
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति को कनाडा के साथ चल रहे विवाद के बारे में जानकारी दी. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल सरकार से कनाडा के साथ राजनयिक तनाव को लेकर दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं को विश्वास में लेने की मांग कर रहे थे. बैठक में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भारत और कनाडा के बीच राजनयिक गतिरोध के बारे में स्टैंडिंग कमेटी के साथ जानकारी साझा की.
सूत्रों के मुताबिक विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति को यह भी कहा कि चूंकि मुद्दा बहुत संवेदनशील है, इसलिए अधिक जानकारी बाद में साझा की जाएगी. कनाडा ने भारतीय राजनयिकों पर खालिस्तानियों को निशाना बनाने के लिए जानकारी एकत्र करने और उन्हें ठिकाने लगाने में आपराधिक गिरोहों का उपयोग करने में शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसके बाद भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए.
यह भी पढ़ें: भारत-चीन के बीच डिसइंगेजमेंट से लेकर चक्रवात दाना तक की खबर भोजपुरी में देखें
कनाडा के इन बेतुके आरोपों के बाद भारत ने ओटावा में अपने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा को वापस बुला लिया और छह कनाडाई राजनयिकों को देश से निष्कासित कर दिया. पिछले हफ्ते कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि दोनों देशों के बीच चल रहे राजनयिक गतिरोध के बीच जस्टिन ट्रूडो द्वारा लगाए गए आरोपों के मद्देनजर सरकार को विपक्षी दलों को विश्वास में लेना चाहिए. कनाडा विवाद के अलावा, विदेश सचिव ने संसदीय पैनल को पश्चिम एशिया संकट पर भी जानकारी दी.
सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी सांसदों ने सवाल किया कि गाजा में मानवीय संकट की सरकार की ओर से सार्वजनिक निंदा क्यों नहीं की गई और भारत ने इजरायल-हमास युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र में मतदान से 20 बार परहेज क्यों किया? सांसदों ने यह भी सवाल किया कि क्या भारत इजराइल को हथियारों की आपूर्ति कर रहा है. सूत्रों ने बताया कि विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने जवाब दिया कि भारत ने सार्वजनिक रूप से इसकी निंदा की है. विपक्षी सांसदों को भारत और चीन के बीच हालिया सीमा समझौते के बारे में भी जानकारी दी गई. विदेश सचिव ने बताया कि सरकार एलएसी पर चीन के साथ अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थित बहाल करने की कोशिश कर रही है.
यह भी पढ़ें: केन्या, कनाडा, अमेरिका या पुर्तगाल... कहां है अनमोल बिश्नोई? क्या है लॉरेंस के भाई का राज?
रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए भारतीयों के मुद्दे पर भी चर्चा की गई. विपक्षी सांसदों ने पूछा कि 20 भारतीयों को रूसी सेना में भर्ती कराने वाले गिरोह के खिलाफ सरकार क्या कार्रवाई कर रही है? अगस्त में, रूसी दूतावास ने कहा कि मॉस्को और नई दिल्ली उन भारतीय नागरिकों की शीघ्र पहचान और उनको वापस भेजने के लिए समन्वय में काम कर रहे हैं, जो स्वेच्छा से रूसी सेना में बतौर कॉन्ट्रैक्ट सोल्जर शामिल हुए थे और अब घर लौटना चाहते हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना के लिए काम करते हुए अब तक नौ भारतीयों की मौत हो चुकी है.