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कर्नाटक सरकार ने AIMIM नेता मोहम्मद आरिफ के खिलाफ वापस लिया Case, पुलिस पर हमले का था आरोप

कर्नाटक सरकार के इस फैसले का कानून विभाग, पुलिस विभाग और अभियोजन विभाग ने विरोध किया था. इन विभागों ने मामला वापस लेने का विरोध जताया, लेकिन सरकार ने उनकी आपत्तियों को दरकिनार कर केस वापस लेने का फैसला किया. उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने सरकार को इस मामले को वापस लेने के लिए पत्र लिखा था.

सीएम सिद्धारमैया (फाइल फोटो) सीएम सिद्धारमैया (फाइल फोटो)
नागार्जुन
  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST

कर्नाटक सरकार ने AIMIM नेता मोहम्मद आरिफ और अन्य के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला वापस ले लिया है. आरिफ और 138 अन्य AIMIM नेताओं पर पुलिस पर हमले का नेतृत्व करने और थाने पर हमला करने की धमकी देने का आरोप था. उनके खिलाफ हत्या के प्रयास, दंगा और अन्य गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था, लेकिन अब यह मामला वापस ले लिया गया है.

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हालांकि, कर्नाटक सरकार के इस फैसले का कानून विभाग, पुलिस विभाग और अभियोजन विभाग ने विरोध किया था. इन विभागों ने मामला वापस लेने का विरोध जताया, लेकिन सरकार ने उनकी आपत्तियों को दरकिनार कर केस वापस लेने का फैसला किया. उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने सरकार को इस मामले को वापस लेने के लिए पत्र लिखा था.

यह घटना 16 अप्रैल, 2022 की रात की है, जब एक अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट के खिलाफ मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा समूह पुराने हुब्बल्ली पुलिस स्टेशन के बाहर एकत्र हुआ. इस दौरान भीड़ ने उग्र होकर पुलिस वाहनों और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. पत्थरबाजी और दंगे के कारण चार पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा था.

आरिफ और अन्य आरोपियों पर हत्या के प्रयास (धारा 307), दंगा (धारा 147, 148) और अन्य गंभीर आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने 138 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया था, जिनके खिलाफ जांच भी की गई थी. हालांकि, उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने सरकार से इस मामले को वापस लेने का अनुरोध किया था. इसके बाद, सरकार ने उनके अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए मामला वापस लेने का फैसला किया. सरकार के इस फैसले के खिलाफ कानून विभाग, पुलिस विभाग और अभियोजन विभाग ने आपत्ति जताई थी. इन विभागों का मानना था कि मामले में आरोप गंभीर हैं और इसे वापस लेना उचित नहीं होगा. इसके बावजूद, सरकार ने इन आपत्तियों को नजरअंदाज कर फैसला लिया और मामला बंद कर दिया गया.

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