
कर्नाटक (Karnataka) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अब एक नए मुख्यमंत्री की तलाश में हैं. राज्य के कद्दावर नेता बीएस. येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया. 75 की उम्र पार कर चुके बीएस. येदियुरप्पा ने अपनी सरकार के दो साल पूरे होने पर इस्तीफा दिया है.
अब सवाल ये उठ रहा है कि येदियुरप्पा का उत्तराधिकारी कौन होगा. क्या उनके दो बेटों में से किसी को कोई पद मिलेगा?
इन तमाम सवालों के बीच एक तस्वीर की चर्चा हो रही है. जिसमें बीएस. येदियुरप्पा अपने पूरे परिवार के साथ डिनर पर गए हुए थे, जहां की ये तस्वीर है. हालांकि, ये तस्वीर बीएस. येदियुरप्पा के इस्तीफा देने से पहले की है. ऐसे में इस्तीफे के बाद से इस तस्वीर का कोई ताल्लुक नहीं है.
लेकिन तस्वीर में बीएस. येदियुरप्पा के पूरे परिवार को देखा जा सकता है, जिसमें बेटा, बेटी और पोता-पोती शामिल हैं. जो राजनीतिक तौर पर एक्टिव भी है. ऐसे में हर किसी की नज़रें इनपर टिकी हैं.
कौन-कौन है बीएस येदियुरप्पा के परिवार में?
78 साल के बीएस. येदियुरप्पा के कुल पांच बच्चे हैं, जिनमें दो बेटे राजनीति में एक्टिव हैं. बाकी तीन बेटियां हैं. बीएस. येदियुरप्पा की शादी साल 1967 में मैथरा देवी से हुई थी, मैथरा का साल 2004 में निधन हो गया था. अब परिवार में बेटी पद्मावती, अरुणादेवी, उमा देवी और दो बेटे BY राघवेंद्र, BY विजयेंद्र हैं.
बीएस. येदियुरप्पा के बड़े बेटे बीवाई राघवेंद्र इस वक्त लोकसभा सांसद हैं. राघवेंद्र कर्नाटक की शिमोगा सीट से सांसद हैं, जो पहले उनके पिता की सीट थी. साथ ही राघवेंद्र विधायक भी रह चुके हैं. बीवाई. राघवेंद्र अपने पिता के उत्तराधिकारी बनने के उम्मीदवार हैं, साथ ही माना जा रहा है कि येदियुरप्पा की कोशिश उन्हें केंद्र की राजनीति में एक्टिव करने की है.
वहीं, अगर बीवाई विजयेंद्र की बात करें तो वह राज्य की राजनीति में एक्टिव हैं और अपने पिता के साये में ही राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं. कानूनी डिग्री हासिल कर चुके बीवाई विजयेंद्र में राज्य में अपने पिता का उत्तराधिकारी माना जा रहा है.
अभी रिटायर नहीं हुए हैं येदियुरप्पा?
बता दें कि बीएस. येदियुरप्पा के इस्तीफे को लेकर लंबे वक्त से अटकलें लगाई जा रही थीं. लेकिन येदियुरप्पा ने हर बार यही कहा कि केंद्रीय नेतृत्व जो आदेश देगा, वह उसी का पालन करेंगे. इस बीच बीएस. येदियुरप्पा से बार-बार लिंगायत समुदाय के लोगों का मिलना जारी रहा. अब जब अंतत: बीएस. येदियुरप्पा ने अपना पद त्यागा है, तब समर्थकों ने साफ किया है कि उन्होंने सिर्फ इस्तीफा दिया है राजनीति से रिटायर नहीं हुए हैं. येदियुरप्पा ने भी खुद कहा कि वो पार्टी को मजबूत करने का काम करेंगे.