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INS विक्रांत के सेवामुक्त होने का मामला, बीजेपी नेता किरीट सोमैया को बॉम्बे HC से मिली राहत

बॉम्बे हाई कोर्ट ने किरीट सोमैया को अपने खिलाफ दायर मामलों को रद्द करने की मांग वाली याचिका वापस लेने की इजाजत दी है. दरअसल, आईएनएस विक्रांत से संबंधित एक मामले में उनपर 57 करोड़ रुपये के गलत इस्तेमाल करने का आरोप है. हाई कोर्ट ने मजिस्ट्रेट से उनकी याचिका जल्द निपटाने का अनुरोध किया है.

किरीट सोमैया (File photo) किरीट सोमैया (File photo)
विद्या
  • मुंबई,
  • 11 जून 2024,
  • अपडेटेड 5:42 PM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीजेपी नेता किरीट सोमैया को अपनी याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी है. याचिका में उन्होंने INS विक्रांत के लिए चंदा इकट्ठा करने से संबंधित मामले में उनके और उनके बेटे के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी. 

किरीट सोमैया और उनके बेटे के खिलाफ एयरक्राफ्ट-कैरियर को सेवामुक्त होने से बचाने के लिए इकट्ठा किए गए 57 करोड़ रुपए के कथित गलत इस्तेमाल को लेकर मामला दर्ज किया गया था. हालांकि, नौसेना के जहाज को बाद में कबाड़ में भेजना पड़ा और उसे बचाया नहीं जा सका. सोमैया ने तत्कालीन महा विकास अघाड़ी सरकार को निशाने पर लेते हुए आरोप लगाया था कि उनके खिलाफ राजनीति द्वेश की वजह से मामला दर्ज कराया गया था.

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मुंबई पुलिस ने अपनी सी समरी रिपोर्ट में क्या कहा?

बीजेपी नेता के खिलाफ मुंबई पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी, जिसने उद्धव ठाकरे सरकार गिरने के बाद एस्प्लेनेड मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपनी एक सी समरी रिपोर्ट दायर की थी. यह रिपोर्ट तब दायर की जाती है जब जांच के बाद पुलिस यह तय करती है कि एफआईआर तथ्यों की गलती वजह से दायर की गई या जिस अपराध के लिए एफआईआर दर्ज की गई है वो सिविल मैटर का है.

मसलन, सी समरी रिपोर्ट में पुलिस को दी गई जानकारी न तो सच हो सकती है और न ही झूठी. सी समरी रिपोर्ट दाखिल करने के साथ ही पुलिस मामले को बंद करने की मांग करती है. सोमैया का केस लड़ने वाले वकील अशोक मुंदरगी ने जस्टिस अजय गडकरी और नीला गोखले की बेंच से बताया कि सी समरी रिपोर्ट 14 दिसंबर 2022 को दायर की गई थी.

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किरीट सोमैया के वकील और क्या बोले?

सोमैया के वकील ने कहा कि ऐसे में एफआईआर को रद्द करने की याचिका को आगे बढ़ाने का मतलब नहीं बनता और इसलिए याचिका वापस लेने की इजाजत दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा, "डेढ़ साल हो गए हैं और मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर फैसला नहीं कर रहे हैं. शिकायतकर्ता को नोटिस भी जारी किया गया था, लेकिन अभी तक कोई आदेश पारित नहीं हुआ है." इसके साथ ही बेंच ने मजिस्ट्रेट से मामले को जल्द निपटाने का अनुरोध किया.

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