
सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर केंद्र सरकार ने सरकारी सेवाओं में प्रमोशन में आरक्षण की अपनी नीति की हिमायत की है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवाई की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर 25 फरवरी को फैसला सुनाते हुए कहा था की वो व्यक्तिगत अपीलों पर मार्च में सुनवाई करेगी. लेकिन इसके लिए केंद्र सरकार प्रमोशन में आरक्षण की नीति पर समसामयिक आधार पर पूरा डाटा कोर्ट के सामने प्रस्तुत करे.
इसी आदेश का पालन करते हुए दाखिल अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने साफ कहा है कि उस नीति से किसी को कोई नुकसान नहीं था. क्योंकि प्रमोशन के लिए भी अफसर या कर्मचारी को निर्धारित शर्तें यानी अपने कामकाज में बेहतरीन प्रदर्शन का रिकॉर्ड दिखाना अनिवार्य होता है.
सरकार ने साफ कहा है कि कोर्ट के फैसले से अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को सरकारी सेवा के दौरान तरक्की में आरक्षण की नीति रद्द करने का असर सीधे सीधे साढ़े चार लाख कर्मचारियों पर पड़ने से उनमें असंतोष बढ़ेगा. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि तरक्की यानी प्रमोशन में आरक्षण का असर 2017 से 2020 के दौरान आरक्षित वर्ग के साढ़े चार लाख कर्मचारियों अधिकारियों पर पड़ेगा.
केंद्र सरकार ने 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट से रद्द हुई तरक्की में आरक्षण की अपनी नीति की हिमायत में दलील दी है कि उस नीति से किसी पर उल्टा या नकारात्मक असर नहीं पड़ रहा था. क्योंकि प्रमोशन के दौरान भी आरक्षण उन्हीं आरक्षित वर्ग के अधिकारियों कर्मचारियों को दिया जा रहा था जिनका प्रदर्शन रिकॉर्ड बेहतरीन रहा हो और वो निर्धारित अर्हता पूरी करते हों.
हलफनामे में किया गया है इन बातों का जिक्र
कोर्ट के नोटिस के मुताबिक ही सरकार ने 75 मंत्रालयों और विभागों के आंकड़े भी दिए हैं. अपने हलफनामे में सरकार ने विभिन्न नजरिए और आंकड़ों के गणित के जरिए भी ये जताया है कि आरक्षण की उसकी नीति निरापद है. हलफनामे में सरकार ने कहा है कि सरकार के मंत्रालयों और महकमों में कुल 27 लाख 55 हजार 430 कर्मचारी अधिकारियों में से आरक्षित वर्ग में 11लाख 51 हजार 187 लोग आते हैं. इन का भी वर्ग वार विभाजन करें तो 4 लाख 79 हजार 301 अधिकारी - कर्मचारी अनुसूचित जाति से और 2 लाख 14 हजार 738 अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखते हैं.
अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी जातियों से 4,57,148 अधिकारी और कर्मचारी हैं. इन आंकड़ों को अगर फीसद के नजरिए से देखें तो केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में अनुसूचित जाति यानी एससी वर्ग से 17.39 फीसद, एसटी वर्ग से 7.79 फीसद और ओबीसी वर्ग से 16.59 फीसद कर्मचारी अधिकारी हैं. केंद्र सरकार की ओर से यह भी कहा गया है की 1997 से, जब कार्यालय ज्ञापन दिनांक 02.07.1997 (ओएम) के मुताबिक रोस्टर तैयार करने के सिद्धांत शामिल हैं. इसी के तहत कार्मिक मंत्रालय एवं प्रशिक्षण विभाग के शिकायत एवं पेंशन केंद्र ने रोस्टर तैयार करना शुरू किया था.
रोस्टर में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि लगभग सरकार के मंत्रालयों में लगभग 3000 विभाग और उप विभाग या शाखाएं हैं जिनमें प्रत्येक संवर्ग के लिए अलग अलग रोस्टर है. इसके अलावा, हर साल इन रोस्टरों की समीक्षा के लिए समितियां नियुक्त की जाती हैं. उनकी रिपोर्ट के आधार पर आंकड़े और शोध रिपोर्ट तैयार की जाती हैं.
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