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CBI हिरासत में 3 मुख्य आरोपी, 40 को भेजा जेल... साइबर फ्रॉड के आरोपियों की जमानत याचिका खारिज

सीबीआई ने ऑपरेशन चक्र-2 के तहत जिन 43 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है, वह सभी गुरुग्राम में कॉल सेंटर का संचालन करते हुए यहीं से ऑनलाइन विदेशी नागरिकों से ठगी की वारदात को अंजाम देते थे. ऑनलाइन क्राइम करने वाला यह अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड सिंडिकेट है.

प्रतीकात्मक फोटो. प्रतीकात्मक फोटो.
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 27 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 6:55 PM IST

राउज एवेन्यू कोर्ट ने साइबर ठगों की जमानत याचिका खारिज करते हुए उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है. कोर्ट ने तीन आरोपियों को 4 दिनों की सीबीआई हिरासत में भेजा है, इसके साथ ही 40 आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. राऊज एवेन्यू कोर्ट ने आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की. आरोपियों ने गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए जमानत पर रिहा करने की मांग की थी. 

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बता दें कि CBI ने ऑपरेशन चक्र-2 के तहत साइबर ठगी के आरोपी 43 लोगों को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था. दिल्ली की राउज़ ऐवन्यू कोर्ट में शनिवार को इनके मामले की सुनवाई हुई. राउज़ ऐवन्यू कोर्ट ने सभी आरोपियों को शनिवार तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. सभी 43 आरोपियों ने अपनी गिरफ्तारी को कोर्ट में चुनौती दी है. गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर राउज़ एवेन्यू कोर्ट सुनवाई कर रहा है. 

सीबीआई ने ऑपरेशन चक्र-2 के तहत जिन 43 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है, वह सभी गुरुग्राम में कॉल सेंटर का संचालन करते हुए यहीं से ऑनलाइन विदेशी नागरिकों से ठगी की वारदात को अंजाम देते थे. ऑनलाइन क्राइम करने वाला यह अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड सिंडिकेट है. सीबीआई ने इसके खिलाफ कार्रवाई साल 2022 से देश में चल रहे साइबर फाइनेंशियल क्राइम नेटवर्क को तोड़ने के मकसद से ऑपरेशन चक्र शुरू किया था. 

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इसी सिलसिले की अगली कड़ी के तहत सीबीआई ने 22 जुलाई 2024 को मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी. जांच में कई अन्य देशों की एजेंसियां मसलन एफबीआई और इंटरपोल भी शामिल हैं. जांच पड़ताल के दौरान सीबीआई ने राजधानी दिल्ली और साइबर सिटी गुरुग्राम में 7 लोकेशन पर छापेमारी की. उसमें खुलासा हुआ कि डीएलएफ गुरुग्राम स्थित कॉल सेंटर से यह साइबर फ्रॉड किया जा रहा है. आरोपी मालदार लोगों के कंप्यूटर पर पॉप अप मैसेज भेजकर संदिग्ध सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए कहते थे. इसके बाद वह उनके सिस्टम को रिस्टोर करने के नाम पर पैसे ट्रांसफर करवाते थे. 

इसके बाद सीबीआई ने ताबड़तोड़ 43 साइबर ठगों को दबोचा. साइबर ठगी के इन आरोपियों से 130 कंप्यूटर हार्ड डिस्क, 65 मोबाइल फोन और 5 लैपटॉप बरामद किए गए. इसके अलावा बड़ी संख्या में पीड़ितों की जानकारी, दस्तावेज, कॉल रिकॉर्डिंग और ट्रांसक्रिप्ट बरामद की गई. जांच में ये भी पता चला कि इस साइबर क्राइम से होने वाली आमदनी का हिस्सा कई देशों से हवाला और अन्य तरीकों से हांगकांग तक भी पहुंचाया गया था. साइबर ठगी के आरोप में CBI के हाथों गिरफ्तार हुए 43 आरोपियों में से तीन को 7 दिनों की सीबीआई कस्टडी में दिए जाने की मांग जांच एजेंसी सीबीआई ने पटियाला हाउस अदालत में की. अन्य 40 आरोपियों को न्यायिक हिरासत मे भेजे जाने की मांग कोर्ट से की गई. 43 आरोपियों में से 4 आरोपी लड़कियां हैं. पटियाला हाउस अदालत में CBI ने साइबर ठगी के 43 में से 3 आरोपियों की 7 दिन की हिरासत मांगी. 

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साथ ही 40 आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने की मांग की. CBI ने कोर्ट को बताया कि ये बहुत गंभीर मामला है जिसका देश-विदेश में प्रभाव है. हमें आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं, लेकिन अभी मास्टरमाइंड का पता नहीं चला है. हमने तीन लोगों की पहचान की है जिनसे पूछताछ के जरिये इस पूरे अपराध की साजिश की तह तक पहुंचा जा सकता है.

इस मामले में और बरामदगी की जा सकती है CBI ने बताया कि हमारे पास विदेशी नागरिकों से बातचीत की रिकॉर्डिंग मौजूद है. इस बातचीत में इनके अपराध के अंजाम के तरीके के बारे में बात की गई है. 15 मिलियन US डॉलर के लेन देन का हमे शक है. इस बारे में तहकीकात के लिए कस्टडी ज़रूरी है वकील ने दलील दी कि भले ही CBI अरेस्ट मेमो में आरोपियों की गिरफ्तारी का वक़्त 25 जुलाई का दिखाए, पर हिरासत 24 जुलाई को 11 बजे ही शुरू हो गई थी. 

वकील ने SC/HCs के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि इन फैसलों में दी गई व्यवस्था के मुताबिक इस केस में आरोपियों की गिरफ्तारी पूरी तरह अवैध और गैरकानूनी है. आरोपियों के वकील ने आरोप लगाया कि इस मामले में CBI ने आरोपियों को हिरासत में लेने के 24 घंटे की समयसीमा में कोर्ट में पेश नहीं किया. आरोपियों के वकील ने दलील दी कि कोर्ट से सर्च वारंट लेने के बाद 24 को CBI का कॉल सेंटर सर्च ऑपरेशन शुरू हो गया था. 

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इन सबको बाहर जाने की इजाज़त नहीं थी, लेकिन आरोपियों को CBI ने 26 जुलाई को कोर्ट के सामने पेश किया. इस लिहाज से देखा जाए तो ये 24 से 26 जुलाई तक CBI हिरासत में ही थे. इस केस में गिरफ्तारी और रिमांड से जुड़ी जरूरी कानूनी प्रकिया का CBI ने पालन नहीं किया. आरोपियों की गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया गया. FIR और रिमांड की कॉपी नहीं दी गई.आज भी कोर्ट के कहने के बाद रिमांड की कॉपी आरोपियों के वकील को को उपलब्ध कराई गई है. आरोपियों के वकील ने पुराने फैसलों के हवाला देते हुए कहा कि चूंकि इस केस में 24घण्टे की समयसीमा में आरोपियों को कोर्ट में पेश नहीं किया गया, इस लिहाज से गिरफ्तारी और रिमांड रद्द होनी चाहिए.

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