
लद्दाख में शून्य से कम तापमान के बीच बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) की टीम वास्तविक नियंत्रण रेखा की ओर जाने वाली सड़कों से कई टन बर्फ को हटा रही है. बता दें कि देश के उत्तरी भागों में इन दिनों भारी बर्फबारी हो रही है. इस वजह से ये इलाके बर्फ से भर गए हैं. यहां पर सड़कों पर इतनी बर्फ गिरी है कि ये यातायात के लायक नहीं रह गई हैं.
बता दें कि इनमें से कई सड़कें पूर्वी लद्दाख में स्थित हैं. ये सड़कें उन स्थानों तक जाती हैं, जहां पर भारतीय सेना के जवान भीषण ठंड में सीमा की निगरानी कर रहे हैं. इन सैनिकों को जरूरी सामान इन्हीं रास्तों से पहुंचाया जाता है. इसलिए इन सड़कों का चालू रहना जरूरी है.
इसके लिए BRO की टीम ने प्रोजेक्ट हिमांक शुरू किया है. ये सड़कें कई स्थानों पर दुनिया के सबसे ऊंचे दर्रों से होकर गुजरती हैं. बीआरओ के एक अधिकारी ने आजतक को बताया कि मौसम की चुनौती, भारी बर्फबारी और ऊंचाई को देखते हुए यह बेहद की चुनौती भरा कार्य है.
बीआरओ के अधिकारी ने कहा कि उनकी टीम अहम स्थानों को हिम चट्टानों से मुक्त करा रही है. इनमें, चांग ला, वारी ला, मर्समी कला, काजूकोंडला, कासंगला, उमींगला शामिल है. इसके अलावा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डुरबुक-श्याक दौलत बेग ओल्डी तक पहुंचने वाली सड़क को भी बर्फ से साफ कराने की जिम्मेदारी बीआरओ पर है. इन सड़कों पर कई टन बर्फ जमी रहती है.
सबसे परेशानी की बात यह है कि एक बार साफ करने के बाद ये गारंटी नहीं है कि कितने दिनों तक सड़क पर बर्फ नहीं जमेगी, क्योंकि बर्फबारी का कोई निश्चित समय नहीं है.
बता दें कि बर्फबारी की वजह से उत्तरी लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी, चुशूल को जोड़ने वाली सड़कें बंद हो जाती हैं. BRO के अधिकारी बताते हैं कि सड़क से बर्फ हटाने के लिए बीआरओ की टीम 16500 से लेकर 18000 फीट ऊंची चोटियों पर तैनात है. यहां पर तापमान कई बार शून्य से 30 से 35 डिग्री नीचे चला जाता है. लेकिन इन सड़कों का सामरिक महत्व इतना ज्यादा है इन्हें बंद करके नहीं रखा जा सकता है.