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CAA: जिस कानून पर मचा सबसे ज्यादा बवाल, बिना लागू हुए गुजर गया एक साल

नया नागरिकता कानून लोकसभा में 9 दिसंबर, 2019 को और राज्यसभा में 11 दिसंबर, 2019 को पास हुआ था. इसके बाद 12 दिसंबर को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी. इतने समय में गृह मंत्रालय की ओर से इस कानून पर शायद ही कुछ कहा गया हो.

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर काफी विरोध प्रदर्शन हुआ था.(फाइल फोटो) नागरिकता संशोधन कानून को लेकर काफी विरोध प्रदर्शन हुआ था.(फाइल फोटो)
कमलजीत संधू
  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:35 AM IST
  • नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 की पहली वर्षगांठ नजदीक
  • CAA पर फोकस की तैयारी में है भारतीय जनता पार्टी

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 की पहली वर्षगांठ नजदीक आ रही है, लेकिन ये कानून अभी तक प्रभाव में नहीं आया है क्योंकि इसके नियमों को अभी तक गृह मंत्रालय (MHA) ने अधिसूचित नहीं किया है. हालांकि इस साल का ज्यादातर समय कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन लागू करने और अनलॉक करने में गुजर गया, लेकिन अब ये विवादास्पद कानून फिर से चर्चा में है.

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क्या जनवरी में लागू होगा कानून?

नया नागरिकता कानून लोकसभा में 9 दिसंबर, 2019 को और राज्यसभा में 11 दिसंबर, 2019 को पास हुआ था. इसके बाद 12 दिसंबर को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी. इतने समय में गृह मंत्रालय की ओर से इस कानून पर शायद ही कुछ कहा गया हो. लेकिन पिछले हफ्ते बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने अप्रत्याशित रूप से पश्चिम बंगाल में घोषणा कर दी कि जनवरी 2021 से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को संभवत: नागरिकता देने की शुरुआत की जाएगी.

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विजयवर्गीय ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, "बीजेपी जो कहती है वो करती है. संसद में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के बयान के बाद हमने कहा था कि हम सीएए को लागू करेंगे. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद क्योंकि ममता बनर्जी समेत कई नेता इसके खिलाफ कोर्ट गए हैं. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी) को नागरिकता मिलेगी. हम उन्हें नागरिकता देंगे. हमने जो कहा था, वो करेंगे."

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अब सीएए पर फोकस करेगी बीजेपी

विजयवर्गीय ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम अगले साल जनवरी से लागू होने की संभावना है क्योंकि केंद्र और बीजेपी पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में शरणार्थी आबादी को नागरिकता देने की इच्छुक है. हालांकि, नियमों को अधिसूचित किए बिना इस कानून को लागू नहीं किया जा सकता. ये बयान यूं ही नहीं दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि बीजेपी वापस सीएए पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है क्योंकि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री इसे मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले साल की खास उप​लब्धि के तौर पर पेश कर रहे हैं.

असम और बंगाल चुनाव पर होगा असर

यह भी जानकारी मिली है कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक पखवाड़े पहले दिल्ली में पार्टी नेताओं के साथ एक बैठक में सीएए पर भी चर्चा की, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के सीएम सर्बानंद सोनोवाल मौजूद थे. बैठक का मुख्य मुद्दा असम विधानसभा चुनाव था, लेकिन इसमें सीएए पर भी चर्चा हुई. सूत्रों की मानें तो सीएए के नियमों को जल्द ही अधिसूचित कर दिया जाएगा.

सीएए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों को धर्म के आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान करता है जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए हैं. नियमों के अधिसूचित किए जाने के बाद एक बार फिर इसे लेकर विरोध-प्रदर्शनों का दौर शुरू हो सकता है, लेकिन ये कानून 2021 में राज्यों के चुनावों को भी प्रभावित करेगा. खास तौर पर पश्चिम बंगाल और असम जिनकी सीमाएं बांग्लादेश से मिलती हैं.

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छात्र संगठन मनाएंगे काला दिवस

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि उनकी सरकार राज्य में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) या राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के कार्यान्वयन की अनुमति नहीं देगी. इस बीच, नार्थ ईस्टर्न स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन (NESO) समेत कई संगठनों ने घोषणा की है कि 11 दिसंबर को काला दिवस मनाया जाएगा. नार्थ ईस्टर्न स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन में पूर्वोत्तर के सात राज्यों के आठ छात्र संगठन शामिल हैं.

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