Bullet Train Project को SC ने राष्ट्रीय महत्व का बताया, अदालतों के हस्तक्षेप पर चिंता

बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय महत्व का बताया है. उनके मुताबिक जिन भी परियोजनाओं में विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल होता है, वहां पर किसी भी तरह की देरी देशहित में नहीं हो सकती है.

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बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 01 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 6:08 PM IST
  • 2017 में जापान के साथ हुआ था करार
  • 2022 तक परियोजना को करना था पूरा
  • महाराष्ट्र में धीमा भूमि अधिग्रहण का काम

सोमवार को देश की उच्चतम न्यायालय ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा फैसला दिया. एक तरफ कोर्ट ने इस परियोजना को राष्ट्रीय महत्व का बताया तो वहीं दूसरी तरफ इसमें अदालतों के हस्तक्षेप पर भी चिंता जाहिर की. कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसी परियोजनाओं में देरी करना ठीक नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को भी रद्द कर दिया गया है जहां पर NHDRC को कहा गया था कि वे एक डिपो तैयार करें और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी मोंटेकार्लो लिमिटेड की बोली पर भी विचार करें. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने साफ कहा है कि ऐसे हस्तक्षेप किसी भी परियोजना के पूरा होने में देरी का कारण बन सकते हैं. तर्क दिया गया जिन परियोजनाओं में विदेशी फंडिंग होती है, जहां पर दूसरे देशों का सहयोग लिया जाता है, उनमें देरी करना भविष्य के निवेश या फंडिंग पर भी बुरा असर डाल सकता है.

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इस पूरे विवाद की बात करें तो NHDRCL ने मोंटेकार्लो की बोली को स्वीकार नहीं किया था, इसकी जगह उन्होंने SCCVRS- JV को ठेका दे दिया था. तब मोंटेकार्लो ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर इसका विरोध किया था. मोंटेकार्लो ने दावा किया था कि उन्हें अंत तक NHDRCL के फैसले का नहीं पता था और बिना किसी कारण के ही उनकी बोली को खारिज कर दिया गया.

लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने तमाम हस्तक्षेपों को दूर कर दिया है और इस परियोजना को राष्ट्रीय महत्व वाला बताया है. जानकारी के लिए बता दें कि साल 2017 में भारत सरकार का जापान के साथ बुलेट ट्रेन को लेकर करार हुआ था. तब कहा गया था कि 1.10 लाख करोड़ रुपए की अनुमानित लागत के साथ इस परियोजना को पूरा किया जाएगा. तब 2022 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की बात थी. लेकिन कोरोना की वजह से देरी हो गई है और महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण का काम भी सुस्त चल रहा है.

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