Advertisement

'मास्क नहीं पहनने के लिए दर्ज FIR से कैसे निपटा जाए?', बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा

बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा है कि कोरोना महामारी के समय मास्क न पहनने के लिए दर्ज की गई एफआईआर से कैसे निपटा जाएगा. एक छात्र योगेश खंडारे की याचिका पर पीठ ने कहा है कि महाराष्ट्र के गृह सचिव को इस आदेश की एक प्रति दी जाए. अब कोर्ट इस मामले में 13 सितंबर को सुनवाई करेगा.

फाइल फोटो फाइल फोटो
विद्या
  • मुंबई,
  • 08 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा है कि कोरोना महामारी के दौरान मास्क नहीं पहनने वाले लोगों के खिलाफ दर्ज मामलों से कैसे निपटा जा सकता है? नितिन जामदार और जस्टिस नितिन बोरकर की पीठ योगेश खंडारे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. 

योगेश खंडारे ने याचिका में जनवरी 2022 में दहिसर पुलिस स्टेशन में गैरकानूनी और लापरवाही से संक्रामक रोग फैलाने के आरोप में IPC की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की है. खंडारे और 5 अन्य लोग बिना मास्क पहने हुए सार्वजनिक जगह पर पाए गए थे.  

Advertisement

खंडारे की ओर से पेश वकील प्रतीक्षा शेट्टी ने तर्क दिया कि वह अन्य 5 व्यक्तियों के साथ नहीं थे और FIR में अधिक से अधिक आरोप मास्क नहीं पहनने का होगा. वकील ने कहा कि खंडारे एक छात्र हैं जो अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने का इरादा रखता है, इसलिए उसे राहत दी जानी चाहिए. वहीं राज्य की ओर से पेश मुख्य लोक अभियोजक अरुणा पई ने कहा कि खंडारे छुट्टी के लिए जा सकते हैं. 

अब महामारी और प्रतिबंध नहीं हैं: कोर्ट 

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि हम खंडारे द्वारा लंबित मामले और शिक्षा पर उसके प्रभाव के बारे में व्यक्त की गई कठिनाइयों की कल्पना कर सकते हैं. हालांकि हमें उस क्षेत्राधिकार के दायरे से सावधान रहना होगा जिसे हमें प्रयोग करने के लिए कहा जाता है. अदालत ने अरुणा पई से पूछा कि उनका इस मामले में क्या रुख है. कोर्ट ने कहा कि चूंकि जनवरी 2021 तक महामारी की स्थिति और तब लगाए गए प्रतिबंध अब मौजूद नहीं हैं और हम पाते हैं कि कई मामलों में मुकदमा भी नहीं चलाया गया है. हालांकि इस पर पई ने कहा कि आरोप पत्र दायर करने के बाद अभियोजन पक्ष की ओर से कोई बयान देना संभव नहीं है. 

Advertisement

अब 13 सितंबर को होगी अगली सुनवाई 

इस पर पीठ ने कहा कि राज्य अपराध के लिए अपनाई जाने वाली कार्रवाई के तरीके को देख सकता है जैसे कि वर्तमान मामले में. अदालत ने आदेश दिया कि लोक अभियोजक का कार्यालय इस आदेश की एक प्रति सचिव (गृह) महाराष्ट्र राज्य के समक्ष विचार के लिए रखेगा और 13 सितंबर को याचिका पर सुनवाई करेगा.
 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement