
आख़िर जिसका इंतज़ार था, वो आज आ गया. देश का बजट. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ये पांचवां बजट था. और सरकार की टॉप प्रायॉरिटीज़ बताते हुए उन्होंने कहा कि अमृत काल में सप्त ऋषि की तरह सरकार की सात प्रायोरिटीज़ हैं. 87 मिनट का बजट भाषण था, जिसमें वित्त मंत्री ने टैक्स शब्द का इस्तेमाल सबसे ज्यादा 51 बार किया. 28 बार विकास और 25 बार खेती-किसानी और फाइनेंस शब्द बोला उन्होंने. हर बजट में ये गिनती इसलिए शायद की जाती है कि सरकार की प्राथमिकताएं समझने का एक तरीका इसे भी मान लिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज़ाहिरन आम बजट की तारीफ की है.
वित्त मंत्री की जिस घोषणा की चर्चा सबसे ज़्यादा है, वो है - इनकम टैक्स रिबेट. अभी सालाना पांच लाख तक की आय पर लोग कोई इनकम टैक्स नहीं देते हैं. इसको न्यू टैक्स रिजीम में सात लाख करने का प्रस्ताव रखा गया है. इसके अलावा नए टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट टैक्स रिजीम भी बना दिया गया है और 2020 में लागू हुए 6 इनकम टैक्स के स्लैब बदलकर 5 कर दिया है. जो लोग पुरानी टैक्स रिजीम के हिसाब से टैक्स फाइल करना चाहें तो वो विकल्प भी खुला है. अब इसे समझें कैसे. पुरानी रेजीम में पैसा ज़्यादा बचेगा या नई रेजीम में, ये इस बात पर निर्भर होगा कि आप कमाते कितना हैं. तो सरकार के इस प्रस्ताव में आम आदमी के लिए क्या संदेश है? पुरानी और नई टैक्स रिजीम में फ़र्क़ क्या है और कौन सा बेहतर है? साथी ही किस आयवर्ग के टैक्सपेयर्स को कौन सा टैक्स रिजीम चुनना चाहिए, सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में.
बजट का दूसरा पहलू... सोशल वेलफेयर स्कीम्स. लोक कल्याणकारी योजनाएं. सरकार ख़र्च करती है ताकि आर्थिक पायदान पर सबसे नीचे, हाशिये पर बैठे लोगों तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचे, उनका जीवन स्तर बेहतर हो. बीजेपी की जीत के सिलसिले का बड़ा क्रेडिट इन योजनाओं को दिया गया कि महिलाओं तक सिलिंडर पहुंचा है, मकान मिले हैं, इत्यादि. इस साल नौ राज्यों में चुनाव हैं और अगले ही साल लोकसभा चुनाव भी हैं तो बजट में वेलफेयर स्कीम्स पर भी सरकार का ख़ास ध्यान रहा. गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मुफ्त राशन की अवधि एक साल तक बढ़ा दी गई है.
इसके अलावा पीएम आवास योजना की राशि भी 66 फीसदी बढ़ाई गई. साथ ही महिलाओं के लिए सम्मान बचत पत्र योजना की शुरुआत की जाएगी, जिसमें दो साल तक 7.75 पर्सेंट का इंटरेस्ट मिलेगा, एफडी से कहीं ज़्यादा. तो ओवरऑल वेलफेयर स्कीम्स के लिए ये बजट कैसा रहा और मनरेगा के बजट में कटौती का क्या असर पड़ेगा, सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में.
किसी भी देश की जनता का वर्तमान और भविष्य पांच खंभों पर टिका होता है. एजुकेशन, हेल्थ, डिफेंस, एग्रीकल्चर और रेलवे. क्योंकि इनमें मिलने वाली राहत या कटौती आम लोगों पर सीधा असर डालती है इसलिए वित्तमंत्री के बजट भाषण में ये सबसे ज़्यादा ध्यान खींचते हैं. ध्यान ये विपक्ष का भी खींचते हैं इसलिए कांग्रेस इन पांच पिलर्स के बहाने सरकार पर हमलावर है.
कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के अलावा कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने भी यही बात कही है कि सरकार ने पिछले बजट में एग्रीकल्चर, हेल्थ और एजुकेशन को पैसा तो दिया लेकिन वो पूरा ख़र्च ही नहीं किया. तो सरकार की पॉलिसी है कि प्रॉमिस ज़्यादा करो पर डिलिवर कम करो. ये जो पांच सेक्टर्स हैं, 2023 के बजट में इनसे जुड़े हाई पॉइंट्स क्या रहे, सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.
बजट को समग्रता में देखें तो ये बजट कैसा है? एक्सपर्ट्स इसे कैसे देखते हैं. बड़े positives क्या रहे और कहां कोर-कसर रह गई. इस पर दो सीनियर इकोनॉमिस्ट्स से बातचीत सुनिए 'दिन भर' की आख़िरी ख़बर में.