
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जून में भारत-चीन सीमा पर हुई हिंसक झड़पों का बहुत ही गहरा सार्वजनिक और राजनीतिक प्रभाव पड़ा है. इसने दोनों देशों के रिश्ते को 'काफी परेशान' स्थिति पर लाकर छोड़ दिया है. गौरतलब है कि 15 जून को पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद भारत और चीन के बीच तनाव कई गुना बढ़ गया था.
जयशंकर ने एशिया सोसायटी द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि भारत ने पिछले 30 वर्षों के दौरान चीन के साथ संबंध बनाए हैं और उस संबंध के निर्माण का एक आधार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति रहा है. उन्होंने कहा कि 1993 से शुरू हुए कई समझौते हैं, जिन्होंने उस शांति के लिए रूपरेखा तैयार की.
पीटीआई की खबर के मुताबिक अपनी बात जारी रखते हुए विदेश मंत्री ने कहा, "वैचारिक स्तर से व्यवहारिक स्तर तक, पूरी विस्तृत रूपरेखा थी. लेकिन अब हमने इस वर्ष जो देखा वह समझौतों की इस पूरी श्रृंखला से बाहर आना था. सीमा पर बड़ी संख्या में चीनी सेनाओं का जमाव स्पष्ट रूप से इन सबके विपरीत था."
15 जून को गलवान में घटी दुखद घटना की व्यापकता को रेखांकित करने के लिए विदेश मंत्री ने कहा यह 1975 के बाद पहली सैन्य दुर्घटना थी. इसलिए जो हुआ, उसका स्पष्ट रूप से बहुत गहरा सार्वजनिक और राजनीतिक प्रभाव पड़ा है और इसने दोनों देशों के रिश्ते को विचलित कर दिया है. सीमा पर टकराव की वजह से दोनों देशों के रिश्ते बिगड़े हैं.
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जयशंकर ने कहा कि अप्रैल 2018 में वुहान शिखर सम्मेलन के अलावा, पिछले साल चेनना में भी इसी तरह का शिखर सम्मेलन हुआ था और शिखर सम्मेलन का आइडिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ समय बिताएं और अपनी चिंताओं के बारे में एक दूसरे से सीधे बात करें.
विदेश मंत्री जयशंकर ने आगे कहा, "इस साल जो हुआ, उससे संबंधों में तेज गिरावट आई. इससे सिर्फ बातचीत ही नहीं रुकी बल्कि 30 वर्षों से अधिक के रिश्ते को ठोकर लगी है."
चीन ने वास्तव में सीमा पर क्या किया और क्यों किया, इस सवाल के जवाब में, जयशंकर ने कहा, "मुझे उनकी तरफ से कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं मिला है कि मैं इस मामले पर कुछ बता सकूं. आज सीमा के उस हिस्से पर हथियारों के साथ सैनिकों की एक बहुत बड़ी संख्या है और यह स्पष्ट रूप से एक बहुत महत्वपूर्ण सुरक्षा चुनौती है जिसका हम सामना कर रहे हैं."