
मुंबई के शिवाजी पार्क में दशहरा रैली आयोजित करने की मांग करने वाली शिवसेना (उद्धव गुट) की याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट सुनवाई करेगा, जिसमें 5 अक्टूबर की दशहरा रैली आयोजित करने की मांग की गई है. इसके साथ ही अदालत एकनाथ शिंदे गुट के विधायक सदा सर्वंकर के हस्तक्षेप आवेदन पर भी सुनवाई करेगी.
शिवसेना (उद्धव गुट) के वकील एसपी चिनॉय और जोएल कार्लोस ने अदालत को बताया कि उनकी याचिका में बीएमसी को अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई थी, लेकिन अब प्राधिकरण ने फैसला ले लिया है, इसलिए इस याचिका में संशोधन की जरूरत है. हालांकि बीएमसी की ओर से पेश अधिवक्ता मिलिंद साठे और अनिल सखारे ने शिवसेना के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि रखरखाव के मुद्दे थे जिन्हें वे बताना चाहते थे. उन्होंने कहा कि चूंकि याचिका में आदेश की मांग की गई थी, इसलिए आदेश पारित किया गया और इसलिए याचिका अब निष्फल हो गई.
याचिका में कहा गया है कि पार्टी हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए विवश है क्योंकि मुंबई नगर निगम ने अभी तक रैली की अनुमति के लिए अगस्त में जमा किए गए उनके आवेदनों पर निर्णय नहीं लिया है. इसमें बीएमसी को शिवाजी पार्क में शिवसेना की दशहरा रैली के लिए तत्काल अनुमति देने के निर्देश देने की मांग की गई है.
सदा सर्वंकर के वकील जनक द्वारकादास और अरूप दासगुप्ता ने अदालत से उनके हस्तक्षेप के आवेदन पर भी सुनवाई करने का अनुरोध किया. सरवणकर की याचिका में कहा गया है कि यदि उच्च न्यायालय इस मुद्दे पर कोई आदेश पारित करता है तो यह उस विवाद में बाधा उत्पन्न करेगा जो वास्तविक "शिवसेना" का प्रतिनिधित्व करता है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि ठाकरे के नेतृत्व वाले धड़े की ओर से दायर याचिका में कुछ तथ्यों को छिपाया गया है.
चिनॉय ने कहा कि वे याचिका में तुरंत संशोधन करेंगे और प्रार्थना की थी कि उनकी याचिका पर गुरुवार को ही सुनवाई हो. हालांकि साठे ने अपील की कि याचिका पर 23 सितंबर को सुनवाई की जाए. चिनॉय ने कहा कि वो अनुमति के लिए बीएमसी एक महीने तक बैठे रहे.. हर दिन करीब आता है. रैली 5 अक्टूबर को होनी है.
शिवसेना (उद्धव गुट) एमएलसी अनिल परब ने कहा कि बीएमसी ने कानून-व्यवस्था के आधार पर दशहरा रैली करने की अनुमति को खारिज कर दिया है. शिंदे के खेमे के विधायक का हस्तक्षेप आवेदन 1966 से शिवसेना की परंपरा को तोड़ने का प्रयास बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. कल हम शिंदे खेमे के हस्तक्षेप आवेदन के तथ्यों को चुनौती देते हुए अदालत में नया आवेदन दाखिल करेंगे. हम कोर्ट के आदेश के आधार पर अपनी रणनीति तय करेंगे.
अगर शिवाजी पार्क में रैली के लिए बीएमसी और पुलिस को कानून-व्यवस्था की स्थिति नजर आ रही है तो शिंदे गुट को बीकेसी में रैली करने की इजाजत कैसे मिली. क्या हम यह तर्क देते हैं कि उद्धव ठाकरे का निवास मातोश्री भी बीकेसी के बगल में है और क्या उनकी रैली के लिए कानून-व्यवस्था की स्थिति को कमजोर कर सकते हैं?