
देश में जनगणना कराने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. ऐसे में खबर है कि केंद्र सरकार जनगणना में जाति का एक कॉलम शामिल करने पर विचार कर रही है. हालांकि, अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है.
सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार जनगणना में जाति का कॉलम शामिल करने पर विचार कर रही है. जनगणना का काम जल्द ही शुरू होगा और इस संबंध में जल्द ही घोषणा की जाएगी. बता दें जनगणना का काम 2020 में शुरू हो जाना था लेकिन कोरोना की वजह से इसमें देरी हो गई.
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस ने सुझाव दिया था कि सरकार अगली जनगणना में केवल एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर ओबीसी आबादी का जाति-वार डेटा एकत्र कर सकती है. कांग्रेस ने कहा था कि 1951 से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का डेटा हासिल करने के लिए इसी तरह की प्रक्रिया चलती रही है. विपक्षी पार्टी ने कहा था कि सरकार के इस कदम से Affirmative action (वंचित समूहों के सदस्यों को सहायता देने) के आधार को और मजबूती मिल सकती है.
बता दें कि कांग्रेस लंबे समय से जाति जनगणना की मांग कर रही है. अब कांग्रेस का तर्क है कि जनगणना के साथ ही सरकार को जाति जनगणना का रास्ता भी साफ करना चाहिए. इससे एससी, एसटी और ओबीसी को न्याय प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त होगा.
क्या जातिगत जनगणना की जरूरत है?
- जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में ये तर्क है कि 1951 से एससी और एसटी जातियों का डेटा जारी होता है, लेकिन ओबीसी और दूसरी जातियों के आंकड़े नहीं आते. इस कारण ओबीसी की सही आबादी का अनुमान लगाना मुश्किल है.
- 1990 में केंद्र की तब की वीपी सिंह की सरकार ने दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों को लागू किया था. इसे मंडल आयोग के नाम से जानते हैं. इसने देश में ओबीसी की 52 फीसदी आबादी होने का अनुमान लगाया था.
- हालांकि, मंडल आयोग ने ओबीसी आबादी का जो अनुमान लगाया था उसका आधार 1931 की जनगणना ही थी. मंडल आयोग की सिफारिश पर ही ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया जाता है.
- जानकारों का कहना है कि एससी और एसटी को जो आरक्षण मिलता है, उसका आधार उनकी आबादी है. लेकिन ओबीसी के आरक्षण का कोई आधार नहीं है.
अभी कितनी है देश की आबादी?
भारत में पहली बार 1881 में जनगणना हुई थी. उस समय भारत की आबादी 25.38 करोड़ थी. तब से ही हर 10 साल पर जनगणना होती है. आखिरी बार 2011 में जनगणना हुई थी. 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत की आबादी 121 करोड़ से ज्यादा थी. 2001 से 2011 के बीच भारत की आबादी 18 फीसदी के आसपास बढ़ गई थी. इसमें 96.63 करोड़ हिंदू और 17.22 करोड़ मुस्लिम हैं.
भारत की कुल आबादी में 79.8% हिंदू और 14.2% मुस्लिम हैं. इनके बाद ईसाई 2.78 करोड़ (2.3%) और सिख 2.08 करोड़ (1.7%) हैं. बाकी बौद्ध और जैन धर्म को मानने वालों की आबादी 1% से भी कम है. अभी भारत की आबादी 141 करोड़ होने का अनुमान है.