटों के नीचे दबी हुई हैं और इन नोटों ने हज़ारों लाखों लोगों की खून पसीने की कमाई को सोख लिया है.
Transparency International की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के मामले में भारत पूरे एशिया में नंबर वन पर है. सर्वे में शामिल 26 फीसदी यानी एक चौथाई लोगों ने कहा कि Property Registration के लिए उन्हें सबसे ज्यादा रिश्वत देनी पड़ी. दूसरे नंबर पर पुलिस विभाग है, जिसे सर्वे में शामिल 19 फीसदी लोगों ने सबसे करप्ट बताया. इसके अलावा नगर निगमों, बिजली दफ्तरों और Transport Offices को 13-13 प्रतिशत लोगों ने भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा बताया. टैक्स डिपार्टमेंट और जल निगमों में भी भ्रष्टाचार को लोगों ने बड़ी समस्या बताया है.