
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) के एक फैसले का लोग विरोधकर रहे हैं. प्रधानमंत्री सुनक के एक फैसले से लोगों में इस कदर नाराजगी है कि गुरुवार को उनके आवास को पूरी तरह से काले कपड़े से ढक दिया गया. हालांकि, जिस समय प्रदर्शनकारियों ने सुनक के आवास को काले कपड़े से ढका. वह उस समय घर पर मौजूद नहीं थे. वह बुधवार शाम ही परिवार संग छुट्टियां मनाने के लिए कैलिफोर्निया के लिए रवाना हो गए थे.
ब्रिटिश प्रधानमंत्री के आवास को काले कपड़े से ढकने का काम ग्रीनपीस संस्था के प्रदर्शनकारियों का है. ये लोग ऑयल ड्रिलिंग को लेकर सरकार की नीति का विरोध कर रहे हैं. हाल के कुछ महीनों में सुनक की पर्यावरणीय नीतियों का खुलकर विरोध हुआ है.
ग्रीनपीस यूके के ट्विटर हैंडल के जरिए एक तस्वीर ट्वीट की गई, जिसमें दिखाई दे रहा है कि प्रदर्शनकारी लगभग 200 मीटर के कपड़े से सुनक के घर को कवर कर रहे हैं. हालांकि सुनक इस दौरान घर में मौजूद नहीं थे.
इस दौरान चार प्रदर्शनकारी यॉर्कशायर में सुनक के आवास की छत पर चढ़ गए और आवास को काले कपड़े से ढक दिया. इस तस्वीर में दो कार्यकर्ता एक बैनर लिए हुए हैं, जिस पर लिखा है ऋषि सुनक- तेल मुनाफा या हमारा भविष्य? इसके अलावा गुरुवार को सुनक के आधिकारिक आवास डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर भी विरोध प्रदर्शन हुआ.
ग्रीनपीस यूके ने बयान में कहा कि हमें अपने प्रधानमंत्री को एक क्लाइमेट लीडर की जरूरत है, न कि पर्यावरण को बर्बाद करने वाले नेता की.
ग्रीन पीस के मुताबिक पीएम के घर को काले कपड़े से ढककर उन्होंने सुनक से एक सवाल पूछा है. वो जानना चाह रहे हैं कि पर्यावरण में बदलाव के खिलाफ लड़ाई में वो किसके साथ हैं. वे बड़ी तेल कंपनियों के पाले में हैं या फिर एक जीवन जीने लायक पृथ्वी की तरफ हैं.
पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि जलवायु संकट तेज हो रहा है और ऋषि सुनक की नीति अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की पिछली चेतावनी के विपरीत है. उन्होंने कहा है कि अगर दुनिया को ग्लोबल वॉर्मिंग से बचाना है तो तेल और गैस की खोज में कोई नया निवेश नहीं होना चाहिए.
बता दें कि ब्रिटेन सरकार ने उत्तरी सागर में तेल और गैस के लिए ड्रिलिंग की अनुमति दे दी है. इसे लेकर देश में मौजूद पर्यावरण कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. वे सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध कर रहे हैं.