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आज का दिन: क्या गुजरात चुनाव की जल्दबाज़ी में हुआ मोरबी हादसा?

किसकी लापरवाही से हुआ मोरबी में हादसा? अफ़्रीका और एशिया के देशों में क्यों है सबसे ज़्यादा आतंकवाद का ख़तरा? और भीड़ में जाना सेहत पर कितना भारी पड़ सकता है?, सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.

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अमन गुप्ता
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  • 31 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 8:46 AM IST

आज तक रेडियो आप के लिए लाता है सुबह सवेरे देश का पहला मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट ‘आज का दिन’, जहां आप हर सुबह अपने काम की शुरुआत करते हुए सुन सकते हैं आपके काम की ख़बरें और उन पर क्विक एनालिसिस. साथ ही, सुबह के अख़बारों की सुर्ख़ियाँ और आज की तारीख में जो घटा, उसका हिसाब किताब. आगे लिंक भी देंगे लेकिन पहले जान लीजिए कि आज के एपिसोड में हमारे पॉडकास्टर अमन गुप्ता किन ख़बरों पर बात कर रहे हैं. 

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मोरबी हादसे में किसकी लापरवाही?

कल जब देश छठ पर्व पर पूजा अर्चना में डूबा था तो गुजरात के मोरबी में शाम करीब 7 बजे बड़ा हादसा हो गया. यहां केबल सस्पेंशन ब्रिज टूटने से करीब 400 लोग मच्छु नदी में गिर गए. इनमें 100 से ज्यादा लोगों की नदी में डूबने से मौत हो गई. ये पुल पिछले 6 महीने से बंद था. हाल ही में करीब 2 करोड़ रुपए की लागत से इसके मरम्मत का काम पूरा किया गया था और रिनोवेशन के बाद इसी महीने दिवाली के एक दिन बाद यानी 25 अक्टूबर को खोला गया था.  

घटना के बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि वो रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी ले रहे हैं साथ ही घायलों के तत्काल उपचार की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा गुजरात सरकार ने मृतकों के परिवार को दो लाख और घायलों को 50 हजार रुपए की सहायता देने का ऐलान किया है. ब्रिज के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है. इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया है. साथ ही ग्रुप के पास ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, रखरखाव, टोल वसूलने, स्टाफ का मैनेजमेंट का ठेका है. वहीं अब कांग्रेस ने इस पूरे मसले को चुनावी मोड़ दे दिया है. पार्टी का कहना है कि चुनाव की जल्दबाज़ी में बीजेपी ने पुल को लोगों के लिए जल्दी खोल दिया जिस कारण ये हादसा हुआ. इसके अलावा दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ने भी घटना को दुखद बताया है.  ख़ैर ये हादसा हुआ कैसे क्या चुनाव की जल्दबाज़ी में मरम्मत के काम को बिना जांचे परखे पुल को चालू कर दिया गया?

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अफ़्रीका-एशिया में क्यों है आतंकवाद का सबसे ज़्यादा ख़तरा?

भारत में UNSC यानि यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल की  काउंटर टेररिज्म कमेटी की दो दिनों की स्पेशल मीटिंग हुई. पहले दिन सम्मेलन का आयोजन मुंबई में और दूसरे दिन सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में हुआ. UNSC पर अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में किसी भी बदलाव को मंजूरी देने की जिम्मेदारी है. दो दिनों की मीटिंग में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तकनीक के जरिए आतंकी हमलों को अंजाम दिए जाने की चेतावनी दी और कहा कि कम लागत और आसानी से मिलने की वजह से दुनियाभर में ड्रोन हमलों का खतरा बढ़ गए हैं. और वाकई अगर आप देखें तो अकेले भारत में अक्टूबर तक इस साल 107 ड्रोन देखे गए जो या तो ड्रग्स सप्लाई के लिए इस्तेमाल किए जा रहे था या फिर आतंकी गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए. भारत का इसपर भी ज़ोर था सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी कट्टरता और षड्यंत्र फैलाने का टूलकिट बन गए हैं क्योंकि टेक्नोलॉजी की आसानी से उपलब्धता ने आतंकियों की क्षमताएं बढ़ा दी हैं. बकौल UNSC आतंकवाद का सबसे ज्यादा खतरा एशिया और अफ्रीका में है. लेकिन ऐसा क्यों

भीड़, स्वास्थ्य के लिए कितनी ख़तरनाक़? 

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दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में शनिवार को  हैलोवीन सेलिब्रेशन में लाखों की भीड़ जुटी. उसी दौरान वहां मौजूद फिल्मी सितारे को देखने के लिए भीड़ बेकाबू हुई और भगदड़ मच गई. हादसे में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. ये आंकड़े लगातार बढ़ भी रहे हैं. वहीं 2 हजार से ज्यादा लोग लापता हैं. घटना के बाद साउथ कोरिया के प्रेसिडेंट ने एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया और इसके बाद दिल्ली में स्थित साउथ कोरिया एंबेसी का झंडा आधा झुकाया गया. अधिकारियों ने बताया कि कोरोना काल के बाद से यह पहला मौका था, जब हैलोवीन पर इतनी संख्या में भीड़ इकट्ठा हुई थी. इसके बाद भीड़ सितारों को देखने के लिए संकरी गली में पहुंच गई और ये हादसा हुआ. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने घायलों का तेजी से इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. अब इस घटना के बाद मेडिकल फिल्म में भीड़ को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि सियोल में हुई ज्यादातर मौतें दम घुटने से हुई हैं. तो क्या भीड़ में जाना लोगों के सेहत के लिए वाक़ई चिंता वाली बात है?
 

31 अक्टूबर 2022 का 'आज का दिन' सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

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