
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के श्रीधर गाडगे ने जातिगत जनगणना को गैर जरूरी बताते हुए कहा है कि इससे कुछ हासिल नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना से कुछ लोगों को राजनीतिक रूप से लाभ हो सकता है क्योंकि इसके जरिए कुछ निश्चित जातियों की आबादी का डेटा उपलब्ध कराया जाएगा लेकिन यह सामाजिक तौर पर सही नहीं है.
विदर्भ के सहसंघचालक गाडगे ने कहा कि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ बीजेपी और एकनाथ शिंदे के शिवसेना गुट के मंत्रियों और विधायकों ने आरएसएस के फाउंडर केबी हेडगेवार स्मारक का दौरा किया.
इस मौके पर एक न्यूज चैनल से बात करते हुए गडगे ने कहा कि हमें लगता है कि जातिगत जनगणना नहीं होनी चाहिए क्योंकि इसकी कोई जरूरत नहीं है. हमें जातिगत जनगणना से क्या हासिल होगा? यह गलत है.
उन्होंने कहा कि हमने अपना रुख स्पष्ट रखा है कि कोई असमानता, वैमनस्य या झगड़ा नहीं होना चाहिए. एक सवाल के जवाब में गडगे ने कहा कि जातिगत जनगणना का आरक्षण से कोई लेना-देना नहीं है.
उन्होंने कहा कि आरक्षण एक अलग मामला है. आप जाति व्यवस्था खत्म कर सकते हैं. मैं उस जाति में ही रहूंगा, जिसमें मैं पैदा हुआ हूं और आरक्षण में जाति का उल्लेख होगा ही. ये दोनों अलग मुद्दे हैं. सामाजिक उत्थान के लिए ही आरक्षण को लाया गया था.
गाडगे ने कहा कि आरएसएस का स्टैंड हमेशा से क्लियर है और प्रतिनिधि सभा में ये प्रस्ताव पास हो चुका है कि जब तक समाज का आखिरी व्यक्ति तरक्की नहीं कर लेता, तब तक आरक्षण रहेगा. लेकिन जातिगत जनगणना का इससे कोई संबंध नहीं है, क्योंकि आरक्षण के लिए ये कोई जरूरी नहीं है.
इससे पहले महाराष्ट्र के हेडगेवार स्मृति मंदिर कैम्पस में महायुति नेताओं (महाराष्ट्र का सत्ताधारी गठबंधन) के लिए आरएसएस ने एक कार्यक्रम किया था. इसमें गाड़गे ने कहा कि जाति-आधारित असमानता नहीं होनी चाहिए.
इस कार्यक्रम में गाड़गे ने पारिवारिक व्यवस्था को मजबूत करने और देश को आत्मनिर्भर बनाने पर भी बात रखी.
वहीं, आरएसएस नेता के इन बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि जातिगत जनगणना से हर समुदाय की संख्या का पता चल जाएगा. इससे न सिर्फ सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ सभी तक पहुंचाने में मदद मिलेगी, बल्कि आरक्षण की स्थिति पर भी तस्वीर साफ हो जाएगी.
पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी कहा कि जातिगत जनगणना की मांग पर चर्चा होनी चाहिए, क्योंकि इससे उचित नीतियां बनाने में मदद मिलेगी.