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मणिपुर में अब हर गुनाह का होगा हिसाब, जांच के लिए CBI ने उतारे 53 अफसर, 29 महिला अधिकारी

केंद्र और मणिपुर सरकार ने इन मामलों को मणिपुर पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपने की बात सुप्रीम कोर्ट में मान ली थी. अब CBI ने DIG रैंक की दो महिला अधिकारियों समेत 53 अधिकारियों को इस हिंसा की जांच की जिम्मेदारी सौंपी है.

मणिपुर में आयोजित एक रैली में भाग लेते मैतेई समुदाय के लोग (फोटो- PTI) मणिपुर में आयोजित एक रैली में भाग लेते मैतेई समुदाय के लोग (फोटो- PTI)
मुनीष पांडे
  • नई दिल्ली,
  • 17 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 7:55 AM IST

मणिपुर में सीबीआई जांच के दायरे में आए शुरुआती 11 मामलों की तफ्तीश के लिए पुलिस उपनिरीक्षक यानी डीआईजी स्तर के तीन अधिकारियों सहित 53 अधिकारियों को सूची जारी कर दी गई है. इसमें दो महिला डीआइजी रैंक के अधिकारी समेत 29 महिला अधिकारी/कर्मी भी शामिल हैं.

दरअसल मणिपुर में भड़की हिंसा और महिलाओं के साथ हुए अमानवीय अपराधों के सिलसिले में दर्ज 6500 से अधिक एफआइआर में से 11 अति संवेदनशील मामलों को जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया है. केंद्र और मणिपुर सरकार ने इन मामलों को मणिपुर पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपने की बात सुप्रीम कोर्ट में मान ली थी.

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पीएम ने अपने भाषण में किया था मणिपुर का जिक्र

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर ध्वाजारोहण के बाद लाल मणिपुर का जिक्र करते हुए कहा, 'पिछले दिनों में मणिपुर में हिंसा का दौर चला. मां बेटियों के सम्मान से खिलवाड़ हुआ, लेकिन आज वहां स्थिति सामान्य हो रही. शांति लौट रही. केंद्र और राज्य सरकार शांति बहाली के लिए काम कर रही हैं. देश मणिपुर के लोगों के साथ है.'

उन्होंने आगे कहा,'केंद्र और राज्य सरकार मिलकर समस्याओं के समाधान के लिए भरपूर प्रयास कर रही है और करती रहेगी. जब हम इतिहास पर नजर डालते हैं तो कुछ पल ऐसे आते हैं, जो अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं. इसका प्रभाव सदियों तक रहता है. शुरुआत में यह घटना छोटी लगती है. लेकिन वह अने समस्याओं की जड़ बन जाती है. हजार बारह सौ साल पहले इश देश पर आक्रमण हुआ. लेकिन तब पता तक नहीं था कि एक घटना देश पर ऐसा प्रभाव डालेगी हम गुलामी में जकड़ते गए. जिसका मन चाहा हम पर आकर सवार हो गया.'

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मणिपुर में 3 मई को पहली बार हुई थी हिंसा 

- मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी. मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया था. तब पहली बार मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं. 
- हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए. मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. कुकी और नागा समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत से ज्यादा है. ये लोग पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

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मणिपुर में विवाद के क्या कारण 

- कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला है, लेकिन मैतेई अनूसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहे हैं. 
- नागा और कुकी का साफ मानना है कि सारी विकास की मलाई मूल निवासी मैतेई ले लेते हैं. कुकी ज्यादातर म्यांमार से आए हैं. 
- मणिपुर के चीफ मिनिस्टर ने मौजूदा हालात के लिए म्यांमार से घुसपैठ और अवैध हथियारों को ही जिम्मेदार ठहराया है. करीब 200 सालों से कुकी को स्टेट का संरक्षण मिला. कई इतिहासकारों का मानना है कि अंग्रेज नागाओं के खिलाफ कुकी को लाए थे. 
- नागा अंग्रेजों पर हमले करते तो उसका बचाव यही कुकी करते थे. बाद में अधिकतर ने इसाई धर्म स्वीकार कर लिया जिसका फायदा मिला और एसटी स्टेटस भी मिला.

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