
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका वापस ले ली है. सीबीआई ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें नारदा स्टिंग केस मामले में चार नेताओं के हाउस अरेस्ट को मंजूरी दी थी. इन चार नेताओं में से तीन टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) के नेता हैं. इससे पहले सीबीआई ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी. जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस बीआर गवई की बेंच में यह सुनवाई चल रही थी. सीबीआई की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस की.
सीबीआई अब कोलकाता हाई कोर्ट की पांच जजों की पीठ के सामने अपनी दलील रखेगी. यानी सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई को कोई राहत नहीं मिली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम केस की मेरिट पर नहीं जा रहे हैं. कलकत्ता हाई कोर्ट की पांच जजों की बेंच इस मामले को देख रही है. लिहाजा सीबीआई, सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले. सीबीआई और दूसरे पक्ष हाई कोर्ट के सामने ही अपनी बात रखेंं.
इससे पहले TMC के चार नेताओं के हाउस अरेस्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सीबीआई की तरफ से तुषार मेहता ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि ये आदेश कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. वहीं बंगाल सरकार की तरफ से विकास सिंह ने कहा कि वैकेशन बेंच के सामने SIP लगने का प्रवधान नहीं है, कौन रजिस्ट्री को कंट्रोल कर रहा है.
SG तुषार मेहता ने कहा कि 17 मई को आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और उनको स्पेशल CBI कोर्ट में पेश किया गया. आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद भारी संख्या में भीड़ CBI दफ्तर के बाहर जमा हो गई. मुख्यमंत्री धरने पर बैठ गई, हिंसा करने की कोशिश की गई, कानून मंत्री हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान शामिल हो गए और कहने लगे अपने मंत्रियों के समर्थन में वहां आये हैं.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि क्या गिरफ्तारी से पहले आरोपी को नोटिस दिया गया था? कोर्ट ने कहा कि हम धरने की सराहना नहीं कर रहे हैं , लेकिन अगर मुख्यमंत्री धरने पर बैठे हैं तो क्या आरोपी को भुगतना पड़ेगा?
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि CBI मुख्यालय की घेराबंदी की गई थी, हजारों लोग वहां जमा थे, पत्थर फेंके जा रहे थे, ताकि आरोपियों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं कर सकें. उनको हाई कोर्ट के सामने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश करना पड़ा.
SG ने कहा कि जब सुनवाई हो रही थी उस समय कानून मंत्री अदालत में मौजूद रहे, जबकि वह मामले में पार्टी नहीं थे. न्याय व्यवस्था में लोगों का विश्वास क्षीण हो जाएगा, यह कानून व्यवस्था का फेलियर है, ऐसा कई बार हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप उच्च न्यायालय पर आरोप लगा रहे हैं. तब भी जब उसने पहले ही असाधारण कार्य किया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी देते हुए कहा, हम कानून मंत्री या मुख्यमंत्री की कार्रवाई का समर्थन नहीं करते. हालांकि स्पेशल बेंच लिबर्टी देने के लिए बैठी है. यह पहली बार है, जब इसका भी आप विरोध कर रहे हैं.
इसके बाद तुषार मेहता ने कहा कि आरोपियों का समर्थन करने के लिए राज्य की सीएम पुलिस थाने में प्रवेश कर जाती हैं. यह इसी राज्य में हो रहा है. उन्होंने कहा कि मैंने जो तथ्य रखे हैं वो अदालत को संज्ञान में लेने के लिए काफी हैं.
तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले को दूसरी जगह ट्रांसफर करने की मांग करते हुए कहा कि इससे हमारे लोगों का मनोबल गिरेगा. यह इतना गंभीर मामला है कि इसे सिर्फ इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता है कि हाई कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है या कोई नोटिस नहीं दिया गया था. कोर्ट रूम में सरकार के मंत्री तक मौजूद हैं. इससे राज्य सरकार की मंशा पता चलती है.