
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की याचिकाओं में हलफनामा दायर किया है. इस हलफनामे में केंद्र सरकार ने CAA का बचाव किया है. कोर्ट ने नोटिस देकर सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था. केंद्र ने दलील दी है कि CAA नागरिकों के लिए एक उदार भाव रखने वाला कानून है. इसके साथ ही कहा है कि CAA कुछ देशों के विशिष्ट समुदायों के लिए एक माफी के तौर पर कुछ छूट देना चाहता है.
केंद्र ने जवाब दिया है कि ये कानून कुछ खास पड़ोसी देशों के वर्गीकृत समुदायों पर किए जा रहे उत्पीड़न से जुड़ा है जिस पर अब तक किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया था. सरकारें आई और गईं लेकिन किसी सरकार ने न तो इस समस्या की ओर गंभीरता से ध्यान दिया और ना ही इसके लिए कानूनी उपाय किए.
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि CAA किसी भी तरह से नागरिकता से संबंधित मौजूदा कानूनी अधिकारों या शासन को प्रभावित नहीं करता है.केंद्र ने यह भी स्पष्ट किया कि वैसे भी नागरिकता के मानदंड तय करना संसद के अधिकार क्षेत्र में ही आता है. अदालतों को विशेषज्ञ की तरह इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें सरकार की विदेश नीति का भी दखल रहता है.
कल होगी सुनवाई
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 31 अक्टूबर यानी सोमवार को सुनवाई होनी है. चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रविंद्र भट के नेतृत्व वाली बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी.
क्या है CAA?
CAA को 12 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था. इस एक्ट की मदद से पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के वो लोग जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया था. वे सभी भारत की नागरिकता के पात्र होंगे.
विवादों में रहा CAA
साल 2019 के अंत में और 2020 की शुरुआत में CAA को लेकर खूब विरोध प्रदर्शन हुए थे. दिल्ली में इसे लेकर महीनों तक सड़कें जाम की गई थीं.