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Indian Army news: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की भारतीय सेना (Indian Army) को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट में सामने आया है कि भारतीय सेना ने निजी फर्म के माध्यम से वाहन, टैंक और हथियारों को रिपेयर करने की तैयारी की थी . हालांकि इस प्रोजेक्ट में देरी की बात भी सामने आई है. जिस पर कैग ने सवाल खड़े किए हैं.
जो जानकारी आई है, उसके मुताबिक इस प्रोजेक्ट को 'सरकार द्वारा स्वामित्व वाले कॉन्ंट्रेक्टर' (GOCO) मॉडल कहा गया था, जिसमें सेना के जरूरी सामानों, हथियारों का सुधार शामिल था. इस मॉडल के लागू होने पर जिससे सेना का खर्चा कम हो जाता. आर्मी बेस वर्कशॉप अभी तक सारे वाहनों, हथियारों ओर जरूरी उपकरणों का रखरखाव रखते हैं. साल 2006 में आर्मी हेडर्क्वाटर ने आर्मी बेस वर्कशॉपों को अत्याधुनिक बानने के लिए इसकी पहल की थी. ताकि पुराने बुनियादी ढांचे और मशीनरी को आर्मी बेस वर्कशॉप में सुधारा जा सके.
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मंगलवार को संसद में इसी को लेकर कैग की रिपोर्ट रिपोर्ट सदन में रखी गई . जिसमें कहा गया कि GOCO मॉडल अभी पूरी तरह लागू नहीं हुआ है. हालांकि इसे लागू करने का तय समय दिसंबर 2019 था. कैग रिपोर्ट में आगे ये भी बताया गया कि इस मॉडल को लेकर आर्मी हेडर्क्वाटर बेस वर्कग्रुप ने ये अनुमान लगाया था कि इसमें ऑपरेशनल चैलेंज आएंगे. 2017 की कैग रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद कमेटी ऑफ एक्सपर्ट की अनुशंसा पर भारतीय सेना ने आर्मी बेस बर्कशॉप (ABW) को संगठित करने और आुधनिक करने के प्लान को बंद कर दिया था.
वहीं कैग ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा कि आर्मी बेस वर्कशॉप के आधुनिकीकरण के लिए 9.46 करोड़ रुपए इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए खर्च किए गए गए थे, जो खर्च पूरी तरह असफल रहा. कैग ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा कि 1077 मे 385 स्टेशन, वर्कशॉप, निष्क्रिय पड़े हुए हैं. GOCO मॉडल में इन सारे मुद्दों पर बात ही नहीं की गई.
कैग ने अपनी रिपोर्ट में रक्षा मंत्रालय को ये सलाह दी है कि वह सारे जोखिम कम करें, साथ में ये भी देखे कि कॉन्ट्रैक्ट के तहत जो मैनपॉवर लगी है. ताकि आर्मी बेस वर्कशॉप के काम में देरी न हो.