Advertisement

'बंगाल CID ने मुझे अपशब्द कहे, टॉर्चर किया', कलकत्ता HC की जज के पति ने राष्ट्रपति और PM से मांगी मदद

कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अमृता सिन्हा के पति ने एक मामले के सिलसिले में पूछताछ के दौरान सीआईडी ​​अधिकारियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. वहीं सीआईडी ​​ने उनके द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को झूठा, मनगढ़ंत और निराधार बताते हुए पूरी तरह से खारिज कर दिया.

कलकत्ता हाई कोर्ट की जज के वकील पति ने पश्चिम बंगाल सीआईडी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कलकत्ता हाई कोर्ट की जज के वकील पति ने पश्चिम बंगाल सीआईडी पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
राजेश साहा
  • कोलकाता,
  • 22 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:48 AM IST

कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अमृता सिन्हा के पति ने एक मामले के सिलसिले में पूछताछ के दौरान सीआईडी ​​अधिकारियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. साल्टलेक के बिधाननगर दक्षिण पुलिस स्टेशन में दर्ज संपत्ति विवाद मामले में पश्चिम बंगाल सीआईडी ​​ने उन्हें दो बार बुलाया और पूछताछ की. उन्हें सीआरपीसी की धारा 160 के तहत मामले में गवाह के रूप में पूछताछ के लिए बुलाया गया था. अधिवक्ता प्रताप चंद्र डे ने सीआईडी ​​कार्यालय में अपनी दूसरी उपस्थिति के बाद अमानवीय यातना और उत्पीड़न के आरोप लगाए.

Advertisement

पश्चिम बंगाल सीआईडी ​​ने जज के पति द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को झूठा, मनगढ़ंत और निराधार बताते हुए पूरी तरह से खारिज कर दिया. सीआईडी ​​ने कहा कि, 'इस तरह के आरोपों के पीछे का इरादा न केवल संबंधित अधिकारियों की प्रतिष्ठा को खराब करना है, बल्कि चल रही जांच पर प्रश्नचिन्ह लगाना और मुद्दे से भटकाना '. सीआईडी ​​द्वारा पूछताछ किए जाने के बाद, वकील प्रताप चंद्र डे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को शिकायती पत्र लिखा है.

एक दिन पहले उन्होंने यही शिकायती चिट्ठी कोलकाता मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को भी लिखी थी. इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि सीआईडी ​​ने पूछताछ के दौरान उन पर अपनी पत्नी के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डाला. पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि जिस मामले में उन्हें गवाह के रूप में बुलाया गया था, उसके बारे में उनसे पूछताछ करने के बजाय, सीआईडी ​​अधिकारियों ने उनकी पत्नी न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा के बारे में विभिन्न जानकारी हासिल करने की कोशिश की. वकील ने यह भी आरोप लगाया, 'मेरे साथ एक अपराधी की तरह व्यवहार किया गया, जैसे मैं किसी जघन्य मामले में आरोपी हूं. मुझसे एक से अधिक अधिकारियों ने पूछताछ की और केवल मेरी पत्नी और उससे जुड़े व्यक्तिगत विवरण के बारे में प्रश्न पूछे गए'.

Advertisement

'मुझसे मेरी पत्नी के बारे में व्यक्तिगत जानिकारियां मांगी गईं'

प्रताप चंद्र डे के मुताबिक, 'अधिकारियों ने मुझे बताया कि उन्हें मामले के विवरण में कोई दिलचस्पी नहीं है, लेकिन वे मेरी पत्नी के संबंध में जवाब चाहते हैं. उनकी इच्छा और सुविधा के अनुसार वीडियो को चालू और बंद किया जाता था. साढ़े तीन घंटे तक यातना और उत्पीड़न चलता रहा. उन्होंने मेरी पत्नी के खिलाफ गवाही देने के लिए जबरदस्त दबाव डाला. जैसे ही मैंने उसके खिलाफ कोई भी बयान देने से इनकार कर दिया, पूछताछ करने वाले अधिकारियों ने असभ्यता करनी शुरू कर दी. मुझे भारी रकम, महंगी कारें, शानदार आवासीय अपार्टमेंट और कई अन्य चीजों की पेशकश की गई थी, जिनका उल्लेख करने में मुझे शर्म आ रही है'.
     
न्यायमूर्ति सिन्हा के पति ने अपने शिकायती पत्र में कहा है, 'सीआईडी अधिकारियों ने अगर मैं उनकी सलाह के अनुसार गवाही देने में विफल रहा तो मुझे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी. मेरी पत्नी और बच्चे को भी धमकी दी गई है. उन्होंने खुलासा किया कि वे अपने वरिष्ठ अधिकारी की सलाह के अनुसार कार्य कर रहे थे. अगर मैं उनका पालन करने में विफल रहा, तो वे हमें टुकड़ों में काटकर मेरे पूरे परिवार को बर्बाद कर देंगे'. जज के पति द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद पश्चिम बंगाल सीआईडी ​​ने एक प्रेस बयान जारी कर मामले में अपना पक्ष रखा.

Advertisement

सीआईडी ने पीसी डे के सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया
 
सीआईडी ​​ने बयान में दावा किया है, 'अधिवक्ता डे बुलाए गए समय पर रिपोर्ट करने में विफल रहे और देरी से पहुंचने के बारे में सूचित भी नहीं किया. उन्होंने किसी न किसी बहाने से पूछताछ में शामिल नहीं होने का प्रयास किया. पूछताछ की पूरी प्रक्रिया की कानून के अनुसार ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की गई. उनके साथ अच्छा व्यवहार किया गया. उन्हें चाय और पानी दिया गया. पूछताछ के दौरान डे का समुचित ध्यान रखा गया. उन्हें टॉयलेट जाने या धूम्रपान करने के लिए पर्याप्त समय प्रदान किया गया, जैसा कि उनके द्वारा मांग की गई थी. प्रासंगिक रूप से पूछताछ की पूरी प्रक्रिया और सीआईडी परिसर में एडवोकेट पीसी डे की गतिविधियां या तो वीडियो रिकॉर्डिंग या सीसीटीवी में रिकॉर्ड की गईं'.

सीआईडी ने आगे कहा, 'इसके अलावा एडवोकेट पीसी डे से पूरे समय केवल बिधाननगर दक्षिण पुलिस स्टेशन में दर्ज मामलों से संबंधित तथ्यों और सबूतों के बारे में पूछताछ की गई, और जो सीधे तौर पर उनसे जुड़े हुए हैं. उनसे हमारे पास मौजूद सबूतों के बारे में भी गहन पूछताछ की गई. वह बिना किसी शिकायत या चिंता के रात 11.04 बजे हमारे कार्यालय से चले गए, जिसे अब गलत तरीके से उठाया जा रहा है और मीडिया में रिपोर्ट किया जा रहा है. यह दोहराया जाता है कि सीआईडी ​​की छवि को धूमिल करने के लिए किए गए प्रयास न केवल दुर्भावनापूर्ण हैं, बल्कि इसके पीछे का एकमात्र इरादा किसी अपराध को उजागर करने और संपूर्ण तथ्यों को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रखने के जांच एजेंसी के प्रयासों को पटरी से उतारने का है'.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement