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'अग्निवीर से सेना और देश दोनों होंगे मजबूत', CDS अनिल चौहान ने गिनाए योजना के फायदे

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2024 में कहा कि अग्निवीर स्कीम से न ही अग्निवीरों को कोई समस्या है और न ही कमांडिंग ऑफिसर्स को. उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ आवाजें सेना के बाहर से उठ रही हैं.

सीडीएस जनरल अनिल चौहान सीडीएस जनरल अनिल चौहान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 7:23 PM IST

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'अग्निपथ' 2022 में आई थी. कई लोगों खासकर युवाओं में इसे लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिला तो वहीं एक वर्ग योजना की आलोचना कर रहा है. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2024 में देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने पहली बार इस योजना की आलोचना पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि अग्निवीर स्कीम के खिलाफ आवाजें सेना के बाहर से उठ रही हैं.

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क्या बोले सीडीएस अनिल चौहान?

अग्निवीर योजना की आलोचना के सवाल पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा, 'अग्निवीरों का इस्तेमाल किसे करना है? कमांडिंग ऑफिसर को. क्या उनमें किसी तरह का कोई मतभेद है? वे लोग तो काफी खुश हैं क्योंकि कमांडिंग ऑफिसर अब अपनी यूनिट में उन लोगों को चुन सकते हैं जिनके साथ वे काम करना चाहते हैं. इससे बेहतर क्या होगा?'

उन्होंने कहा, 'अग्निवीरों को इससे कोई समस्या नहीं है. जिन्हें अग्निवीरों के साथ काम करना है उन्हें कोई समस्या नहीं है. समस्याएं सेना के बाहर हो रही हैं.' जनरल अनिल चौहान ने अग्निवीर योजना को 'पारदर्शी' बताया. उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ सेना बल्कि आने वाले समय में देश को मजबूत करेगी. अभी तक सब कुछ सही चल रहा है. दो बैच की ट्रेनिंग हो रही है. मैंने अग्निवीरों और कमांडिंग ऑफिसर से उनके फीडबैक लिए हैं और किसी को कोई समस्या नहीं है.

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2022 में आई थी 'अग्निपथ योजना'

जून 2022 में केंद्र सरकार ने सेना के तीनों अंगों (थल सेना, नौसेना और वायुसेना) में 17 से साढ़े 21 साल की आयु के युवाओं की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना शुरू की थी जिसके तरह चार साल के शॉर्ट टर्म कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर अग्निवीरों की भर्ती होती है. योजना के तहत भर्ती होने वालों की रैंक मौजूदा रैंक से अलग 'अग्निवीर' होगी. योजना के तहत हर साल करीब 40-45 हजार युवाओं को सेना में शामिल किया जाएगा. हालांकि कई लोगों ने इस योजना की आलोचना भी की थी जिसमें कई रिटायर्ड सैनिक भी शामिल थे.

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