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टीएमसी की मांग- किसानों के मसले पर सर्वदलीय बैठक बुलाएं पीएम मोदी

सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि 20 विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बॉयकॉट किया, यह सरकार को कड़ा संदेश था कि कृषि कानून वापस लिए जाएं.

दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं किसान (फाइल फोटोः पीटीआई) दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं किसान (फाइल फोटोः पीटीआई)
पॉलोमी साहा/इंद्रजीत कुंडू
  • नई दिल्ली/ कोलकाता,
  • 31 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:15 AM IST
  • 'बहुमत की ताकत से किसान को परेशान नहीं होने देंगे'
  • टीएमसी ने संघीय ढांचे की समीक्षा को बताया जरूरी
  • 'लगातार समस्या बनी हुई है बेरोजगारी, चर्चा हो'

संसद के बजट सत्र को लेकर शनिवार के दिन सर्वदलीय बैठक हुई. सर्वदलीय बैठक के दौरान किसानों से जुड़ा मुद्दा छाया रहा. पीएम मोदी की मौजूदगी में तृणमूल कांग्रेस के संसदीय दल के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर तंज कसा और कृषि कानून का मुद्दा भी उठाया. सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि 20 विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बॉयकॉट किया, यह सरकार को कड़ा संदेश था कि कृषि कानून वापस लिए जाएं.

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टीएमसी संसदीय दल के नेता ने कहा कि बहुमत की शक्ति से किसानों को परेशान नहीं होने देंगे. टीएमसी की ओर से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस मसले पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर चर्चा करनी चाहिए. इससे अच्छा संदेश जाएगा कि सरकार लोकतांत्रिक है. टीएमसी नेता ने कहा कि खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्टैंडिंग कमेटी 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' पर चर्चा कर रही थी. रिपोर्ट अभी सबमिट की जानी है लेकिन राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि यह पॉलिसी पहले ही शुरू की जा चुकी है. यह आश्चर्यजनक है. उन्होंने सरकार से इसे स्पष्ट करने की मांग की.

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सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि बेरोजगारी लगातार समस्या बनी हुई है. भूखे युवा लड़ रहे हैं और हमें जरूरत है कि उन्हें रास्ता दिखाएं. उन्होंने संसद में इस मसले पर व्यापक बहस की बात कही. टीएमसी संसदीय दल के नेता ने संघीय ढांचे और विदेशी मामलों की गहन समीक्षा की भी जरूरत बताई और कहा कि राज्य सरकारें केंद्र के साथ हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अन्य मुद्दों पर काम करना बहुत मुश्किल हो गया है.

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इससे पहले, बैठक में बीजू जनता दल ने बजट सत्र में ही महिला आरक्षण बिल लोकसभा से पारित कराने की मांग की. वहीं, अन्य विपक्षी दलों ने कृषि कानून का मसला उठाया. सियासी दलों ने किसानों को राष्ट्र विरोधी बताए जाने पर भी आपत्ति जाहिर की. सरकार की ओर से विपक्ष को आश्वस्त किया गया कि वो कृषि कानून और अन्य मसलों पर चर्चा के लिए तैयार है.

 

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